26 सितंबर 2013

संग्रहनीय लेखन बड़ी शख्सियत -- प्रवीण पाण्डेय जी :))

आज सुबह ब्लॉग पढ़ते - पढ़ते अचानक न जाने कब  प्रवीण पाण्डेय जी की करीब २ वर्ष पुरानी रचना .....जलकर ढहना कहाँ रुका है की कुछ लाइन याद आ गई ............शायद कुछ लाइन आपको भी याद होगी !
ब्लॉगजगत में मैं  प्रवीण पाण्डेय जी ( न दैन्यं न पलायनम् )से सदा प्रभावित रहा हूँ ! प्रवीण पाण्डेय जी ब्‍लॉगजगत की ऐसी शख्सियत हैं जिनकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है इनका जानकारी भरा लेखन का प्रत्‍येक शब्‍द दिल को छूकर गुज़र जाता है चाहे किसी भी विषय पर लिखे शब्द अपने आप बनते चले जाते है जो उनकी ऊर्जावान जीवन शैली का प्रतीक है..............!!!


   मैं काफी समय से पाण्डेय जी के बारे में लिखना चाहता था पर...... समय के आभाव के कारण नहीं पता था  आज इन पंक्तियो के याद आते ही प्रवीण जी के लिए लिखने का समय निकल ही लिया और सोचा आप सभी को इस रचना से दोबारा रूबरू करवा दूं करीब चार सालो से पाण्डेय जी को पढ़ रहा हूँ उनके लिखने का अंदाज ही अलग है मुझे क्या पूरे  ब्लॉग जगत को  बहुत ही भाता है ...... उनकी हर पोस्ट से कुछ न कुछ सिखने को मिलता है मैं हमेशा ही उनके लेखन से प्रभावित होता हूँ और उनके अपार स्नेह के कारण ही आज ये पोस्ट लिख रहा हूँ  ..............................!!!


आशा नहीं पिरोना आता, धैर्य नहीं तब खोना आता,
नहीं कहीं कुछ पीड़ा होती, यदि घर जाकर सोना आता,  

मन को कितना ही समझाया, प्रचलित हर सिद्धान्त बताया,
सागर में डूबे उतराते, मूढ़ों का दृष्टान्त दिखाया, 

औरों का अपनापन देखा, अपनों का आश्वासन देखा,
घर समाज के चक्कर नित ही, कोल्हू पिरते जीवन देखा, 

अधिकारों की होड़ मची थी, जी लेने की दौड़ लगी थी,
भाँग चढ़ाये नाच रहे सब, ढोलक परदे फोड़ बजी थी, 

आँखें भूखी, धन का सपना, चमचम सिक्कों की संरचना,
सुख पाने थे कितने, फिर भी, अनुपातों से पहले थकना, 

सबके अपने महल बड़े हैं, चौड़ा सीना तान खड़े हैं,
सुनो सभी की, सबकी मानो, मुकुटों में भगवान मढ़े हैं, 

जिनको कल तक अंधा देखा, जिनको कल तक नंगा देखा,
आज उन्हीं की स्तुति गा लो, उनके हाथों झण्डा देखा,

सत्य वही जो कोलाहल है, शक्तियुक्त अब संचालक है,
जिसने धन के तोते पाले, वह भविष्य है, वह पालक है,

आँसू बहते, खून बह रहा, समय बड़ा गतिपूर्ण बह रहा,
आज शान्ति के शब्द न बोलो, आज समय का शून्य बह रहा,

आज नहीं यदि कह पायेगा, मन स्थिर न रह पायेगा,
जीवन बहुत झुलस जायेंगे, यदि लावा न बह पायेगा,

मन का कहना कहाँ रुका है, मदमत बहना कहाँ रुका है,
हम हैं मोम, पिघल जायेंगे, जलकर ढहना कहाँ रुका है?

..........................प्रवीण की लेखनी से मैं बहुत प्रभावित होता हूँ वो बहुत ही जिम्मेदारी से हर ब्लॉग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने है  उनके बारे में लिखना ही किसी बड़ी उपलब्धि है........पर अभी हमे प्रवीण जी मिलने का सोभाग्य ही प्राप्त नहीं हुआ.........पर यह इच्छा कभी तो पूरी होगी !!


-- संजय भास्कर 



33 टिप्‍पणियां:

  1. सर्वप्रिय शख्सियत!

    इन्हें हम हमेशा से मन ही मन प्रणाम करते आये हैं!

