aapki kavita mashaallaha ajedaar he aajkal hazzar me nhi chlata bazar he naukri wale ki to baat kya kare thali baithe, ki bhi kimat pahunch se bahar he
संजय, ये अच्छा व्यापार है! हम भी बिकने को तैयार हैं! बैंक में अफसर तेरा यार है! पर कीमत इसकी प्यार है! बोलो, क्या कोई खरीददार है? हा हा हा..... आशीष -- प्रायश्चित
अरे...ये तो कविता शुरू होते ही खत्म हो गई.....दूल्हों की रेटलिस्ट तो बताते....हम भी अपनी औकात पता लगाते...वैसे मीडियावालों को तो आउटडेटेड माल ही मानते हैं इस बाज़ार में भी...
दूल्हे आपके विरुद्ध हो जाएँगे. अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंवैसे इसे पढ़ कर हमारा भी मन कर रहा है कि ........पूँछ ही लें कि आपकी कुंवारेपन क्या कीमत है ?
जवाब देंहटाएंवाह क्या कहने ----"सेल" नही "भेल" हो गई....हा हा हा
जवाब देंहटाएंबहुत मजेदार! आप भी तो हो तैयार
जवाब देंहटाएंaapki kavita mashaallaha ajedaar he
जवाब देंहटाएंaajkal hazzar me nhi chlata bazar he
naukri wale ki to baat kya kare
thali baithe, ki bhi kimat pahunch se bahar he
shaandar hasye/vyang
धन्यवाद
जवाब देंहटाएं@ Bushan ji..
@ प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI जी..
@ Archna ji..
@ Arun ji..
@ ALOk KHARE JI..
सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें |
........धन्यवाद !
बिकने वाले दूल्हे कल को, देश बेच कर रख देंगे।
जवाब देंहटाएंyaar bazar to sajani hi padegi ab to..
जवाब देंहटाएं;-)
संजय,
जवाब देंहटाएंये अच्छा व्यापार है!
हम भी बिकने को तैयार हैं!
बैंक में अफसर तेरा यार है!
पर कीमत इसकी प्यार है!
बोलो, क्या कोई खरीददार है?
हा हा हा.....
आशीष
--
प्रायश्चित
यानि कि आप मानते हैं कि दुल्हों का बाज़ार लगता है ? ...एक के साथ एक मुफ्त की स्कीम कब आ रही है ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया मजेदार रचना
संगीता जी की टिप्पणी किसी चुटकुले से कम नहीं है.:))
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग्य...
जवाब देंहटाएंबधाई
डा.अजीत
अच्छा व्यंग है । किसी को तो शर्म आएगी ।
जवाब देंहटाएंis bazar mein to main bhi hoon.... koi kharidaar hai kya ...
जवाब देंहटाएंhahhaha...
.संजय जी... बहुत बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंहजार -२ में भी दुल्हे मिलते हैं!!!!!!चलिए
जवाब देंहटाएंगरीब माँ -बाप कि समस्या कुछ हद तक हल हो जायेगी.
दहेज़ रूपी दानव भी न जाने कब तक जिंदा रहेगा.
बिकने वाले तो बिक ही जाते हैं
जवाब देंहटाएंअच्छा कटाक्ष.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया क्या तुम भी हो किसी दुकान पर? मगर जानती हूँ कि तुम बिकन वाले नही। बहुत बहुत आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंकहीं कोई सेल भी लगी है क्या :D
जवाब देंहटाएंमजेदार रचना...
मुझे मेरी लिखी एक रचना याद आ गयी
जवाब देंहटाएं:) mast h...keep writing...
जवाब देंहटाएंबातों ही बातों में करारा व्यंग लिख दिया संजय जी ....
जवाब देंहटाएं... rochak vyangy !!!
जवाब देंहटाएंअरे वाह!....यहां तो माल भरा पडा है...लेकिन खरीदार ?....हा..हा...हा..
जवाब देंहटाएं@ प्रवीण पाण्डेय जी..
जवाब देंहटाएंबिकने वाले दूल्हे कल को, देश बेच कर रख देंगे।
सत्य कहा आपने परवीन जी
........धन्यवाद !
हा हा हा.....
जवाब देंहटाएंमजा आ गया
....आशीष जी
हा हा हा हा ! बहुत ही सुन्दर, शानदार और मज़ेदार लगा!
जवाब देंहटाएं@ संगीता जी....
जवाब देंहटाएंएक के साथ एक मुफ्त की स्कीम कब आ रही है
....कभी तो ऐसा भी होगा संगीता जी
@ विरेन्द्र सिंह चौहान जी....
जवाब देंहटाएंजब तक दुल्हे अपनी कमर नहीं कसेंगे
दहेज़ रूपी दानव भी न जाने कब तक जिंदा रहेगा.
धन्यवाद
जवाब देंहटाएं@ tapashwani ji..
@ Ashish ji..
@ संगीता स्वरुप जी..
@ Bhushan ji..
@ Dr.Ajeet ji..
@ डॉ टी एस दराल जी..
@ Shekhar bhai
@ विरेन्द्र सिंह चौहान जी..
