06 जून 2012

आकांक्षा का दर्पण सदा की " अर्पिता " -- संजय भास्कर


सीमा सिंघल ब्लॉगजगत की जानी मानी शक्सियत है
जिन्हें ब्लॉगजगत में सदा के नाम से जाना जाता  है .........अभी कुछ महीनो पहले सदा जी का कविता- संग्रह " अर्पिता "को पढ़ा उसी से जुड़े कुछ विचार आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ !


मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए ......!!

कविता संग्रह 'अर्पिता' सामाजिक यथार्थ के मध्य से उठते हुए ज्वलंत सवालों का दस्तावेज लगा स्वानुभूति और भावपूर्ण अभियक्ति है "अर्पिता "............इस कविता संग्रह में सीमा सिंघल जी की छन्द मुक्त उदेश्यपूर्ण कवितायेँ है जो अपने सपनो को हकीकत में बदलना चाहती है !

सदा जी की की रचनाएँ अपने आप में अनूठी है जो सीधे दिल को छूती है हर व्यक्ति की संवेदनाओ को आकृति देती कविताये जीवंत लगती है |

सदा जी रचनाओं की एक और खासियत इनकी रचनाओ के भाव मन को झकझोर देते है 
सदा जी की रचनाये मात्र शब्द कौशल की बानगी नहीं है ........इनकी कविताये सहज होते हुए भी......पाठक के चिंतन को कुरेदता है|
.........................आज भी नारी अपने सपनो के प्रति स्वतंत्र क्यों नहीं है ?

जन्म देने वालो होती एक माँ
फिर भी बेटे को कुल दीपक
बेटी को पराई ही कहते
सब लोग|

एक ऐसा दिल जो सुदूर आकाश गंगा के चमकते सितारों को दामन में भर लेना चाहता है , जो चाँद की शीतलता , फूलों की खुसबू और सितारों को दामन में भरना चाहता है ,तो हो जाती है कविता |

................सदा जी की कलम सचेत करती हुई चलती है -
अभिमान का दाना  तुम नहीं खाना तुम्हे भी अभिमान आ जायेगा


ये सत्य अच्छे प्रयास से नया समाज निर्मित होता है सदा जी की कवितायेँ इस शास्वत सत्य को दोहराती है !
रिश्ते न बढ़ते है रिश्ते न घटते है वो तो उतना ही उभरते है जितना रंग हम उनमे अपनी मोहबत का भरते है  

अब आखिर में "अर्पिता" की  गजल - माँ ने छोड़ी न कलाई मेरी -आपको पढवाते है !


माँ ने छोड़ी न कलाई मेरी

नमी आंसुओ की उभर आई आँखों में जब,
गिला कर गई फिर किसी की बेवफाई का ||

बहना इनका दिल के दर्द की गवाही देता ,
ऐतबार किया क्यों इसने इक हरजाई का ||

कितना भी रोये बेटी बिछड़ के बाबुल से,
दब जाती सिसकियाँ गूंजे स्वर शहनाई  का ||

ओट में घूँघट की दहलीज पर धरा जब पाँव,
चाक हुआ कलेजा आया जब मौका विदाई का ||

जार जार रोये बाबुल माँ ने छोड़ी न कलाई मेरी ,
बहते आंसुओ में चेहरा धुंधला दिखे माँ जाई का ||

 मेरी और से सदा जी को कविता- संग्रह "अर्पिता" के लिए हार्दिक बधाई व ढेरो
शुभकामनाये .............!

@ संजय भास्कर

71 टिप्‍पणियां:

  1. सदा जी की "अर्पिता" को....
    बहुत-बहुत मुबारक और शुभाम्नाएं!

    संजय जी आपको भी ..
    शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  2. आपके माध्यम से जाना कि सदा जी का असल नाम सीमा सिंघल है !

    'अर्पिता' के लिए दुआएं !

    जवाब देंहटाएं
  3. अर्पिता के लिए सीमा जी को बधाई और शुभकामनाएं ..

    सार्थक पुस्तक परिचय

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  4. मेरी और से भी सदा जी को कविता- संग्रह "अर्पिता" के लिए हार्दिक बधाई व ढेरो शुभकामनाये ......संजय तुम्हे भी बहुत -बहुत बधाई ..बहुत सटीक और खुबसूरती से सदा जी को कविता- संग्रह "अर्पिता" की समीक्षा की है......सस्नेह...

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  5. इतनी सुन्दर कृति और उसकी कवियत्री से परिचय कराने का आभार।

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  6. बहुत बढ़िया समीक्षा संजय जी.......

    सदा जी को पढ़ती हूँ हमेशा और उन्हें और और उनकी रचनाओं को बहुत पसंद करती हूँ.

    ढेर सारी बधाई........
    सस्नेह

    अनु

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  7. हम तो सीमा जी कों सदा जी के ही नाम से जानते हैं ... और पढते भी हैं उनकी संवेदनशील रचनाओं कों ... बहुत बहुत बधाई है उन्हें इस प्रकाशन पर ...

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  8. आदरणीया सदा जी को हार्दिक शुभकामनाएँ!

    सादर

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  9. सदा जी की "अर्पिता" को....
    बहुत-बहुत मुबारक और शुभाम्नाएं!

    संजय जी आपको भी ..
    शुभकामनाएँ!

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  10. कविता- संग्रह "अर्पिता" के लिए बधाई एवं शुभकामनाये,,,,,सदा जी का असल नाम सीमा सिंघल है
    आज ही जाना,,,,,,,,
    समीक्षा अच्छी लगी ,,,,संजय जी,,,,

    MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,

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  11. सदा जी और उनकी पुस्तक अर्पिता से रू व रू करवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
    सदा जी को पुस्तक के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं
    संजय आपकी लेखनी में निखार आ रहा है |हार्दिक शुभ कामनाएं अच्छे लेखन के लिए |
    आशा

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  12. बहुत अच्छी समीक्षा. सदा जी को बधाई.