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  2. मै ब्लॉग जगत से २०११ से पहले अछूता था ,पहली बार मैंने अकस्मात किसी और उद्देश्य के क्रम में उनके ब्लॉग पर नजर पड़ी ,और उनके लेखनी को पढ कर वाकई मन्त्र मुग्ध हो गया। मेरे ब्लॉग सुरु करने का मुख्य कारन उनके ब्लॉग को पढना ही था क्योंकि अन्य माध्यम से अनजान था , उसके बाद ही कईयों की लेखन कला से अवगत हुआ और प्रवाभित होता रहा हूँ। उनके लेखनी का प्रवाह सरस्वती की वीणा की तान के आरोह -अवरोह का आनंद देता है। ब्लॉग पर बने रहने में वो प्रेरना स्रोत है।

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  3. अक्षरश: सच कहा आपने .... आपका लेखन सदैव से ही प्रभावित करता रहा है एक प्रेरणात्‍मक व्‍यक्तित्‍व हैं प्रवीण जी

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  4. इनका लिखा पढ़ना मुझे भी बहुत पसंद है
    सार्थक और संग्रहणीय पोस्ट रहता है
    इनके ब्लॉग का चर्चा हमेशा हिंदुस्तान पेपर में भी रहता है
    आओ बंगलोरे साथ मिलते हैं
    हार्दिक शुभकामनायें

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  5. प्रवीण जी की प्रेरणा शब्द दर शब्द प्रतिध्वनित है !वाह!

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  6. प्रवीण जी,की लेखिनी मुझे हमेशा प्रभावित करती है,उनकी खासियत ये है कि इतने बड़े ब्लोगर होने के बाद भी नये पुराने सभी ब्लोगरों की पोस्ट पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर प्रोत्साहित करते...

    नई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )

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  7. सही कहा आपने प्रवीन जी एक प्रेरणात्‍मक व्‍यक्तित्‍व हैं. वर्धा में इनसे भेंट भी हुई , बहुत अच्छा लगा

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  8. बहुत अच्छी बात ये लगी की आप इतनी तल्लीनता से ब्लॉग पढ़ते हैं ...!!
    प्रखर है लेखनी प्रवीण जी की ....नियमित पढ़ती हूँ और हलचल पर भी कई बार प्रवीण जी के आलेखों और कविताओं का लिंक दिया है मैंने ....
    शुभकामनायें आप दोनों को ही ...!!

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  9. संजयजी, आप इतना मान देकर मेरे लेखन के स्तर को एक दिशानिर्देश दे देते हैं। पता नहीं जितना लिख पा रहा हूँ, जैसा लिख पा रहा हूँ, भविष्य में वैसा हो पायेगा कि नहीं, पर प्रयास सतत रहेंगे। सभी को इस आशीर्वाद के लिये नमन।

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  10. प्रवीण पाण्डेय जी ब्‍लॉगजगत की ऐसी शख्सियत हैं जिनकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है- आपने सही कहा !!

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  11. बिलकुल सही लिखा है आपने हम भी उनके लेखन को बहुत पसंद करते हैं और पढ़ते भी है हाँ यह बात अलग है कि उनकी हा पोस्ट पर हम अपनी उपस्थिती दर्ज नहीं करा पाते मगर पढ़ते ज़रूर हैं :)

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  12. प्रवीण जी के बारे में सबके मन की बात लिख दी ....

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  13. सुन्दर भाव बोध की रचना।


    जिनको कल तक अंधा देखा, जिनको कल तक नंगा देखा,
    आज उन्हीं की स्तुति गा लो, उनके हाथों झण्डा देखा,

    सहृदयता संजय भास्कर सी हो। दूसरे की प्रशंशा करना लिखना योग है। ईश्वरीय गुण है। सहज निरभिमानी ,जिज्ञासु ही दूसरे के गुणों का गायन कर सकता है। शुक्रिया प्रवीण जी की यह रचना पढ़वाने का। सामिजिक स्थितियों से प्रसूत चिंतन उनकी रचनाओं में रिश्ता अहै ललित निबन्ध सा ,प्रबंध सा।

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  14. प्रवीण जी के बारे में जानकारी देने के लिए धन्यवाद!
    सचमुच बहुत अच्छा लिखते हैं .

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  15. प्रवीण जी ब्लॉग विभूति हैं ...
    बढ़िया लेख के लिए आभार संजय !

