आप सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा सादर नमस्कार काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी नई कविता के साथ उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगी.......!!
आसमान के सितारों को मैंने रोते देखा , उदासी का गम ढ़ोते देखा देखा सब को तड़पते हुए, सारी रात मैंने पूरे आसमा को तड़पते देखा, रात की रौशनी को देखा , तारो की चमक को देखा सुबह होते ही इनकी रौशनी को खोते देखा | अन्दर से चमक दमक खोते देखा कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर बस सबको रात भर हमने बेफिक्र सोते हुए देखा.......!! |
तारों की व्यथा को बखूबी उकेरा है ...
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ... बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसितारों की व्यथा....
जवाब देंहटाएंसितारों का गम....
..........................
क्या खूब लिखा संजय भाई आपने
bahut hi khoobsurti se bayani ki hai assmani taron ki !
जवाब देंहटाएंbadhai klabule!
कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर
जवाब देंहटाएंबस सबको रात भर
हमने बेफिक्र सोते हुए देखा.......!!
मुर्दे के शरीर से कफन भी चुराते देखा ..... !!
कवि हरिवंश राय बच्चन जी की एक पंक्ति ....
टूटे तारो पर अम्बर कब शोक मनाता है ....
आसमान की तड़प, तारों का दर्द... बहुत सुन्दर भाव..
जवाब देंहटाएंबहुत प्रवल भावपूर्ण रचना है संजय |
जवाब देंहटाएंआशा
देर से आये पर फिर भी छाए ..बहुत खूब !
जवाब देंहटाएं्तारों की व्यथा उजागर कर दी
जवाब देंहटाएंआसमान के सितारों को मैंने रोते देखा ,
जवाब देंहटाएंSundar avlokan hai...
Bahut sundar rachana ke saath wapasi!
जवाब देंहटाएंbahot sunderta se likhe.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया व भावपूर्ण रचना...बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंजो सो रहे हैं,वो भी बेफिक्र कहाँ????
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना...
लिखते रहिये...वक्त निकालने से निकल ही जाएगा.
अनु
हमें तो तस्वीर में सितारे रोते हुए नहीं , खुश नज़र आ रहे हैं . :)
जवाब देंहटाएंसितारों का दर्द बाखूबी लिखा है आपने संजय जी ...
जवाब देंहटाएंएक कवि ही सितारों के दर्द को समझ सकता है. उनके रिसते जीवन को देख सकता है. बहुत खूब लिखा है संजय जी.
जवाब देंहटाएंकोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर
जवाब देंहटाएंबस सबको रात भर
हमने बेफिक्र सोते हुए देखा
मन को छू लेने वाली रचना....
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर....
जवाब देंहटाएंअत्यन्त प्रभावशाली रचना..
जवाब देंहटाएंतारों कि व्यथा तो समझ आ गयी परन्तु हर बार आपकी बहाने बाजी नहीं चलेगी.
जवाब देंहटाएंमन को छूती सराहनीय रचना,,,,संजय जी बधाई,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST...: जिन्दगी,,,,
बहुत सुन्दर..!!!
जवाब देंहटाएंकोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर
जवाब देंहटाएंबस सबको रात भर
हमने बेफिक्र सोते हुए देखा
beautiful lines with great emotins
बहुत ही सुन्दर .....
जवाब देंहटाएंबस यही है दुनियाँ का नियम
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
बहुत ही बेहतरीन रचना और प्रशंसनीय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंKya baat hai sanjay
जवाब देंहटाएंतारेव जागते है तभी तो हम बेफिक्र सोते हैं ..सुन्दर रचना ..सुन्दर लिखते हो लिखते रहा करो ..मेरी नई पोस्ट में तुम्हारा स्वागत है..
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता..हम सभी अनजाने बने रहते हैं और प्रकृति सुंदरता बिखेरती रहती है..
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद आये ,,,,,मगर गजब आये ...सुन्दर कविता ...मोहक भाव के साथ
जवाब देंहटाएंसितारों की गलत फोटो लग गयी है ? इसमें वो हंस रहे है :-)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति...!!
