27 जनवरी 2016

मैं बस जीना चाहता हूँ :))

चित्र - गूगल से साभार
उड़ जाना चाहता हूँ मैं
खोल के बाहें अपनी
थामना चाहता हूँ मैं
सारे आसमान को,
मैं बस उड़ना चाहता हूँ
मत रोको अब
मुझ मतवाले को,
मैं जीना चाहता हूँ !
बस अपनी धुन में
नापना चाहता हूँ
सागर की गहराइयों को,
घर बनाना चाहता हूँ
आसमान में
दोस्ती कर पर्वतो से
हिमालय को झुकाना चाहता हूँ !
मैं बस जीना चाहता हूँ.......!!

-- संजय भास्कर

सभी साथियों को मेरा नमस्कार कुछ दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ ज़िंदगी की भागमभाग से कुछ समय बचाकर आज आप सभी के समक्ष उपस्थित हूँ  !

32 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन जो उन्मुक्त हो तो कितना सुन्दर
    बहुत बढ़िया, साभार !!

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28 - 01 - 2016 को चर्चा मंच पर चर्चा -2235 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - भारत भूषण जी की पुण्यतिथि में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  4. परिंदों की तरह जीना कितना सूकून भरा होता है । बहुत सुंदर ।

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  5. वाह , बहुत सुन्दर ख्वाहिश ।

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  6. वाह , बहुत सुन्दर ख्वाहिश ।

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  7. उत्साह अपरिमित और स्वयं पर विश्वास..

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  8. एक आसमानी उड़ान.. एक लम्बी छलांग आत्मविश्वास की ..
    बहुत सुन्दर ...

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  9. बहुत खूब , मंगलकामनाएं उड़ानों के लिए !

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  10. सुंदर भावपूर्ण रचना..

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  11. बहुत खूब लिखते रहिये

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  12. वाह....सुन्दर भाव.....अच्छी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई.....

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  13. हौसले का नाम जि़ंदगी है ।....अच्छी रचना ।

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  14. मैं बस जीना चाहता हूँ,बहुत खूब/

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  15. उड़ान का हक़ तो सभी को है संजय जी ... सब किसी को जीना चाहिए ...
    ऐसे ही लिखते रहें ....

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  16. Very Nice Post....

    लेकिन आप अभी भी अपनी Website में बहुत सी गलतियाँ कर रहें है | Really आपको अपने Blog में बहुत से सुधार करने की जरूरत है. For Get Success In Blogging Please visit : http://techandtweet.in

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  17. बहुत अच्छी कविता। बहुत बहुत बधाई संजय।

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  18. नमस्कार संजय भाई|
    सुंदर रचना |

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  19. नमस्कार संजय जी .....क्या खूब लिखा है

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  20. बहुत सुंदर भैया।

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  21. नापना चाहता हूँ
    सागर की गहराइयों को,
    घर बनाना चाहता हूँ
    आसमान में


    areyy aap to bahut kuch chaahte hain...:)...aur yhii chahte jindgi ko aur jindaadil bnaa deti hain

    संजय ji,....bahuttt dino baad aa paayi is traf....ab alsar kam hi aa paati hun vaise....

    aapko pdhnaa achaa lga..sukhdaayi....aayi to jana aap bhi zindhi mee vaysat... :)

    aate rahiye...likhte rahiye
    take care

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  22. हौसलों की उडा़न, प्रतीक्षा में आसमान। गज़ब की रचना । बहुत अच्छी लगी संजय जी।

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  23. ख्वाहिशों के आसमान में उड़ जाना चाहता हूँ
    मैं भी अपनी एक आसमान बनाना चाहता हूँ।
    बहुत खूब संजय जी

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  24. जीने की ख्वाइश का अद्भुत चित्रण !

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  25. गज़ब की रचना । बहुत अच्छी लगी संजय जी।

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  26. नापना चाहता हूँ
    सागर की गहराइयों को,
    घर बनाना चाहता हूँ
    आसमान में
    ........ ख्वाइश का अद्भुत चित्रण !

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  27. वाह !!बहुत सुंदर ।

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  28. बहुत अच्छी सोच .उम्दा चित्रण‎ .....,

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- संजय भास्कर