28 सितंबर 2010

फूल की फरियाद..........!!


 क्या खता मेरी थी जालिम 
तुने क्यों तोडा मुझे ?
क्यों न मेरी उम्र तक ही
साख पर छोड़ा मुझे ?
खून मेरा अपने सर लेकर 
तुझे  क्या मिल गया ?
पेड़  के तख्ते जिगर लेकर 
तुझे  क्या मिल गया ?
जिसकी रौनक  था मैं , 
बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई  |
साख क्या कहे और किससे ?
बस तू रहम करना ठान ले |
दिल का तोडना अच्छा नहीं |
अरे नादान - ये बात तू जान ले |

.........संजय भास्कर

135 टिप्‍पणियां:

  1. बस तू रहम करना ठान ले |
    दिल का तोडना अच्छा नहीं |
    अरे नादान - ये बात तू जान ले |
    आज की कविता तो बहुत अच्छी है अच्छा सन्देश देती है। हम बिना मतलव फूलों को तोद कर फेंक देते हैं जब्कि वो दुनिया को अपनी महक से नवाज़ते हैं। बधाई इस कविता के लिये। आशीर्वाद।

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai

      हटाएं
    2. तितलियाँ बेचैन होंगी जब मुझे न पायेंगी।
      गम से भौंरे रोयेगे और बुलबुलें चिल्लायेंगी।

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    3. बेनामी8/16/2023

      Mujhe bhi yahi lag raha hai ki ye kisi bade shayer ki rachna hai

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  2. बहुत ही प्यारी कविता लिखी है संजय
    फूल और उसकी डाली के दर्द को बखूबी बयाँ किया है

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai

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  3. क्या खता मेरी थी जालिम
    तुने क्यों तोडा मुझे ?
    क्यों न मेरी उम्र तक ही
    साख पर छोड़ा मुझे ?

    बहुत अच्छे भाव की पंक्तियाँ संजय जी - एक नयापन लिए। कभी मैंने भी इसी भाव-भूमि पर एक शेर कहा था कि -

    करते हैं श्रृंगार प्रभु का समय से पहले तोड़ सुमन
    जो सड़कर बदबू फैलाये मुझको बहुत अखरता है

    सादर
    श्यामल सुमन
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  4. दिल का तोडना अच्छा नहीं |
    अरे नादान - ये बात तू जान ले |


    sunder bhav hai

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  5. साख क्या कहे और किससे ?
    बस तू रहम करना ठान ले

    -काश! ये दर्द समझ पाते..सुन्दर भाव!

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai

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  6. फूल और उसकी डाली के दर्द को बखूबी बयाँ किया है
    सुंदर रचना के लिए साधुवाद

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  7. well expressed bhaskar ji
    bahut khoob

    badhai

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  8. बे रौनक वो डाली हो गई |
    जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
    Uf! Kitni dard bhari upma hai ye!
    Behad sundar rachana!

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  9. बे रौनक वो डाली हो गई |
    जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
    kya kahun betu jee...bahut dard bhari upmaa.
    God Bless u.

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  10. धन्यवाद

    @ निर्मला कपिला जी..

    @ Rashmi ravija di

    @ श्यामल सुमन जी..

    @ Poorviya ji

    @ Sameer lal ji

    @ Sunil kumar ji

    @ Kshama ji

    @ Alok Khare ji

    @ Neelam masi ji

    @ आशीष जी..

    सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें....
    मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai

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  11. श्यामल सुमन जी..
    करते हैं श्रृंगार प्रभु का समय से पहले तोड़ सुमन
    जो सड़कर बदबू फैलाये मुझको बहुत अखरता है

    बेहतरीन .......दिल से मुबारकबाद|

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  12. बहुत सुंदर भावों को सरल भाषा में कहा गया है. अच्छी रचना.

