07 अगस्त 2012

आसमान के सितारों को मैंने रोते देखा -- संजय भास्कर

 आप सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा सादर नमस्कार काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ  पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी नई कविता के साथ उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगी.......!!

 
आसमान के सितारों को मैंने रोते देखा ,
उदासी का गम ढ़ोते देखा
देखा सब को तड़पते हुए,
सारी रात मैंने पूरे आसमा को तड़पते देखा,
रात की रौशनी को देखा ,
तारो की चमक को देखा
सुबह होते ही इनकी रौशनी को खोते देखा |
अन्दर से चमक दमक खोते देखा
कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर
बस सबको रात भर
हमने बेफिक्र सोते हुए देखा.......!!









@ संजय भास्कर

69 टिप्‍पणियां:

  1. तारों की व्यथा को बखूबी उकेरा है ...

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  2. अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ... बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  3. सितारों की व्यथा....

    सितारों का गम....

    ..........................

    क्या खूब लिखा संजय भाई आपने

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  4. bahut hi khoobsurti se bayani ki hai assmani taron ki !

    badhai klabule!

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  5. कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर
    बस सबको रात भर
    हमने बेफिक्र सोते हुए देखा.......!!
    मुर्दे के शरीर से कफन भी चुराते देखा ..... !!
    कवि हरिवंश राय बच्चन जी की एक पंक्ति ....
    टूटे तारो पर अम्बर कब शोक मनाता है ....

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  6. आसमान की तड़प, तारों का दर्द... बहुत सुन्दर भाव..

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  7. बहुत प्रवल भावपूर्ण रचना है संजय |
    आशा

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  8. देर से आये पर फिर भी छाए ..बहुत खूब !

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  9. ्तारों की व्यथा उजागर कर दी

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  10. आसमान के सितारों को मैंने रोते देखा ,

    Sundar avlokan hai...

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  11. Bahut sundar rachana ke saath wapasi!

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  12. बहुत बढिया व भावपूर्ण रचना...बधाई स्वीकारें।

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  13. जो सो रहे हैं,वो भी बेफिक्र कहाँ????

    सुन्दर रचना...
    लिखते रहिये...वक्त निकालने से निकल ही जाएगा.

    अनु

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  14. हमें तो तस्वीर में सितारे रोते हुए नहीं , खुश नज़र आ रहे हैं . :)

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  15. सितारों का दर्द बाखूबी लिखा है आपने संजय जी ...

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  16. एक कवि ही सितारों के दर्द को समझ सकता है. उनके रिसते जीवन को देख सकता है. बहुत खूब लिखा है संजय जी.

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  17. कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर
    बस सबको रात भर
    हमने बेफिक्र सोते हुए देखा


    मन को छू लेने वाली रचना....

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  18. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  19. अत्यन्त प्रभावशाली रचना..

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  20. तारों कि व्यथा तो समझ आ गयी परन्तु हर बार आपकी बहाने बाजी नहीं चलेगी.

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  21. मन को छूती सराहनीय रचना,,,,संजय जी बधाई,,,

    RECENT POST...: जिन्दगी,,,,

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  22. कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर
    बस सबको रात भर
    हमने बेफिक्र सोते हुए देखा

    beautiful lines with great emotins

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  23. बहुत ही सुन्दर .....

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  24. बस यही है दुनियाँ का नियम
    सुन्दर रचना

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  25. बहुत ही बेहतरीन रचना और प्रशंसनीय प्रस्तुति.

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  26. तारेव जागते है तभी तो हम बेफिक्र सोते हैं ..सुन्दर रचना ..सुन्दर लिखते हो लिखते रहा करो ..मेरी नई पोस्ट में तुम्हारा स्वागत है..

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  27. सुंदर कविता..हम सभी अनजाने बने रहते हैं और प्रकृति सुंदरता बिखेरती रहती है..