@ M VERMA JI..
@ परमजीत सिँह बाली जी..
सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें |
........धन्यवाद !
धन्यवाद
जवाब देंहटाएं@ अनामिका जी..
@ निर्मला कपिला जी..
@ शुभम जैन जी..
@ Vidushi ji..
@ वन्दना ने जी..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
@ वन्दना ने जी..
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ..
अरे...ये तो कविता शुरू होते ही खत्म हो गई.....दूल्हों की रेटलिस्ट तो बताते....हम भी अपनी औकात पता लगाते...वैसे मीडियावालों को तो आउटडेटेड माल ही मानते हैं इस बाज़ार में भी...
जवाब देंहटाएं......शानदार और मज़ेदार लगा!
जवाब देंहटाएंसंजय जी ....
जवाब देंहटाएंबिकने वाले तो बिक ही जाते हैं
बहुत मजेदार! आप भी तो हो तैयार :) :)
जवाब देंहटाएंबहुत करारा व्यंग, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
धन्यवाद
जवाब देंहटाएं@ दिगम्बर नासवा जी..
@ 'उदय' जी..
@ डा. अरुणा कपूर. जी..
@ Babli ji
@ Preeti ji
@ Mahak ji
@ ताऊ रामपुरिया ने जी..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
बढ़िया मजेदार अच्छा व्यंग्य...
जवाब देंहटाएंwah kya karara vyangya kiya hai......bahut khoob.....
जवाब देंहटाएंThnx a lot for ur positive word aur ye vyangya bhi zordaar h... :)
जवाब देंहटाएंKeep writing..
ha ...ha... ha..... bahut badhiya....kaafi kam shabdo me karaaraa vyangya......exceelent....
जवाब देंहटाएंnice...sanjay ji...
जवाब देंहटाएंकरारा व्यंग ....bahut badiyan ...god bless u
जवाब देंहटाएंGooooooooood
जवाब देंहटाएंBut Its not Practicable Bhaiya.... Kehne se kuch nahi hota.
जवाब देंहटाएंवाह..बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbandhu badi shandaar vyangya hai, lekin aapne keemat kam lagayee.....:)
जवाब देंहटाएंhajar me to aaj kal dulhe ke model bhi nahi milte..:P
वाह! क्या बात है! बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंsale mein jyadatar ghatiya maal milta hai ... haan agar branded factory outlet sale ho to mumkin hai achhe grahak mil jaaein ... achha vyang
जवाब देंहटाएंbehatreen...accha vyanga
जवाब देंहटाएंजानदार-शानदार.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा और करारा व्यंग्य लिखा हैं आपने.
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
waah bahut hi mazedar post
जवाब देंहटाएंबहुत करारा कटाक्ष किया है आज के दहेज लोभी समाज पर...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएं@ Tilak ji..
@ Rewa ji..
@ Monali ji..
@ Arvind ji..
@ Rahul ji ..
@ मंजुला जी..
@ Suman ji..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
@ Shekhar ji..
जवाब देंहटाएंkyo nahi bhai ji zaroor batenge..
apke sath har lamha batenge..
धन्यवाद
जवाब देंहटाएं@ VIJAY KUMAR VERMA JI..
@ Mukesh kumar sinha ji..
@ Nilesh mathur ji..
@ क्षितिजा जी..
@ मंजुला जी..
@ Saumya ji..
@ चन्द्र कुमार सोनी जी..
@ ज्योति सिंह जी..
@ Udan Tashtari ji..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
बहुत अच्छी कविता...बधाई.
जवाब देंहटाएं________________
'पाखी की दुनिया' में अंडमान के टेस्टी-टेस्टी केले .
वाह क्या कहने
जवाब देंहटाएंachha vyngy kiya hai aapne.........par is baazar me jyadatar padhe likhe aur sabhy log hi aate hain........
जवाब देंहटाएंदूल्हों के बाजार में आप भी बिक रहे हैं क्या...मजेदार रचना
जवाब देंहटाएंक्या कह रहे हो ...दुल्हे की कीमत हजार है ..
जवाब देंहटाएंकिस ज़माने की बात कर रहे हो ...
आजकल तो मामूली सी बात भी लाखों में होती है ...!
इधर कोई बिकने को तैयार है
जवाब देंहटाएंउधर एक बाप लाचार है।
यह कैसा व्यापार है।
Sanjayji,
जवाब देंहटाएंVYANGYA ke pichey koi na koi SACHCHAI chipi hoti hai.
धन्यवाद
जवाब देंहटाएं@ Akshita pakhi
@ कविता रावत जी..
@ रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी..
@ वीना जी..
@ वाणी गीत जी..
@ तिलक राज कपूर जी..
@ Vijay Mathur ji..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
आपने तो वाकई दूल्हों का सेल लगा दिया हजार में दूल्हा भई वाह । बढिया व्यंग ।
जवाब देंहटाएंअगर हर तरफ दुल्हे का बाज़ार है तो कहिये जनाब आपका क्या हाल है ?
जवाब देंहटाएंलेख अच्छा लगा ! शुभ कामनाए !