ये मैं अच्छी तरह से
जानता हूँ माँ
तुम कभी नही आओगी
फिर भी
मैं तुम्हारी प्रतिक्षा करता
रहूँगा
कि तुम मेरी दुनिया मे कब
वापस लौट कर आओगी
और मुझे सोते देख
अपना हाथों से
प्यार भरा स्पर्श कर जाओगी
मुझे उठा कर अपनी बातों से
मेरी हिम्मत बढ़ाओगी
जिसे खो चुका हूँ मैं
माँ तुम्हारे जाने के बाद !!
- संजय भास्कर
नमन मां के लिए
जवाब देंहटाएंमाँ जाने बाद भी सदा साथ होती है हमारी यादों में
जवाब देंहटाएंबहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन।
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(२१-१०-२०२१) को
'गिलहरी का पुल'(चर्चा अंक-४२२४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
मां तो आखिर मां होती है
जवाब देंहटाएंबच्चों की जां होती है!
मां के बिना यह दुनिया सुनी लगती है
नमन मां को🙏🙏
बहुत ही मार्मिक और हृदय स्पर्शी सृजन!
बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंमैं अच्छी तरह से जानता हूँ माँ, तुम कभी नही आओगी ! फिर भी मैं तुम्हारी प्रतिक्षा करता रहूँगा''
जवाब देंहटाएंबेहद मार्मिक ! नहीं भूलती माँ जिंदगी भर
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमाँ सदा बच्चों के साथ रहती है आशीर्वाद के रूप में । बेहद मर्मस्पर्शी सृजन ।
जवाब देंहटाएंये मैं अच्छी तरह से
जवाब देंहटाएंजानता हूँ माँ
तुम कभी नही आओगी
फिर भी
मैं तुम्हारी प्रतिक्षा करता
रहूँगा ,,,,,,, बहुत मार्मिक रचना मैंने भी कोविड की वजह से मॉं को खोया है,हर जगह मॉं ही नज़र आती है ।मुझे मेरी अपनी सी लगी ये रचना,मॉं जी को सादर प्रणाम ।
श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावनात्मक लेखन....नमन |
जवाब देंहटाएंमन को छू गई आपकी रचना संजय जी । और मां के बारे में जानकर अपार दुख हुआ, उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🙏
जवाब देंहटाएंमाँ की यादों में डूबी कलम बहुत कुछ कह रही है ...
जवाब देंहटाएंमाँ वैसे तो आस पास ही रहती है बच्चों के .... अपनी यादों से ही कमाल कर जाती है ...
मां शब्द नाजुक कोमल ममता से ओतप्रोत करने वाली प्रवाह जिसे सिर्फ महसूस कर सकते हैं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति
मां को श्रद्धांजलि 🙏🙏
जवाब देंहटाएंजाने वाले कभी लौट कर नहीं आते। मां का रिश्ता तो ऐसा होता है जिसकी कमी पूरी नहीं की जा सकती। पर मां का आशीर्वाद सदैव बच्चों पर बना रहता है।
मार्मिक चित्रण
माँ की मधुर स्मृति
जवाब देंहटाएंआपको दे शक्ति
सरल शब्दों में सहज अभिव्यक्ति.
माता जी को नमन 🙏
जवाब देंहटाएंबेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
बहुत दुखद समाचार है प्रिय संजय और उससे भी अधिक दुखद है कि इतने दिन बाद मैं यहां आई हूं। मां को खोना जीवन की सबसे बड़ी क्षति है। मार्मिक रचना में मां को खोने की पीड़ा छुपी है। कितना भी समझाओ मन को सुकून नहीं आता। मां की पुण्य स्मृति को सादर नमन। यही कहना चाहूंगी कि मां हमारे संस्कारों और विचारों में सदैव रहती है।
जवाब देंहटाएंरेणु जी, बहुत सच्ची और अच्छी बात कही आपने.
जवाब देंहटाएंमाँ हमारे विचारों और संस्कारों में जीवित रहती हैं.
हार्दिक संवेदना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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