15 फ़रवरी 2010

तितलियों के दीदार के लिए तरसती हैं अब आंखें।



गांव-देहात के बागों की हरियाली, रंग-बिरंगे खिलखिलाते फूल और उनपर मंडराती रंग-बिरंगी तितलियां! इस खूबसूरत मंजर को देखकर सारी थकान छू मंतर हो जाती थी लेकिन वक्त बदला तो आबोहवा भी बदल गई। अब इन फूलों पर तितलियां नहीं मंडरातीं। बागबां हैरान-परेशान है। प्रकृति की इस अनोखी छटा को दीदार के लिए तरसती हैं अब आंखें।
दरअसल अब गौरैया, चील व गिद्ध के बाद तितलियां भी कम दिखती है। आम तौर पर वसंत के दिनों में रंग-बिरंगी आकर्षक तितलियां सहज ही लोगों का मन मोह लेती थीं। नीली, पीली, हरी, काली, सफेद, बैंगनी वगैरह-वगैरह तमाम रंगों में पंख फैलाए फूलों का रस चूसती तितलियों को देख बच्चे उसे पकड़ने के लिए घंटों मशक्कत करते थे। यहां तक कि बड़े भी इन तितलियों के आकर्षण पाश में बंध कर खिलखिलाते थे। अब ये सारी बातें इतिहास बनती जा रही है।



26 टिप्‍पणियां:

Ashish (Ashu) ने कहा…

मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया लिखा है उम्दा रचना

Dev ने कहा…

सही कहा आपने .....वक्त के साथ सब कुछ बदलता जा रहा है .......हम भी बचपन में इन तितलियों को पकड़ने की लिए खूब मस्कत करते है ....बड़े सुहाने होते थे वो दिन

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

भाई अब ये फ़ूल भी हाईब्रीड किस्म के होगये हैं...तितलियां भि अब शायद अपना अस्तित्व बचा पायें तो काफ़ी होगा.

रामराम.

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

बिलकुल सही कहा आपने
सुन्दर चित्रों के साथ
आभार ..............

अजय कुमार ने कहा…

सही कहा आपने , सार्थक लेख

Deepmala ने कहा…

तितिलियों का मडराना कभी मौसम का उनके संघ जाना
लगता हैं की आपका इनसे रिश्ता पुराना
इन्ही बातों से दुनिया को रूबरू कराना
अच्छा हैं आपका अंदाज हमने माना|

रश्मि प्रभा... ने कहा…

ab to tarsati aankhen hi zindagi kahlati hain

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच कहा .. जैसे जैसे मानव अपना विकास करेगा ... बहुत कुछ इतिहास में बदलता जाएगा ...

अजय कुमार झा ने कहा…

हां संजय जी आपकी बात बिल्कुल ठीक है अब तितलियां कहां दिखती हैं ..इंसान की आधुनिकता का दुष्परिणाम अब दिखने लगा है
अजय कुमार झा

नीरज गोस्वामी ने कहा…

तितलियों का नज़र ना आना घोर चिंता का विषय है...उन्हें हर हाल में बचाना चाहिए...
नीरज

निर्मला कपिला ने कहा…

तितलियाँ क्यों आयेंजी आपने उनके घर कहाँ महफूज़ रखे हैं बहुत अच्छी रचना ।बेता जब तुम छोटे थे तब होती थी रंग बिरंगी तितलियां । ऐसे ही लिखते रहो । आशीर्वाद्

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

आपने बिल्कुल सही लिखा है ...आज पर्यावरण की जो हालत है उसके चलते कहीं भी अब हरियाली नजर नही आती.... अच्छी सामयिक पोस्ट लिखी है...

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

सच है. अब पक्षी दुर्लभ और जन्तु नगण्य हो गये हैं. सुन्दर पोस्ट.

Chandan Kumar Jha ने कहा…

बहुत ही सार्थक पोस्ट । सुन्दर……

Udan Tashtari ने कहा…

सच कहा आपने.

मगर इस देश में (कनाडा) अभी भी बहुत दिखती हैं.

Kulwant Happy ने कहा…

तुमने तो बरसीन के खेत की याद दिला दी। गाँव में फूल कहाँ होते थे। बस बरसीन या सरसों के फूलों पर मंडराते तितलियाँ देखना बेहद प्यारा लगता था। बरसीन भैंस का हरा चारा...और सरसों से तो आप वाकिफ होंगे।

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सही फ़रमाया। अब तो चिड़ियाँ भी नज़र नहीं आती।
और गुलाबों में भी खुशबू कहाँ।
इंसानी उन्नति की अवनति।

Urmi ने कहा…

बिल्कुल सही फ़रमाया है आपने ! बहुत खूब! अत्यंत सुन्दर प्रस्तुती! बहुत ख़ूबसूरत तस्वीरें!

रचना दीक्षित ने कहा…

सही कहा है पर कई बार तो ऐसा भी लगता है की इंसानों की प्रजाति भी दुर्लभ होती जा रही है, आस पास जो भी मिलता कभी चोर,कभी उच्चका कभी आतंकवादी कभी भ्रष्ट

Crazy Codes ने कहा…

sach kaha aapne... ab to aankhon ke sath dil bhi taras gaye hai titliyon ko dekhne ke liye...

Razi Shahab ने कहा…

बिलकुल सही कहा आपने
सुन्दर चित्रों के साथ
आभार ..............

Creative Manch ने कहा…

तितलियां अब कहां दिखती पड़ती हैं
कंक्रीट के जंगल में गुम हो गयीं हैं
कितनी सुहाती थीं ये तितलियाँ बचपन में

बहुत सुन्दर पोस्ट
शुभ कामनाएं

ज्योति सिंह ने कहा…

prakti ki sundarata dhalti jaa rahi hai inki kamiyon ke badhne se .

Khare A ने कहा…

waqt bahut kuch badal deta hai,
lekin sundar ehsaas kabhi nhi marte,

aapka blog bahut hi sundar hai,
badhai

Unknown ने कहा…

बिल्कुल सही फ़रमाया है आपने ! बहुत खूब!

Unknown ने कहा…

आपने बिल्कुल सही लिखा है ...आज पर्यावरण की जो हालत है उसके चलते कहीं भी अब हरियाली नजर नही आती