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  13. जैसे बिन बच्चे के मां की गोद खाली हो गई
    ...बेहतरीन काव्यदृश्टि। सुंदर उपमा का प्रयोग किया है आपने।

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai

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  14. आह बहुत खूबसूरत कविता लिखी मनो दिल निचोड़ कर रख दिया हो.

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  15. truly brilliant sanjay bhaiya
    keep writing
    ....all the best

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai

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  16. साफ सपाट शब्दों में व्यक्त मन के गहरे भाव।

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  17. बहुत सुन्दर रचना । सार्थक ।

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai

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  18. Sanjay ji ...Kisi naadan bhole baalak ki tarah man ke bhaavon ko spasht likh diya hai ... bahut hi achhee rachna ...

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai

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  19. गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना...

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  20. keep writing sanjay ji
    ....... best wishes

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai

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  21. जिसकी रौनक था मैं ,
    बे रौनक वो डाली हो गई |
    जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |

    बहुत मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ ! बहुत प्यारी रचना है ! आपको बहुत बहुत बधाई !

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  22. बढ़िया है बंधू !!!

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  23. शाख और फूल का बहुत मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया ..अच्छी रचना

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  24. बहुत प्यारी रचना
    बधाई
    आशा

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  25. बेनामी9/28/2010

    ab kya karein....
    phool ki to yahi kismat hai ab kya karein...

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  26. उत्तर
    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

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  27. बहुत ही अच्छी कविता लिखी है संजय जी.बधाई

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
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  28. संजय भाई बहुत खूब भाई एक फूल की व्यथा फूल की फरियाद जिस अंदाज़ में पेश की हे उससे तो वाकई आखों से आंसू झलक आये.. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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      Mirza Anwar Baig
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  29. उत्तर
    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

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  30. बिलकुल सही कहा वो भी किसी माँ का ही अंश होती है !

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  31. सहमत हूँ आपसे.
    फूलो की सुन्दरता पौधे पर ही हैं.
    गुलदस्तों या लड़ियों में नहीं.
    धन्यवाद.
    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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    1. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  32. बे रौनक वो डाली हो गई |
    जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
    Bahut Sunder Sanjay jee.

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  33. धन्यवाद

    @ Bhushan ji

    @ mahendra verma ji

    @ Sunita didi

    @ प्रवीण पाण्डेय जी..

    @ डॉ टी एस दराल जी..

    @ दिगम्बर नासवा जी..

    @ Preeti ji

    @ Sadhana Vaid ji

    @ Amir sharma ji

    @ संगीता स्वरुप ( गीत ) जी..

    सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें....
    मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए

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  34. धन्यवाद

    @ ASha Maa

    @ Shekhar bhai

    @ शरद कोकास ने जी..

    @ Anjana ji

    @ Akhtar Khan ji

    @ Dr.Ajeet Ji

    @ Minakhi Pant ji

    @ चन्द्र कुमार सोनी जी..

    @ Mrs. Asha Joglekar ji

    aapki sabhi parti kriyaye mera hosla badhati hai...

    सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें....
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      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

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  35. बहुत प्यारी रचना

    ... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

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  36. आप गैरों की बातें करते हो ,हमने अपनों को आजमाया है ,
    लोग काँटों से बचके चलते हैं ,हमने फूलों से जख्म खाया है

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  37. एक दिल मेरे दिल को ज़ख्म दे गया ,
    जिन्दगी भर की कसम दे गया ,
    लाखों फूलों में से एक फूल चुना था हमने,
    वो भी काँटों से गहरी चुभन दे गया

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  38. अच्छी पोस्ट है जी ,साफ सपाट शब्दों में व्यक्त मन के गहरे भाव प्रस्तुत किये हैं आपने

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  39. Mahak जी !! आपका शुक्रिया - आपने जो उदाहरण दोहे के साथ दिया - बहुत सुन्दर |

