25 सितंबर 2012

.......... नकाब -- संजय भास्कर



आज हर चेहरा सच्चा नहीं 
हर चेहरे पर नकाब है 
सच्चाई को ढकता हुआ नकाब 
कभी इन चेहरे को ढके हुए 
नकाब हटा कर तो देखो 
देखते ही रह जाओगे 
फिर सोचोगे, जो देखा था , वो धोखा था 
हर किसी का चेहरा  होगा अनजान 
जो देखा, जो सोचा, सब झूठ था !
अपनी बातो से दूसरो को भी 
झूठा बनाया !
पर कब तक छुपायेगा 
एक दिन तो सच सामने आयेगा 
और उस दिन वह नकाब हटाएगा.......!!!!!

@ संजय भास्कर 




64 टिप्‍पणियां:

Bharat Bhushan ने कहा…

नक़ाबों के साथ जीने की आदत हो गई है. जब सच समाने आता है तो वह भी भला-सा नक़ाब पहन कर आता है :))

Prakash Jain ने कहा…

Bahut sundar- sahi kaha

Aisa hi kuch meri ek kavita mein maine kehne ki kosish ki, sirshak tha "Ek Chehre mein kai chehre chupaate hain log... http://www.poeticprakash.com/2012/07/blog-post_08.html

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

यहाँ तो एक के ऊपर एक कई नकाब है....

बेहतरीन रचना..
अनु

राहुल ने कहा…

हर आदमी में होते हैं दस-बीस नकाब....
अच्छी रचना.....

Madan Mohan Saxena ने कहा…

पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब
बेह्तरीन अभिव्यक्ति .

Rajesh Kumari ने कहा…

एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग बहुत सार्थक अभिव्यक्ति

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वाह,,,बहुत खूब संजय जी,,

जिसको देखो सभी ने,पहना हुआ नकाब
जब भी हटाकर देखो , हो जाता बेनकाब,,,

RECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता,

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

इतने नकाब होते हैं कि असली चेहरे कि सच्चाई सामने ही नहीं आ पाती .... अच्छी प्रस्तुति

सदा ने कहा…

वाह ... बेहतरीन
बहुत ही सही कहा है आपने ...

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

संजय ....किसने अपना असली चेहरा दिखा दिया ?

आज तुम्हारी ऐसी सोच :)))

Asha Lata Saxena ने कहा…


नकाब हटते ही असली चेहरा सामने आता है |अच्छी के लिए बधाई |
आशा

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

nakab ke andar asli nakli chehra...:)

मन के - मनके ने कहा…

संजय जी, सत्य कहा आपने.

Anupama Tripathi ने कहा…

नकाब तो नकाब ही है ...सख्त और बिना भावनाओं वाला ....और नकाब उतरते ही असली ...मुस्कुराता चेहरा सामने आता है ...!

shashi purwar ने कहा…

sach kaha aapne har chahre ke upar ek nakab hi hota hai

Maheshwari kaneri ने कहा…

सही कहा संजय ये नकाबों की दुनिया है...

रविकर ने कहा…

उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

सही है, सच तो कभी न कभी सामने आ ही जाता है।

Unknown ने कहा…

सच कहा, न जाने कैसे कैसे नकाब में हैं लोग, जो असली चेहरा दिखाते ही नहीं . बधाई संजय

kavita verma ने कहा…

chehre par nakab hai aur nakab me chhupr chehre hai jinki vajah se shayad kuchh pal ki rahat hai...jane sach kya hai???
khoobsurat rachna..

shalini rastogi ने कहा…

सही लिखा है संजय जी..... नकाबों की इस दुनिया में असली चहरे सामने कहाँ आते हैं?

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

हर व्यक्ति नकाब के साथ जीता है..
नकाब के पीछे का चेहरा कौन जाने ...
यही तो है सच्चाई ..
बेहतरीन रचना...
:-)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

औरों के लिये जैसा भी हो, पर दर्पण में देखने पर यह नकाब पहचान में नहीं आता है।

दीपक कुमार मिश्र ने कहा…

सच का सामना तो हर इंसान को करना ही पडता है गधा शेर कि खाल ओढकर जंगल में ज्यादा दिन तक मंगल नहीं गा सकता है

बहोत ही खूबसूरत प्रस्तुति...............

Nidhi ने कहा…

मुखौटों और आवरणों की दुनिया है,आजकल.

travel ufo ने कहा…

पर आदत अच्छी है मुस्कुराने की चाहे नकाब के आगे हो या पीछे

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

जीवन भर मुखौटे नहीं पहने जा सकते ....

virendra sharma ने कहा…

हर आदमी में होतें हैं दस बीस आदमी ,जिसे भी देखना दस बीस बार देखना .अब तो राजनीति में भी सिर्फ मुखोटे ही हैं बोले तो रोबोट .बढ़िया प्रस्तुति .

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

...दिमाग की आँखों से देखो ।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत खूब जनाब
जरा इसे भी सुनिये आप
आप चेहरे पर कुछ
नकाब देख कर आये हैं
इसलिये इतना भड़भड़ाये हैं
यहाँ तो चेहरे मिलते ही नहीं
सबके चेहरे नकाब पे होते हैं
हम चेहरे हटा के धो लेते हैं
बेनकाब कोई नहीं होते हैं !

अरुन अनन्त ने कहा…

बिलकुल सत्य कहा है आपने संजय भाई, बेहतरीन सुन्दर रचना

somali ने कहा…

bilkul sahi hai aaj kal har chehre pr ek nakab hota hai koi kisi ka asli chehra nahi janta

कविता रावत ने कहा…

नकाबों का कोई अंत नहीं ..दोहरे मापदंडों में जीते इंसानी फितरत का सटीक चित्रण .....बहुत बढ़िया प्रस्तुति

रचना दीक्षित ने कहा…

कितने ही पर्दों में हो सच एक ना एक दिन सामने आता ही है. लेकिन नकाब में छुपाने वाले यह बात भूल जाते हैं.

