( चित्र - गूगल से साभार )
तेरे डिब्बे की वो दो रोटियाँ..
कहीं बिकती नहीं..
माँ, महंगे होटलों में आज भी..
भूख मिटती नहीं...!
ये पंक्तियाँ मझे
Mother's Day पर
SMS में मिली, काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत से दूर था आज समय मिला तो आप सब से साँझा कर लीं !
--
संजय भास्कर
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंGod bless you
सुन्दर पंक्तियाँ.....
जवाब देंहटाएंअनु
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन पेड़ों के दर्द को क्यों नही समझते हम - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंमाँ के हाथ की बनी रोटी कहीं मिल ही नहीं सकती उस पर तो एकाधिकार होता है |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव |
कम शब्दों में सब कुछ ..........
जवाब देंहटाएंमाँ के हाथों बने खाने का स्वाद ही अलग होता है. माँ के हाथ में जादू होता है.
जवाब देंहटाएंWaah...
जवाब देंहटाएंVery beautiful lines
जवाब देंहटाएंtoo good
जवाब देंहटाएंमाँ के हाथों के रोटियों की बात ही कुछ और है !
जवाब देंहटाएंसुन्दर पंक्तियाँ !
बिल्कुल सच...
जवाब देंहटाएंमाँ की ममता में डुबी हुई बहुत सुन्दर पंक्तियां..
जवाब देंहटाएंउन रोटियों का स्वाद भला और कहाँ मिल सकता है
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंBilkul sach hai... maa ke haathon ki rotiyan sansar ke kisi aur kone mein bhi nahi mil sakti chahe wo kitni bhi aalishaan jagha kyu na ho...
जवाब देंहटाएंसच है..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर........शब्दो की कमी है मेरे पास इस कृति के लिये॥
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच...सुन्दर पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंgagar me sagar hai ye abhivyakti. maa ki mamta aur sneh ka bhala kya mol. use vyakt karne ke liye to shabd bhi kam pad jate hain.
जवाब देंहटाएंमांँ के हाथों की रोटियाँ भी पकवान हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंलाजवाब..कम शब्दों मे बहुत कुछ कहती रचना।।।
जवाब देंहटाएंसंजय भाई एक छोटी रचना बड़ी बात कह गयी माँ के हाथ की तो मिटटी भी सोना लगती है उसके स्नेह के आगे सब फीका
जवाब देंहटाएंभ्रमर 5
Beautiful lines and thanks for sharing.
जवाब देंहटाएंBeautiful lines and thanks for sharing.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .......शुक्रिया
जवाब देंहटाएंअमूल्य पंक्तियां !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...बहुत आत्मीय पंक्तियां ...
जवाब देंहटाएंअसली तृप्ति माँ के हाटों के स्वाद से ही होती है ... मन को छूती पंक्तियाँ हैं ...
जवाब देंहटाएंएक यही तो सच है........वाह....
जवाब देंहटाएं............मैंने भी महसूस किया है....
माँ की अलोनी रोटियों में भी जो स्वाद था ,
होटल का चटपटा भी न भोजन लगा मुझे II
http://www.drhiralalprajapati.com/2013/01/blog-post_12.html
Maa ka pyar anokha hai.... uska koi mol nahi....
जवाब देंहटाएंदिल को छू लिया, इन दो पंक्तियों ने ! बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंदो लाइनो में कितना कितना कुछ सिमटा हुआ है
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी रचना
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सर! बहुत सही पिरोया है अपने शब्दों को कविता में..
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंइन पंक्तियोें ने मन को छू लिया ...आभार साझा करने के लिये
जवाब देंहटाएंBeshan kee sondhi roti par khatti chatni jaisi maa!!!
जवाब देंहटाएंbahut sachchi baat,..
जवाब देंहटाएंma ke haath ki roti
bahut yaad aati hai
kyuki ma ushe behad
pyaar se khilati hai..
Seema
(asal me maine bhi ma ki roti par kuch likh rakha hai..kisi din daalungi apne blog par...)
Sanjay ji thanks a lot ...
bahut sachchi baat,..
जवाब देंहटाएंma ke haath ki roti
bahut yaad aati hai
kyuki ma ushe behad
pyaar se khilati hai..
Seema
(asal me maine bhi ma ki roti par kuch likh rakha hai..kisi din daalungi apne blog par...)
Sanjay ji thanks a lot ...
bahut sachchi baat,..
जवाब देंहटाएंma ke haath ki roti
bahut yaad aati hai
kyuki ma ushe behad
pyaar se khilati hai..
Seema
(asal me maine bhi ma ki roti par kuch likh rakha hai..kisi din daalungi apne blog par...)
Sanjay ji thanks a lot ...
दिल को छू लिया, इन दो पंक्तियों ने ! बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंआभार साझा करने के लिये
जवाब देंहटाएंAwesome ......,
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