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
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  40. bas hamen bhi yahi shikayat hai un logon se jo bhagwan ke naam par phoolon ki chori karte hain auron ke ghar se. Hamen shikayat hai un sabhi logon se jo aisa karte hain. aapne kavita ke madhyam se aisa kah diya. bahut accha kiya.
    ham to sabere 5 baje se uth kar jo bhi phoolon ko todta hai use samjhate hain agar samjh na aaye to fir thoda sa dantna padta hai...:)
    kyonki kisi na kisi ko to iishwar ke garden ki bhi to raksha karni padegi. Iishwar ko bhi pasand nahin hai ki unki pyari chij ko nasht karke un par chdaye.

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  41. बे रौनक वो डाली हो गई |
    जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |

    सारा दर्द यहीं उतर कर आ गया……………………बेहद संवेदनशील रचना।

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

      हटाएं
  42. क्या खता मेरी थी जालिम
    तुने क्यों तोडा मुझे ?
    क्यों न मेरी उम्र तक ही
    साख पर छोड़ा मुझे ?
    ...bahut badhiya...pyaari kavita....

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    1. ye 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

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  43. जिसकी रौनक था मैं ,
    बे रौनक वो डाली हो गई

    bahut achhe keep it up.......God bless u

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  44. वाह-वाह दिल रूमानी हो गया पढ़कर !बहुत खूब !

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    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

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  45. bahuthisundar avam ek sandesh deti rachna.
    wakai isase ham sabhi ko seekh leni chahiye.
    जिसकी रौनक था मैं ,
    बे रौनक वो डाली हो गई |
    जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई
    aapneto bahut kuchh likh diya aage kya likhun?
    poonam

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  46. बे रौनक वो डाली हो गई |
    जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
    बहुत ही प्यारी, संवेदनशील कविता है

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    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

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  47. उत्तर
    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

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  48. जिसकी रौनक था मैं ,
    बे रौनक वो डाली हो गई |
    जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
    .....bahut hi samvedansheel vimb ka prayog kiya hai... phool ki vyatha ko dardbhare andaj mein prastut kiya hai. badhai...

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  49. bahhut sunder bhav . bhadai svekaray....

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    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
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      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

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  50. bahhut sunder bhav . bhadai svekaray....

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  51. साख क्या कहे और किससे ?
    बस तू रहम करना ठान ले |
    दिल का तोडना अच्छा नहीं |
    अरे नादान - ये बात तू जान ले |


    achhi lagi

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  52. "साख क्या कहे और किससे ?"

    ek dil ki laachaari ko bahut sunder tareeke se bayan kiya hai.

    Shukriya!

    जवाब देंहटाएं
  53. धन्यवाद

    @ Tilak ji..

    @ Mahak ji..

    @ Roshni ji..

    सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें....
    मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए

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    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

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  54. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है! फूलों की तरह नाज़ुक, कोमल और संवेदनशील रचना ! बधाई!

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    उत्तर

    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

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  55. @ Adarniya Roshni ji
    bilkul aap se sehmat hoon
    ishwar to to bilkul bhi manjoor nahi ki koi pyari chijo se koi ched chad kare
    Iishwar ko bhi pasand nahin hai ki unki pyari chij ko nasht karke un par chdaye.

    जवाब देंहटाएं
  56. कविताओं पर आपकी "प्रतिक्रियाएँ ,
    मेरी पलकों को नम कर जाती हैं....
    अपनेपन का सच्चा अहसास करा जाती हैं... आपने तो मुझे नि:शब्द कर दिया है संजय जी......
    आपका अपना ही,
    शलभ गुप्ता

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  57. "बे रौनक वो डाली हो गई |
    जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |"
    बहुत खूब भाई संजय जी...
    दो पंक्तियाँ आपकी इस कविता पर....
    "फूलों का "दर्द" भी,अब कुछ कम हुआ होगा ,
    जब सहारा उन्हें,"आपके शब्दोंका मिला होगा "
    आपका अपना ही,
    शलभ गुप्ता

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  58. दिल का तोडना अच्छा नहीं |
    अरे नादान - ये बात तू जान ले |

    beautiful !

