आधी रात को अचानक
किसी के चीखने की आवाज़ से
चौंक कर
सीधे छत पर भागा
देखा सामने वाले घर में
कुछ चोर घुस गये थे
वो चोरी के इरादे में थे
हथियार बंद लोग
एक बार
चिल्लाने से
पर कुछ देर चुप रहने के
बाद
मैं जोर से चिल्लाया
पर कोई असर न हुआ
मेरे चिल्लाने का
बड़ी बिल्डिंग के लोगो पर
.....क्योंकि सो जाते है
घोड़े बेचकर अक्सर
बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग ......!!
( C ) संजय भास्कर
25 टिप्पणियां:
उनकी सुरक्षा सुनिश्चित जो रहती है गरीब लोग ही उनकी सुरक्षा में लगे रहते हैं
सुन्दर रचना
भावपूर्ण रचना.
ये आज की हाई सोसाईटी है
वो नहीं उनकी संवेदना सोयी हुई है
बहुत खूबी से यथार्थ का चित्रण !!
क्या किया जा सकता है माने उलट गये हैं बड़े छोटे और छोटे बड़े हो गये हैं ।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, एक के बदले दो - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत सहीं लिखा हैं आपने........
bhavmay shabd sanyojan
दिनांक 03/08/2015 को आप की इस रचना का लिंक होगा...
चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
आप भी आयेगा....
धन्यवाद...
कुछ सो जाते हैं कुछ जाग कर भी सो रहे होते हैं,कुछ जागना ही नहीं चाहते ऐसे ही होते हैं बड़ी बिल्डिंग में रहने वाले बड़े लोग
थोडे में बहुत कह दिया
Wish I could with no stress or care.
हूँ , सच में अनदेखी करते हैं बड़े लोग है ।
बड़े लोगों की सुरक्षा का घेरा इतना मजबूत होता है की छोटे लोगो के आबाज उन तक नहीं पहुचति। सुंदर रचना ।
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
बडे लोगों तक छोटे लोगों की आवाज ही नही पहुचती यह बतलाती भावपुर्ण रचना...
संवेदनाहीन लोग, ये बड़े लोग ।
प्रभावी रचना ।
ये बड़े लोग वही है जो समाज से कटे होते है ........
jyadaatar bas logon ko apne aas-pass se koi matlab hi nahi hota.vo apni hi duniya me jite hain---------
bahut khoob
सच की अभिव्यक्ति
बहुत सहीं लिखा हैं आपने
यथार्थ का बहुत ही खूबसूरती से चित्रण किया है आपने ।वाह .......
यही होता है , उन्हें क्या चिंता घर में जो होता है , उससे जार गुना कहीं और होता है ।
शहरी जीवन की प्रवृति को उजागर करती सुन्दर रचना .
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