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  16. सुन्दर भाव बोध की रचना।


    जिनको कल तक अंधा देखा, जिनको कल तक नंगा देखा,
    आज उन्हीं की स्तुति गा लो, उनके हाथों झण्डा देखा,

    सहृदयता संजय भास्कर सी हो। दूसरे की प्रशंशा करना लिखना योग है। ईश्वरीय गुण है। सहज निरभिमानी ,जिज्ञासु ही दूसरे के गुणों का गायन कर सकता है। शुक्रिया प्रवीण जी की यह रचना पढ़वाने का। सामिजिक स्थितियों से प्रसूत चिंतन उनकी रचनाओं में रिसता है ललित निबन्ध सा ,प्रबंध सा।आप भाव बोध के कवि हैं तो प्रबंधन के गुरु प्रहलाद और अद्यतन प्रोद्योगिकी के सुपर एपिल भी हैं।

    संग्रहनीय लेखन बड़ी शख्सियत -- प्रवीण पाण्डेय जी :))
    संजय भास्‍कर
    शब्दों की मुस्कुराहट

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  17. आपने प्रवीण जी के बारे में सही विवेचन किया है !
    नई पोस्ट साधू या शैतान
    latest post कानून और दंड

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  18. जहाँ तक मेरा मानना है तो, हिंदी ब्लॉगजगत में कोई विरले ही होगा जो प्रवीण सर के लेखन से प्रभावित ना हो, सुन्दर लेखन संजय जी।!!!

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  19. जहाँ तक मेरा मानना है तो, हिंदी ब्लॉगजगत में कोई विरले ही होगा जो प्रवीण सर के लेखन से प्रभावित ना हो, सुन्दर लेखन संजय जी।!!!

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  20. जहाँ तक मेरा मानना है तो, हिंदी ब्लॉगजगत में कोई विरले ही होगा जो प्रवीण सर के लेखन से प्रभावित ना हो, सुन्दर लेखन संजय जी।!!!

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  21. praveen ji ke baare me jaankari dene ke liye sukriya :)

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  22. प्रवीण जी का लेखन प्रेरणादायक है और आप का एक लेखक के लिखे को पढ़ना ! साधुवाद !

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  23. जब से ब्लॉग जगत से जुदा हूँ .. तब से प्रवीन भाई को पढ़ रहा हूँ ..पुरे गहराई में जाकर उस विषय पर लिखते है

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  24. ब्लॉग जगत में शायद ही कोई हो जो उनके लेखन से प्रभावित न हो..... प्रवीणजी को शुभकामनायें

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  25. आदरणीय संजय भईया
    सादर अभिवादन |
    श्री प्रवीण जी कों मैं काफी समय से पढ़ रहा हूँ |उनकी सटीक लेखनी ,सरल शैली और हम जैसे नए ब्लोगर्स कों प्रोत्साहित करने का ढंग बहुत ही उत्साहवर्धक हैं |
    ईश्वर उन्हें हमेशा लिखने की प्रेरणा देता रहें |
    “अजेय-असीम{Unlimited Potential}”

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  26. प्रखर है लेखनी प्रवीण जी की

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  27. जाना माना नाम हैं प्रवीण जी का ब्लॉग जगत में ... संवेदनशील लेखक ओर आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक ... इनकी लाजवाब रचना पढवाने का शुक्रिया संजय जी ...

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  28. प्रवीणजी न सिर्फ एक अच्छे लेखक है बल्कि उतने ही अच्छे पाठक भी हैं मुझे याद नहीं आता कि हिन्दी ब्लॉग जगत की कोई पोस्ट प्रवीणजी की आंखों से ओझल हो जाती हो..वे एक पहरेदार की तरह समस्त हिन्दी ब्लॉगस् पे अपनी उपस्थित दर्ज कराते हैं..ये चीज़ उन्हें अन्य लेखकों से जुदा बनाती है...आपकी इस सराहनीय प्रस्तुति के लिये बधाई।।।

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  29. सच ब्लॉग जगत की जानी मानी हस्ती प्रवीण जी से सभी परिचित है ....बहुत बढ़िया प्रभावपूर्ण शैली में वे ब्लॉग लिखते हैं ...जो मुझे भी बहुत पसंद हैं .. .....
    बहुत बढ़िया परिचय प्रस्तुति ..

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  30. आदरणीय संजय जी ..प्रवीण जी से मैं भी कभी नहीं मिला ..लेकिन उनकी रचनाओं को सतत पढता आया हूँ ..किसी तकनीकी कारण से जिस तरह से मैं अन्य ब्लोग्स से जुड़ सका उनके ब्लॉग से नहीं जुड़ पाया ...आपने एक व्यक्तित्व की तमाम खूबियों को जिस खूबी से उजागर किया है काबिले तारीफ़ है ..हार्दिक बधाई स्वीकारें ..सादर

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  31. Sanjay bhai aapse sahmat n hone ka sawal hi nhi uthta hai.
    Punarsmaran ke liye shukriya.
    Aap dono ka aabhar...

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- संजय भास्कर