    .

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    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
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      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

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  59. दिल का तोडना अच्छा नहीं |
    अरे नादान - ये बात तू जान ले |
    ... बहुत खूब ... शानदार !!!

    जवाब देंहटाएं
  60. धन्यवाद

    @ वन्दना ने जी..

    @ Arvind ji

    @ मंजुला ने जी..

    @ पी.सी.गोदियाल जी..

    @ Poonam ji ..

    @ Rachna Didi

    @ दिगम्बर नासवा जी..

    सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें....
    आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
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    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

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  61. धन्यवाद

    @ मेरे भाव जी. @ ताऊ रामपुरिया जी..
    @ Palak ji @ Rahul ji
    @ Suman anuragi ji @ Anjana ji
    @ Babli ji @ Sulabh Gupta ji
    @ Zeal ji @ 'उदय' जी..

    मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.

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    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
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      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

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  62. बहुत सुन्दर कविता।
    वाह वाह.........

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  63. फूल(सुमन) के हृदय की अभिव्यक्ति बहुत गहराई से बयां की आपने.............

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    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
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      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

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  64. बढिया भाव लिए हर एक पंक्ति...आभार
    मेरी हौसला अफ़जाई के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया...

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  65. बेनामी9/30/2010

    bahut hi pyari kavita......

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    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

      हटाएं
  66. क्या बात है! सन्देश अच्छा पहुँचाया है कविता के माध्यम से!

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  67. गहरी अभिव्यक्ति के साथ
    बहुत ही प्यारी कविता
    आभार


    मिलिए ब्लॉग सितारों से

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    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

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  68. संजय जी .. बढ़िया लिखा है ....
    सार्थक और उम्दा रचना .
    बधाई .

    जवाब देंहटाएं
  69. धन्यवाद
    @ देव कुमार झा जी..

    @ सुमन'मीत'जी..

    @ Archana Masi ji

    @ Sonal ji

    @ Vandana ji

    @ क्रिएटिव मंच-Creative Manch

    @ विरेन्द्र सिंह चौहान जी..

    सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें....
    आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  70. बे रौनक वो डाली हो गई |
    जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
    -----------------------
    bahut hi sunder bhaav..... arthpoorn bhi sanvedansheel bhi

    जवाब देंहटाएं
  71. बस तू रहम करना ठान ले |
    दिल का तोडना अच्छा नहीं |
    अरे नादान - ये बात तू जान ले |

    बढ़िया प्रस्तुति... !!

    जवाब देंहटाएं
  72. बेहतरीन प्रस्‍तुति
    दिल के भावों की गहराई दिख रही है

    जवाब देंहटाएं
  73. क्या खता मेरी थी जालिम
    तुने क्यों तोडा मुझे ?
    क्यों न मेरी उम्र तक ही
    साख पर छोड़ा मुझे ?

    वह भाई वह.
    गज़ब का दर्द बयां कर दिया..........

    हमने तो कहीं पढ़ा था फूलों की अरदास.............
    मुझे तोड़ लेना बनमाली
    देना उस पथ पर फेंक,
    जिस पथ जायें बीर अनेक .........

    खैर जहाँ अरदास होती है, चाहत होती हैं, वहीँ व्यथा भी पनपती है और आपने उस पक्ष का भरपूर चित्रण पूर्ण सफलता के साथ किया है....

    बधाई...

    चन्द्र मोहन गुप्त

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    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

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  74. दिल का तोडना अच्छा नहीं |

    .....पर भी कभी कभी तोड़ना ही पड़ जाता है !

