20 जून 2017

..... बारिश की वह बूँद :)


बारिश की वह बूँद
जो मेरे कमरे की खिड़की के
शीशे पर
फिसल रही थी
जिसे मैं घंटो से निहार रहा था
उसे देख बस मन में
एक ही ख्याल आ रहा था
जो बूँद इस
शीशे को भीगा
रही है
वैसे ही काश
भीग जाए मेरा मन ....!!!

- संजय भास्कर

26 टिप्‍पणियां:

Anita ने कहा…

मन को भिगोने के लिए प्रीत की बरसात की दरकार है..और कवि हृदय तो हर शै पर कुर्बान जाता है..बारिश की एक अदना सी बूंद पर भी..

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

नमस्ते, आपकी यह रचना गुरुवार 22 -06 -2017 को "पाँच लिंकों का आनंद " http://halchalwith5links.blogspot.in में लिंक की गयी है। चर्चा के लिए आप भी आइयेगा ,आप सादर आमंत्रित हैं।

Sweta sinha ने कहा…

बहुत सुंदर रचना संजय जी,
बारिश की बूँदें हृदय के सारे सोये
एहसास जगा देती है

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह।

Lokesh Nashine ने कहा…

बहुत खूब

Rajesh Kumar Rai ने कहा…

लाजवाब रचना ! बहुत खूब आदरणीय ।

Pammi singh'tripti' ने कहा…

बहुत बढियाँ..

Meena Bhardwaj ने कहा…

बेहद खूबसूरत ........,

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत सुन्दर...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... मन के भावों को शब्द देती रचना ... काश के भीग जाएँ मन भी सबके अन्दर तक ...

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

जुग जुग जीयो

Satish Saxena ने कहा…

शाब्बाश संजय, बेहतरीन अभिव्यक्ति !!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूबसूरत से एहसास ..

रश्मि प्रभा... ने कहा…

यह ख्याल ही भीगा मन है

Udan Tashtari ने कहा…

अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अनंत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद.. आज पोस्ट लिख टैग करे ब्लॉग को आबाद करने के लिए
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

Jyoti khare ने कहा…

वाह !!!! बहुत सुंदर

शुभकामनाएं

Smart Indian ने कहा…

बहुत बढ़िया

POOJA... ने कहा…

वाह भाई...
चलिए आज भटकने के बहाने आपके ब्लॉग में भी आना हो गया और इसी बहाने आपकी इतनी अच्छी कविता पढने का मौका भी मिल गया...

अन्तर सोहिल ने कहा…

खूबसूरत ख्याल
सुन्दर पंक्तियां

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव् ..संजय

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

रमणीय भावन !

mridula pradhan ने कहा…

बहुत अच्छी ..

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

सुंदर !


...फिर,
भीगा आपका मन ?

😎


अच्छी कविता

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

वाह, बहुत बढ़िया बिम्ब।

Shakuntla ने कहा…

बारिश..... बरबस ही मन को भिगो देती हैं
बहुत खूबसूरत अहसास को प्रस्तुत किया है आपने संजय जी