20 फ़रवरी 2022

बेटियाँ जानती हैं उनके जन्म के बाद नहीं बजेगी थाली:)

 सभी साथियों को मेरा नमस्कार कई दिनों के बाद आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ पल्लवी विनोद दी की ...रचना की पंक्तियाँ आज साँझा कर रहा हूँ उम्मीद है सभी पसंद आएगी ......!!



बेटियाँ ........
बेटियाँ जानती हैं उनके जन्म के बाद
नहीं बजेगी थाली
देवताओं को पूजा नहीं जाएगा
कोई शोर शराबा नहीं होगा
इसीलिए आमद करती हैं एक दमदार
आवाज़ के साथ
कमरे के बाहर खड़ी बुआ खिलखिला कर कहती है
इस घर में मेरा वंश चलाने वाली आ गयी।
बेटियों को पता है माँ जा चुकी है
अब नहीं आएँगी
वो पिता के कंधे पर सिर रख कर
मायके के हर रिश्ते को गले लगा कर
माँ की गंध महसूस करना चाहती है
आँख में आँसू उमड़ रहे हैं
तब तक भतीजी ने पूछ लिया
‘बुआ तुम ठीक तो हो?’
वो मुस्कुरा रही है,
मेरी उदास आँखों को पढ़ने वाली इस घर में मौजूद है !!

सुंदर लेखन के लिए पल्लवी जी को हार्दिक शुभकामनाएँ.......!!

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना

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  2. अंतर की गहन व्यथा
    जीवन की विडंबना
    शब्दों में पिरो दी पल्लवी जी ।

    संजय जी, साझा करने के लिए आपका हार्दिक आभार ।

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  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (21-02-2022 ) को 'सत्य-अहिंसा की राहों पर, चलना है आसान नहीं' (चर्चा अंक 4347) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:30 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  4. अत्यंत मार्मिक रचना वा हृदय स्पर्शी! 💔

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  5. बहुत सुंदर सृजन।
    सादर

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  6. हर पंक्ति मन में उतर गई । मैने भी कभी इस बात के लिए प्रश्न उठाया था । धीरे धीरे ही सही परिवार में अब कुछ बदलाव के संकेत दिख रहे हैं.. हृदयस्पर्षी सृजन ।

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  7. बहुत खूब ...
    दिल को चूने वाली रचना ...

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  8. बहुत अच्छी रचना प्रस्तुति

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  9. बहुत मर्मस्पर्शी सृजन ।

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- संजय भास्कर