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  75. साख क्या कहे और किससे ?
    बस तू रहम करना ठान ले |
    दिल का तोडना अच्छा नहीं |
    अरे नादान - ये बात तू जान ले |


    संजय जी !
    शायर ए आजम निदा फाजली साहब का कलाम है...
    ‘सोच-समझवालों को थोड़ी नादानी दे मौला’...

    समझदार नादान आपकी बात समझेंगे या नही...पर उम्र भर अपने सोच के लिए यलगार होना चाहिए

    क्या खता मेरी थी जालिम
    तुने क्यों तोडा मुझे ?
    क्यों न मेरी उम्र तक ही
    साख पर छोड़ा मुझे ?

    मशाअल्लाह अभी उम्र ही क्या हुई है आपकी ?

    जवाब देंहटाएं
  76. bahut sunder bhavo kee marmik abhivykti.........
    Aabhar.

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  77. क्या खता मेरी थी जालिम
    तुने क्यों तोडा मुझे ?
    क्यों न मेरी उम्र तक ही
    साख पर छोड़ा मुझे ?
    bahut hi sundar

    जवाब देंहटाएं
  78. har mausam ka andaz hai apna ham kisi ko chorte nahi, Diwane hai haum phoolon ke magar kabhi use torte nahi.

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    उत्तर

    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

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  79. उत्तर

    1. 60 year purani urdu kavita hai jis ko sanjay ji apne naam se share kar rahe hain . ye bhi chori ki ek kism hail. naitikta ke khilaaf hai
      Mirza Anwar Baig
      mirzanwrbg@gmail.com

      ye line is tarah hain

      Jis ki raunak tha main bey raunak wo daali ho gaee

      Haif hai bachche se maan ki god khaali ho gaee

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  80. बे रौनक वो डाली हो गई |
    जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
    बहुत खूबसूरत भावों के साथ सुंदर रचना...एक फूल का दर्द

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  81. प्रिय संजय भाई,
    जिस संजीदगी से कविता में आपने अपने भाव उड़ेले है ,अद्भुत हैं .शिल्प आपकी भावनाओं को अपने लक्ष्य तक ले जाने में सफल रहा है.बधाई.

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  82. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना है|

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    1. ye urdu kavita 60 saal pahle likhi gaee hai.

      sanjay bhasker bhasker chor hai

      हटाएं
  83. साख को शाख कर लो....और फिर यह कमेंट मिटा देना.

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    उत्तर
    1. ye urdu kavita 60 saal pahle likhi gaee hai.

      sanjay bhasker bhasker chor hai

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  84. आप सभी सुधिजनों ( ब्लागरों ) को मेरी रचना सराहने और उत्साहवर्धन एवं शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
    आशा है आगे भी आपका स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा.
    सादर,
    संजय भास्कर

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  85. snjay bhaayi bhut khub ful ki vythaa kis andaaz men pesh ki he mzaa aa gya srkari parkon or niji parkon men ful todna mnaa he likhaa hota he agr vhaan is bhdde alfaz ki jgh yeh pyaari si maarmik kvita likh den to yqini tor pr khin koi ful nhin todegaa. akhtar khan akela kota rajsthan

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  86. sanjay ji ye phool ki faryad Urdu ki kavita hai. ye ham aaj se 50 year pahle apne bachpan men school men padhte thay. Afsos hua aap apne naam se is ko share kar rahe hain.
    is kavita ki last 2 line ye hain.
    Main Main bhi faani tu bhi faani sab hain faani daher men

    Ik qayamat hai magar margey jawani daher men

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    उत्तर
    1. अरे मेरे राहुल गाँधी जी, आपका स्टेटमेंट 60 साल से 50 साल पर आ गया। कोई नही हम और इंतज़ार कर लेंगे। रही बात इस कविता की तो ये सबको पता है।

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  87. Chori karna buri baat hai , ye urdu ki nazam " phool ki faryad " humare school ki kitab mein padhi thi 1986 mein jiska aapne saryanaas kar diya
    Very bad

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- संजय भास्कर