ब्लॉगजगत में वन्दना अवस्थी दुबे एक जाना पहचाना नाम है (अपनी बात -- वक्त के साथ चलने की लगातार कोशिश है वंदना जी की ) से प्रभावित है ! वंदना दुबे जी के लेखन की जितनी भी तारीफ की जाए कम है ....हमेशा ही संवेदन शील विषय पर किस्सा कहानी हमेशा ही दिल को छूकर गुजरता है और हमेशा ही कुछ नया और छाप छोड़ता हुआ विषय चाहे कोई भी हो शब्द बनते चले जाते है क्योंकि उनका मानना है वक्त के साथ ही चलने में भलाई है और मुझे तो हमेशा ही उनकी हर पोस्ट से एक नई प्रेरणा मिलती है..........!!!
एक लम्बे समय से मैं वंदना दीदी के ब्लॉग पढ़ रह हूँ परिकल्पना समारोह लखनऊ में उनसे मिलने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ था और उनसे मिल कर बहुत प्रभावित हुआ और आज समय मिलते ही सोचा वंदना जी के बारे में कुछ लिखा जाये
क्योकि उनके लिखने का अंदाज ही ऐसा है कि पाठक अपने आप ही उनके ब्लॉग पर खिंचा चला आता है....उनके लेखन ने हमेशा ही प्रेरणा मिली है ब्लॉगजगत को प्रभावित किया है और उनके अपार स्नेह के कारण ही आज ये पोस्ट लिख पाया हूँ...!!!
वंदना दुबे जी की एक पुरानी रचना दो घड़ी का सन्नाटा ,हम कहाँ से पायें? की कुछ पंक्तिया साँझा कर रह हूँ.............!!
मुट्ठी भर दिन
चुटकी भर रातें,
गगन सी चिंताएँ,
किसको बताएं?
जागती सी रातें,
दिन हुए उनींदे,
समय का विलोम
कैसे सुलझाएं?
भागती सी सड़कें,
खाली नहीं आसमान,
दो घड़ी का सन्नाटा ,
हम कहाँ से पायें ?
वंदना दीदी की लेखनी से प्रभावित होकर ही आज उनके के बारे में लिख पाया हूँ ...पर शायद किसी के बारे में लिखना मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है......!!
सुंदर लेखन के लिए वंदना दीदी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ........!!
(C) संजय भास्कर
एक लम्बे समय से मैं वंदना दीदी के ब्लॉग पढ़ रह हूँ परिकल्पना समारोह लखनऊ में उनसे मिलने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ था और उनसे मिल कर बहुत प्रभावित हुआ और आज समय मिलते ही सोचा वंदना जी के बारे में कुछ लिखा जाये
क्योकि उनके लिखने का अंदाज ही ऐसा है कि पाठक अपने आप ही उनके ब्लॉग पर खिंचा चला आता है....उनके लेखन ने हमेशा ही प्रेरणा मिली है ब्लॉगजगत को प्रभावित किया है और उनके अपार स्नेह के कारण ही आज ये पोस्ट लिख पाया हूँ...!!!
वंदना दुबे जी की एक पुरानी रचना दो घड़ी का सन्नाटा ,हम कहाँ से पायें? की कुछ पंक्तिया साँझा कर रह हूँ.............!!
मुट्ठी भर दिन
चुटकी भर रातें,
गगन सी चिंताएँ,
किसको बताएं?
जागती सी रातें,
दिन हुए उनींदे,
समय का विलोम
कैसे सुलझाएं?
भागती सी सड़कें,
खाली नहीं आसमान,
दो घड़ी का सन्नाटा ,
हम कहाँ से पायें ?
वंदना दीदी की लेखनी से प्रभावित होकर ही आज उनके के बारे में लिख पाया हूँ ...पर शायद किसी के बारे में लिखना मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है......!!
सुंदर लेखन के लिए वंदना दीदी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ........!!
(C) संजय भास्कर
खाली नहीं आसमान,
जवाब देंहटाएंदो घड़ी का सन्नाटा ,
हम कहाँ से पायें ?
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vandnaji ke baare me batane ke liye aabhaar sanjayji....
सार्थक लेखन करती हैं वन्दना जी हमेशा ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया काम , संजय भाई आपकी प्रस्तुति से काफी प्रभावित हुआ , आ. वंदना जी व संजय भाई को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंनवीन प्रकाशन - ~ रसाहार के चमत्कार दिलाए १० प्रमुख रोगों के उपचार ~ { Magic Juices and Benefits }
वंदना जी के लेखन पढ़ना मुझे भी बहुत अच्छा लगता है ....
जवाब देंहटाएंहर्दिक शुभ कामनाये
किसी पर लिख लेना कुछ बहुत कुछ होता है । बहुत सुंदर :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ !
वंदना अवस्थी जी के बारे में बताने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंवंदना अवस्थी जी के बारे में बताने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन 'OPEN' और 'CLOSE' - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएं" वन्दना दी " मेरे लिये तो ये शख्सियत अच्छी भाषा शैली के साथ स्नेह की भी पहचान है .....
जवाब देंहटाएंवन्दना जी की इतनी खूबसूरत एवं बेहतरीन रचना हम सबसे साझा करने के लिये शुक्रिया संजय ! अनंत शुभकामनायें वन्दना जी को भी एवं आपको भी !
जवाब देंहटाएंब्लॉगर परिचय (कृतित्व और व्यक्तित्व )संजय भाई सहानुभूति और स्नेह संसिक्त होकर लिखते हैं। कायम रहे उनकी यह विनम्रता और प्रशंशा करने का सहज भाव। शुक्रिया संजय भाई आपकी टिप्पणियों का।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता..आभार वन्दना जी से परिचय करवाने के लिए..
