01 नवंबर 2018

वो आकर्षण :)

चित्र - गूगल से साभार


कॉलेज को छोड़े करीब 
नौ साल बीत गये !
मगर आज उसे जब नौ साल बाद 
देखा तो 
देखता ही रह गया !
वो आकर्षण जिसे देख मैं 
हमेशा उसकी और
खिचा चला जाता था !
आज वो पहले से भी ज्यादा 
खूबसूरत लग रही थी 
पर मुझे विश्वास नहीं 
हो रहा था !
की वो मुझे देखते ही 
पहचान लेगी !
पर आज कई सालो बाद 
उसे देखना 
बेहद आत्मीय और आकर्षण लगा 
मेरी आत्मा के सबसे करीब ..............!!

-- संजय भास्कर  

14 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 03 नवम्बर 2018 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बेहद खूबसूरत भावों का सृजन संजय जी ।

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  3. सुंदर.भावपूर्ण कविता

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  4. वाह, इस अहसास की बात ही कुछ और है । बहुत सुंदर संजय जी .

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  5. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं संजय जी ।

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  6. सहज,निर्मल,सुकुमार सुन्दर!

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  7. प्रेम और आकर्षण ऐसे हो बोलता है ...
    कोई पुराना मिले तो सहसा विश्वास नहीं होता ... छल आता है झरना यादों के साथ ...
    अच्छी रचना संजय जी ....

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  8. बहुत सुंदर रचना 👌

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  9. बहुत ही सुन्दर रचना

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  10. कम ही कविताएं होती हैं जिसके शब्दों को पढ़कर पढ़ने वाला उन शब्दों से अपने आप को जोड़ लेता है। उन्हीं में से एक कविता ये भी है। साधुवाद संजय भास्कर जी ....सृजन जारी रखिये

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  11. बहुत कुछ न कहते हुए भी बहुत कुछ कह दिया इन शब्दों में ...

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- संजय भास्कर