सभी साथियों को नमस्कार कुछ दिनों से व्यस्ताएं बहुत बढ़ गई है इन्ही कारणों से ब्लॉग को समय नहीं दे पा रहा हूँ पर ...आज आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी नई रचना जिसे मैं करीब २ वर्ष पहले लिखा था के साथ ताज महल पर उपजी है ये कुछ लाइने उम्मीद है आपको पसंद आये.........!!
( चित्र गूगल से साभार )
यमुना नदी के किनारे
नीले पानी के साथ
बना है ऐतिहासिक ताजमहल
कहते है वो निशानी है किसी के प्यार मोहब्बत की
शायद इसीलिए कई वर्षो से
खड़ा होकर ताकता रहता है
मोहब्बत करने वालो को
मैं देख नहीं पाया हूँ अभी तक ताजमहल
पर जब भी कहीं
देखता हूँ ताज की तस्वीर
महसूस कर लेता हूँ ताज का आकर्षण
वो संगमरमर से तराशा हुआ
सफ़ेद ताज खड़ा है पूरी शान के साथ
और बसा हुआ है हर एक हिंदुस्तानी के दिल में
जो खींच लाता है
अपने चाहने वालो को चाहे वो देश के
किसी कोने में क्यों न हो..... !!
-- संजय भास्कर
जी,बिल्कुल सही कहा आपने:)
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना संजय जी
दो पंक्तियाँ आपकी रचना के लिए-
श्वेत संगमरमर को तराशकर
इश्क़ की ज़िंदा निशानी छोड़ गया
गूँज रही फिज़ां में आजतक
वफा की वो पाक कहानी छोड़ गया
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22.11.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3163 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
ताज के आकर्षण और कशिश को बहुत खूबसूरती से शब्दों मेँ पिरोया है आपने कि रचना को पढ़ते हुए नजरों के सामने ताज की तस्वीर उभर आए । बहुत सुन्दर सृजन संजय जी ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व दूरदर्शन दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंबहुत सरलता से सब कुछ कह देने की कला में माहिर हमेशा की तरह सुन्दर और प्रभावित करती पंक्तियाँ | बहुत सुन्दर बन पड़ी है संजय |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंफिर भी दिल है हिन्दुस्तानी ...
जवाब देंहटाएंसच है इसकी ख़ूबसूरती खींच लाती है सबको ...
अच्छी रचना संजय जी ....
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंताजमहल की खूबसूरती को खूबसूरत अंदाज़ में पेश करने के लिए आप धन्यवाद। जय हिन्द।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना बधाई
जवाब देंहटाएंसमय मिला तो हमारे ब्लोक पर आयीये
फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी ...
जवाब देंहटाएंसच है इसकी ख़ूबसूरती खींच लाती है सबको