जवाब देंहटाएंवन्दना जी का लेखन निश्चय ही उत्कृष्ट है ।
जवाब देंहटाएंअच्छी शृंखला है.. जारी रखो!! वन्दना जी प्रशंसकों में हमारा भी नाम है!! बेहतर लिखने, बेबाक लिखने, सम्वेदनशील लिखने और सार्थक लिखने वाले ब्लॉगर्स में इनका एक अपना ही स्थान है!!
जवाब देंहटाएंवन्दना जी का लेखन हमेशा दिल को छूता है ... आपके भाव उनकी कलम को सार्थक कर रहे हैं संजय जी ...
जवाब देंहटाएंसंजय जी, हमे वन्दना जी से मिलने का सौभाग्य तो नही मिला , हां पढा जरूर है, तुमने बिल्कुल सही ही लिखा है उनकी लेखनी के बारे में
जवाब देंहटाएंkhubsurat or sarthak rachna....aapke madhyam se padh pai...
जवाब देंहटाएंवन्दना जी को मै भी पठती रहती हूँ। आपके इस लेख से और समृध्द हुई।
जवाब देंहटाएंजब कोई दिल से लिखता है तो वो लेखन में दिखता है
जवाब देंहटाएंवंदना दीदी के लेखन में वाकई जादू है
इतनी अच्छी प्रस्तुति के लिए शुक्रिया !
अच्छा काम कर रहे हैं आप....उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@मतदान कीजिए
नयी पोस्ट@सुनो न संगेमरमर
अरे वाह.... यहां तो हम छाये हुए हैं भाई :) तुम्हारी वजह से संजय :) ये सब आप लोगों का स्नेह है, जो इतना मान दे रहे...बहुत-बहुत आभारी हूं, आप सब्की और संजय की. एक बार फिर आभार. राहुल जी, वंदना गुप्ता जी, आशीष भाई जी, विभारानी श्रीवास्तव जी, सुशील कुमार जोशी जी, राजीव कुमार झा जी, अंजू चौधरी जी, ब्लॉग बुलेटिन, निवेदिता, साधना वैद जी, वीरेन्द्र जी, अनीता जी, चला बिहारी ब्लॉगर बनने, नवीन जी, दिगम्बर नासवा जी, नवीन जी, अपर्णा जी, अपर्णा त्रिपाठी जी, आशा जोगलेकर जी, शिवनाथ जी, प्रसन्न वदन चतुर्वेदी जी. तहे दिल से शुक्रगुजार हूं.
जवाब देंहटाएंमुट्ठी भर दिन
जवाब देंहटाएंचुटकी भर रातें,
गगन सी चिंताएँ,
किसको बताएं?
बहुत सुन्दर वंदना जी के रचना की पंक्तियाँ है !
संजय, उनके प्रति आपका स्नेह आलेख को और भी सार्थक बना दिया है !
बहुत बहुत आभार परिचय करवाने का !
अंजुली भर वक्त हमें भी मिला है, लिखने पढ़ने में इस्तेमाल करने की ठानी है...ब्लॉग जगत मे वापिसी हुई है तो बहुत कुछ नया पढ़ने को मिलेगा..जल्दी ही वन्दनाजी के ब्लॉग़ को पढ़ते हैं...
जवाब देंहटाएंMoving verse by her. Thanks for sharing.
जवाब देंहटाएंवन्दना अवस्थी दुबे जी के बारे में जानकारी देने के लिए आभार... ब्लॉग देखने की इच्छा प्रबल हो गयी है...आज ही उनके ब्लॉग पर जाऊँगा...
जवाब देंहटाएंबड़ी ही सुंदर रचना है वंदना जी की।
जवाब देंहटाएंआपने उनका परिचय बखूबी दिया। इस पोस्ट को पढ़ कर मैं वंदना जी के लेखन के और भी नमूने पढ़ना चाहूंगी।
bahut achhe se parichay diya hai.
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
बहुत ही बढ़िया जी
जवाब देंहटाएंThnx for providing info about this great writer :)
जवाब देंहटाएंआपकी नजर से वंदना जी .....बहुत सुन्दर .....
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता......
:-)
मुकेश कुमार सिन्हा जी, सुमन जी, मीनाक्षी जी, सरू सिंघल जी, हिमकर श्याम जी, नम्रता कुमारी जी, प्रीति स्नेह जी, गोपाराम जी, अभिषेक शर्मा जी, रीना मौर्या जी, आप सबकी सराहना ने मेरा उत्साहवर्धन किया है. एक बार फिर संजय आपकी आभारी हूं. स्नेह सहित-
जवाब देंहटाएंवन्दना जी के बारे में और उनकी सुन्दर रचना प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी। .
जवाब देंहटाएंBehad umda... Vandana ji ki likhi panktiyon ko padh kar mann mein kai saari bhawanayien utpann ho gai... bohot sunder.
जवाब देंहटाएंAapko bohot bohot dhanyawaad vandana ji aur unke jaise kai kohinooron ki chamak dur dur tak failane ke liye.
बहुत अच्छा ज़ी आपके विचार मनप्रसन्न कर गए |
जवाब देंहटाएंवंदना जी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा ! सुंदर, प्रभावी प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएं"खाली नहीं आसमान,
जवाब देंहटाएंदो घड़ी का सन्नाटा ,
हम कहाँ से पायें ?"
So true for these times!
Vandana Awasthi ji ke baare me bataane ke liye aur itni sunder rachna padhwaane ke liye aapka aabhaar.....!!
जवाब देंहटाएंबड़ी ही सुंदर रचना है वंदना जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सही लिखा है आपने वंदना जी...,संजय जी धन्यवाद
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