ब्लॉगजगत के सभी साथियों को मेरा नमस्कार काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत से दूर था करीब तीन महीने के पश्चात वापिस आना हो पा रहा है इस बीच कई बार पारिवारिक परेशानियां और स्वास्थ्य में उतार चढाव होते रहे पर एक बार पुनः वापसी के तैयार हूँ एक लंबे अंतराल के बाद और उम्मीद करता हूँ आप सभी का इस पटल निरंतर आगमन होगा..... वापसी एक पुरानी कविता से उम्मीद है पसंद आये !!
रोज़ सुबह उठते हुए
अकसर कुछ खो जाता है
कभी अधूरे सपने तो कभी उनका मज़मून.
'क्या देखा था.. कौन-कौन मिले थे'
..प्रश्न थोड़ी-थोड़ी देर में कौंधते हैं.
वैसे ही बचपन में साथ पढ़े
जब चेहरा बदलकर बीस-तीस वर्ष बाद मिलते हैं.
तो कुछ खो सा जाता हूँ...
'कहीं तुम वो तो नहीं', 'तुम्हें कहाँ देखा है' जैसे प्रश्न मन में अनायास घुस आते हैं.
-- संजय भास्कर
रोज़ सुबह उठते हुए
अकसर कुछ खो जाता है
कभी अधूरे सपने तो कभी उनका मज़मून.
'क्या देखा था.. कौन-कौन मिले थे'
..प्रश्न थोड़ी-थोड़ी देर में कौंधते हैं.
वैसे ही बचपन में साथ पढ़े
जब चेहरा बदलकर बीस-तीस वर्ष बाद मिलते हैं.
तो कुछ खो सा जाता हूँ...
'कहीं तुम वो तो नहीं', 'तुम्हें कहाँ देखा है' जैसे प्रश्न मन में अनायास घुस आते हैं.
-- संजय भास्कर
क्या देखा था ? कौन-कौन मिले थे ?... सवाल उठना लाजिमी है. और इन्हीं सवालों में जिंदगी खप जाती है. अगर नहीं कुछ ख़त्म होता है तो वो है- आत्मीयता।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "फ़ाइल ट्रांसफर - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण कविता..
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंजब चेहरा बदलकर बीस-तीस वर्ष बाद मिलते हैं.
तो कुछ खो सा जाता हूँ...
वाह!!
सही कहा - ज़िन्दगी भी सोने और जागने के बीच में उन प्रश्नों का जवाब ढूंढती कहीं खो जाती है ....मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया - आशा करती हूँ की आपकी जो भी परेशानियां हैं कुछ काम हुई होंगी -
जवाब देंहटाएं. खुबसूरत भावों की प्रस्तुत करती कविता।
जवाब देंहटाएंऐसा होना तो बहुत ही स्वाभाविक है ... क्योंकि धुंधली परतों पर चेहरे की नयी परतें जो आ जाती हैं ...
जवाब देंहटाएंस्वागत है आपका पुनः ...
वाह !! यथार्थ का सुंदर चित्रण ।
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
Bahut bhavpurna....
जवाब देंहटाएंMere blog par aapka swagat hai.
सुन्दर शब्द रचना
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
बीस-तीसस वर्ष बाद खुद से यह सवाल कही तुम वो तो नही बहुत बढिया लगा । आपने चार लाइनों में जिन्दगी के हर रंग लिख दिए है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसाथॆक प्रस्तुतिकरण......
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लाॅग की नयी पोस्ट पर आपके विचारों की प्रतीक्षा....
बहुत सुंदर रचना । वाह!!!
जवाब देंहटाएं'कहीं तुम वो तो नहीं'...सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमन के भाव सहजता से शब्दों मे पिरोती सुंदर रचना आपकी👌👌
जवाब देंहटाएंसंजय जी बढ़िया लिखा है। और सुनाओ क्या हाल-चाल है?
जवाब देंहटाएंसुन्दर।
जवाब देंहटाएंआप सदैव स्वस्थ व प्रसन्न रहें बहुत सुन्दर लिखते हैं .
जवाब देंहटाएंयदि आप कहानियां भी लिखते है तो आप प्राची डिजिटल पब्लिकेशन द्वारा जल्द ही प्रकाशित होने वाली ई-बुक "पंखुड़ियाँ" (24 लेखक और 24 कहानियाँ) के लिए आमंत्रित है। कृपया आमंत्रण स्वीकार करें और हमें अपनी कहानी ई-मेल prachidigital5@gmail.com पर 31 अगस्त तक भेज दें। इस ई-बुक में आप लेखक के अलावा इस ई-बुक की आय के हिस्सेदार भी रहेंगे। तो देर किस बात की उठाईये कलम और भेज दीजिए अपनी कहानी। अधिक जानकारी के लिए https://goo.gl/ZnmRkM पर विजिट करें।
जवाब देंहटाएं- Team www.iBlogger.in
(A part of PRACHI DIGITAL PUBLICATION)