जवाब देंहटाएंतारों की व्यथा उनके भावनाए बखूबी
जवाब देंहटाएंआपके शब्दों में झलक रहीं है..
बहुत ही बेहतरीन भावप्रबल रचना...
:-)
bahut khoob....
जवाब देंहटाएंgood one!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह बहुत दिनों बाद तुम्हारी रचना पढ़ी
जवाब देंहटाएंसंजय जी,सबके गमों को ,आपको पीते देखा.
जवाब देंहटाएंBahut khub Sanjay bhai ....
जवाब देंहटाएंKhubsurat rachna ke liye badhai....
सितारों का दर्द बाखूबी लिखा है आपने संजय जी
जवाब देंहटाएंसराहनीय रचना
जवाब देंहटाएंकोई नही जताता हमदर्दी तारों से । वाह क्या कल्पना है ।
जवाब देंहटाएंभास्कर जी नमस्कार...
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग 'आदत मुस्कुराने की' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 11 अगस्त को 'आसमान के सितारों को मैंने रोते देखा...' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव
सराहनीय भाव
जवाब देंहटाएंवाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंआज 14/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंइतने दिनों के बाद आपको देखकर अच्छा लगा... बहुत ही अच्छी कविता....
जवाब देंहटाएंजिंदगी के भाव संजोये हुए ..
जवाब देंहटाएंwah ! taron ki vyatha ko khoob shabd diya hai...nayi si sooch kay sath...
जवाब देंहटाएंतारों के दर्द से पिरोई गयी सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन !
स्वतंत्रता दिवस की बधाई व शुभकामनाएँ !
स्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत ............शुभकामनाएँ.........
जवाब देंहटाएं.............जयहिन्द............
............वन्दे मातरम्..........
bahut hi prabhavshali rachana sanjay ji ...swtanrta diwas pr hardik badhai
जवाब देंहटाएंकोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर
जवाब देंहटाएंबस सबको रात भर
हमने बेफिक्र सोते हुए देखा.......!!बढ़िया भाव जगत को रूप शब्द अर्थ व्यंजना देती कविता है आज़ादी के मौके पर भैया "तारों "कर लें तारो को (तारो तो तारना हुआ दोस्त ,यहाँ तारे बहु -वचन होकर तारों हो जाता है .यौमे आज़ादी मुबारक . यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
बुधवार, 15 अगस्त 2012
TMJ Syndrome
TMJ Syndrome
http://veerubhai1947.blogspot.com/
हाँ संजय भाई ऐसा भी होता है हम सब बड़े स्वार्थी होते जा रहे हैं काश कुछ दर्द जहां का भी देखें ....जय हिंद
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाये आप को तथा सभी मित्र मण्डली को भी
भ्रमर ५
संजय भाई...बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंवाकई बहुत अच्छा लिखा है।
आपको इस रचना के लिए बधाई।
waah, bahut hi achhi likhi hai
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है
जवाब देंहटाएंजो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है,
स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें
वर्जित है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी
किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
..
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि
चहचाहट से मिलती है.
..
Feel free to surf my webpage खरगोश
bahut hi acchhi lines hain :)
जवाब देंहटाएंvery good thoughts.....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग
जीवन विचार पर आपका हार्दिक स्वागत है।
संजय जी, आपके विचार सोचने को मजबूर कर देते हैं।
जवाब देंहटाएंईद की दिली मुबारकबाद।
............
हर अदा पर निसार हो जाएँ...
अतिसुंदर...आपने कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया|
जवाब देंहटाएं"मन के कोने से..."
bahut khub sir ji...
जवाब देंहटाएंShort and sweet...really touchy...
जवाब देंहटाएंhttp://apparitionofmine.blogspot.in/
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंबधाई
इंडिया दर्पण पर भी पधारेँ।
आपने भी क्या क्या देख लिया है संजय भाई.
जवाब देंहटाएंभावमय प्रस्तुति.
आपके दिल के दुःख को बखूबी प्रकट करती.
bhut khub...
जवाब देंहटाएंजितना अच्छा शीर्षक , उतनी अच्छी कविता |
जवाब देंहटाएंसादर