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  28. बहुत दिनों बाद आये ,,,,,मगर गजब आये ...सुन्दर कविता ...मोहक भाव के साथ

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  29. सितारों की गलत फोटो लग गयी है ? इसमें वो हंस रहे है :-)

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  30. तारों की व्यथा उनके भावनाए बखूबी
    आपके शब्दों में झलक रहीं है..
    बहुत ही बेहतरीन भावप्रबल रचना...
    :-)

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  31. बहुत बढ़िया प्रस्‍तुति...

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  32. बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह बहुत दिनों बाद तुम्हारी रचना पढ़ी

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  33. संजय जी,सबके गमों को ,आपको पीते देखा.

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  34. Bahut khub Sanjay bhai ....
    Khubsurat rachna ke liye badhai....

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  35. सितारों का दर्द बाखूबी लिखा है आपने संजय जी

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  36. कोई नही जताता हमदर्दी तारों से । वाह क्या कल्पना है ।

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  37. भास्कर जी नमस्कार...
    आपके ब्लॉग 'आदत मुस्कुराने की' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 11 अगस्त को 'आसमान के सितारों को मैंने रोते देखा...' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
    धन्यवाद
    फीचर प्रभारी
    नीति श्रीवास्तव

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  38. वाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  39. आज 14/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  40. इतने दिनों के बाद आपको देखकर अच्छा लगा... बहुत ही अच्छी कविता....

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  41. जिंदगी के भाव संजोये हुए ..

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  42. wah ! taron ki vyatha ko khoob shabd diya hai...nayi si sooch kay sath...

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  43. तारों के दर्द से पिरोई गयी सुंदर रचना !
    बेहतरीन !

    स्वतंत्रता दिवस की बधाई व शुभकामनाएँ !

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  44. स्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत ............शुभकामनाएँ.........
    .............जयहिन्द............
    ............वन्दे मातरम्..........







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  45. bahut hi prabhavshali rachana sanjay ji ...swtanrta diwas pr hardik badhai

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  46. कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर
    बस सबको रात भर
    हमने बेफिक्र सोते हुए देखा.......!!बढ़िया भाव जगत को रूप शब्द अर्थ व्यंजना देती कविता है आज़ादी के मौके पर भैया "तारों "कर लें तारो को (तारो तो तारना हुआ दोस्त ,यहाँ तारे बहु -वचन होकर तारों हो जाता है .यौमे आज़ादी मुबारक . यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    बुधवार, 15 अगस्त 2012
    TMJ Syndrome
    TMJ Syndrome
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

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  47. हाँ संजय भाई ऐसा भी होता है हम सब बड़े स्वार्थी होते जा रहे हैं काश कुछ दर्द जहां का भी देखें ....जय हिंद
    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाये आप को तथा सभी मित्र मण्डली को भी
    भ्रमर ५

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  48. संजय भाई...बहुत बढ़िया।

    वाकई बहुत अच्छा लिखा है।

    आपको इस रचना के लिए बधाई।

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  49. waah, bahut hi achhi likhi hai

    shubhkamnayen

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  50. बेनामी8/17/2012

    खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है
    जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है,
    स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें
    वर्जित है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी
    किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
    ..

    हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
    .. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि
    चहचाहट से मिलती है.
    ..
    Feel free to surf my webpage खरगोश

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  51. very good thoughts.....
    मेरे ब्लॉग

    जीवन विचार
    पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  52. संजय जी, आपके विचार सोचने को मजबूर कर देते हैं।

    ईद की दिली मुबारकबाद।
    ............
    हर अदा पर निसार हो जाएँ...

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  53. अतिसुंदर...आपने कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया|

    "मन के कोने से..."

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  54. Short and sweet...really touchy...

    http://apparitionofmine.blogspot.in/

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  55. बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
    बधाई

    इंडिया दर्पण
    पर भी पधारेँ।

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  56. आपने भी क्या क्या देख लिया है संजय भाई.
    भावमय प्रस्तुति.
    आपके दिल के दुःख को बखूबी प्रकट करती.

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  57. जितना अच्छा शीर्षक , उतनी अच्छी कविता |

    सादर

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- संजय भास्कर