सुंदर प्रस्तुति.

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति।

Unknown ने कहा…

सच्चाई बयान करती शानदार रचना |
मेरी नई पोस्ट:-
♥♥*चाहो मुझे इतना*♥♥

मन्टू कुमार ने कहा…

नकाब तले एक सच्चाई है जो सभी छुपाते हैं|पर जैसा कि आपने कहा "एक दिन तो सच सामने आयेगा
और उस दिन वह नकाब हटाएगा.......!!!!!"

बहुत ही उम्दा रचना |

मन की लहरें ने कहा…

सुन्दर रचना, ये नकाब सामने जो भी हो उसके मुताबिक बदलते रहते हैं, जैसा रिश्ता वैसा नकाब, बैठक खाने में मेहमान से मिलते हुए ये नकाब पहन लिए जाते हैं.असली चेहरा तो घर के अन्दर छुपापड़ा है, अपने घर के भीतर जो ठीक ठीक झांक ले उसे वह दिखाई पड़ता है
धन्यवाद आपकी प्रेरक रचना के लिए आपका अभिनन्दन

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

मैंने तो बहुत पहले से ही एलान कर रखा है:
देख लो नोंच के नाखून से मेरा चेहरा,
दूसरा चेहरा लगाया है न चिपकाया है!!

mridula pradhan ने कहा…

एक दिन तो सच सामने आयेगा
और उस दिन वह नकाब हटाएगा.......!!!!!aisa hi ho.....

संध्या शर्मा ने कहा…

नकाब के साथ जीते - जीते लोग अपना असली चेहरा भी भूल जाते हैं, उसे ही सच्चाई समझ लेते हैं... बेहतरीन रचना

IMAGE PHOTOGRAPHY ने कहा…

nice posting for nakab. me come to some time blog world.

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

आज ब्लॉग के जरिये आप से परिचय हुआ .अच्छा लगा आपका और मेरा विचार एक जैसा है. यह दुनिया कुछ नकाब में हैं और कुछ मुखौटे के पीछे हैं. असली तो दिखाई नहीं देते. ब्लॉग पर आते रहिये और अपनी राय देते रहिये. आभार.

nayee dunia ने कहा…

बहुत सुन्दर

Pallavi saxena ने कहा…

अब तो इन नकाबों के साथ जीने की आदत सी हो गयी है भूषण अंकल की बात से पूरी तरह सहमत हूँ

priyankaabhilaashi ने कहा…

बहुत सच्चा है ये नकाब..!!

Kailash Sharma ने कहा…

नक़ाबों की दुनियां में सच्चा चेहरा कहाँ पहचाना जाता है...बहुत सुन्दर..

उड़ता पंछी ने कहा…

एक दिन तो सच सामने आयेगा
और उस दिन वह नकाब हटाएगा.......!!!!!

sach chhipaye nahin chhipta. sach kaha aapne.

mere blog par aane ke liye shukriya.

http://udaari.blogspot.in

Suresh kumar ने कहा…

सही कहा आपने संजय भाई, शायद ही कोई असली चेहरे में जीता हो ,सभी नकाब ही तो लगाते हैं

Arvind kumar ने कहा…

bahut badhiya....

prritiy----sneh ने कहा…

sahi kaha aajkal kon sa chehra bina banawat hai jaan paana mushkil hai... sunder rachna

shubhkamnayen

prritiy----sneh ने कहा…

sahi kaha aajkal kon sa chehra bina banawat hai jaan paana mushkil hai... sunder rachna

shubhkamnayen

Rakesh Kumar ने कहा…

नकाब को हटाना कहीं ख्बाब बनकर ही न रह जाये.
हनुमद कृपा हो तो नकाब से मुक्ति मिल सकती है संजय भाई.

आभार.

Kunwar Kusumesh ने कहा…

सुंदर .

Asha Joglekar ने कहा…

एक चेहरे पे कई चेहरे लगी लेते हैं लोग ।

Madan Mohan Saxena ने कहा…

शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन

Akash Mishra ने कहा…

बकौल लता जी-
जब भी जी चाहे , नयी दुनिया बसा लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग |
अच्छी कविता |

सादर

kuldeep thakur ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति...
दिनांक 9/10/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर

Unknown ने कहा…

कभी कभी नकाब बुरी नजरो से बचने के लिये पहना जाता है और कभी बुरे चेह्रे को छुपाने के लिये....,सुंदर रचना...

Jyoti khare ने कहा…

सच को उजागर करती सार्थक रचना
बहुत सुंदर
शानदार प्रस्तुति
सादर---


शरद का चाँद -------

ज्योति-कलश ने कहा…

आज का कटु सत्य !
सुन्दर ,सार्थक प्रस्तुति !

Rohitas Ghorela ने कहा…

एक मुखौटा उतार दो तो दूसरा पहन लेते है लोग
बिन पानी के मच्छली को साँस नही आता वैसा ही है लोगों के साथ.

कविता रावत ने कहा…

झूठ के पाँव नहीं होते इसलिए वह उड़ता फिरता है लेकिन कभी न कभी सच से उसका सामना होता ही है ...
..
नकाबों पे नकाब
बेहसाब!
...बहत बढ़िया..

Unknown ने कहा…

प्रकाश जैन जी,मैंने आपकी कविता पढ़ी।बहुत खूब लिखा हैं आपने।।जबरदस्त।।