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  13. aapke comment ke liye aabhar,
    sda ji ki bahut sundar kavita aapne padhwai hai . uske liye aabhar.........aur sunao kaise ho

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  14. Sadaji ko anek shubh kamnayen aur is aprateem aalekh ke liye aapko badhayi!

    जवाब देंहटाएं
  15. Sada ji ko aneko shubhkamnayen...
    Sanjay ji aapka bahut-bahut dhanyawad etni mahan shakhsiyat ka sahi prichay dene or unkei bahut hi sundar kavita padwane ka...

    जवाब देंहटाएं
  16. सदा जी को पढना सदैव एक सुखद अनुभव रहा है...'अर्पिता' के लिये हार्दिक बधाई !

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  17. 'सदा' जी बस यूं ही सदा बनी रहें , लिखती रहें ,महकती रहें | आपके माध्यम से उन्हें बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं |

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  18. सदा जी का संवेदनशील लेखन पढ़ती रहती हूँ ...उनकी लेखनी की कायल हूँ ...!!
    अर्पिता के लिए उनको बधाई और आपकी समीक्षा बहुत बढ़िया लगी ...!!आपको भी बधाई ...!!

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  19. सदा जी को बहुत - बहुत बधाई
    और ढेर सारी शुभकामनाये :-)
    बहुत ही अच्छे से आपने परिचय दिया है...
    शुभकामनाये:-)

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  20. सुंदर समीक्षा , सदा जी को बधाई

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  21. sada jee ko hardik badhayee..sanjay jee aajkal aap jo kaam kar rahe hain.use salam....

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  22. बहुत बढ़िया समीक्षा हैं संजय .....सदा जी की कविता तो वैसे ही बढ़िया होती हैं ....बधाई !

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  23. सुंदर समीक्षा , सदा जी को बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  24. सुन्दर समीक्षा ! सदा जी को शुभकामनाये, संजय जी को बधाई

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  25. संजय जी,

    इस सुंदर समीक्षा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। हमने आपकी इस समीक्षा को हिंद-युग्म प्रकाशन के फेसबुक पेज पर भी लगा दिया है।

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  26. सुंदर समीक्षा , सदा जी को बधाई.

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  27. आपने बहुत ही बेहतरीन समीक्षा की है. दी हुई पंक्तियाँ बहुत ही बेहतरीन है. सीमा जी को हार्दिक शुभकामनायें.
    .
    एक शहीद का ख़त

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  28. sada ji ko bahut bahut shubhkamnaaye..
    sanjay ji bahut sundar samiksha...

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  29. Sada ji ko bahut subhkaamnaayen "arpita " ke liye

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  30. सदा जी को कविता- संग्रह "अर्पिता" के लिए हार्दिक बधाई व ढेरो शुभकामनाये .... !!

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  31. main kavitaao ki deewaani hu. kaise milegi yah kitaab? kaha se kharide?

    krupya jaankaari awashya de
    snehagupta01989@gmail.com

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  32. खूबसूरत शब्दों में सटीक समीक्षा ...बहुत खूब

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  33. स्नेहा जी,

    आप फ्लिपकार्ट डॉट कॉम से यह पुस्तक ऑनलाइन ऑर्डर करके घर बैठे पा सकती हैं। इसके लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

    हिंद-युग्म प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सभी पुस्तकें फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध हैं। सभी पुस्तकें देखने के लिए इस लिंक पर जाएँ।


    धन्यवाद।

    निवेदक-
    शैलेश भारतवासी

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  34. सदा जी का असली नाम आपसे मालूम पड़ा है. धन्यवाद.
    सदा जी की रचनाओं में "मुझ से छिपे तुम, और तुम से छिपे मैं" के बीच कोमल संवाद की कई अभिव्यक्तियाँ इतने सुंदर तरीके से कही गई हैं कि यह उनकी टिपिकल शैली के रूप में जाना जाएगा.
    संजय जी आपको धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  35. सदा जी के बारे में इतना कुछ आपके ही माध्यम से जान पाया।..धन्यवाद।

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  36. सदाजी को बधाई,सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  37. सुंदर रचना बधाई,

    जवाब देंहटाएं
  38. सदा जी का नाम तो पहली बार पता चला.

    सुंदर पुस्तक समीक्षा. सदा जी को उनकी पुस्तक "अर्पिता" के प्रकाशन पर बहुत शुभकामनायें.

    पुस्तक की समीक्षा पुस्तक पढ़ने की उत्सुकता जगा रही है.

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  39. संजय जी आपने सदा जी की कविता का चर्चा करने दिन बना दिया
    बहुत खूब

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  40. सदा जी (सीमा सिंघल ) के कविता- संग्रह "अर्पिता" के लिए बधाई एवं शुभकामनाये....सवाई

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  41. बहुत बढ़िया समीक्षा..... संजय भाई .

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  42. सदा जी को अनेकानेक शुभकामनाएँ और बधाई..
    सदा जी का नाम सीमा है,आपकी पोस्ट से ही पता चला.
    सुन्दर समीक्षा के लिए बधाई.

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  43. बधाई सदा जी को ...

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  44. जार जार रोये बाबुल माँ ने छोड़ी न कलाई मेरी ,
    बहते आंसुओ में चेहरा धुंधला दिखे माँ जाई का ||
    सुन्दर भाव चित्र संजोये है रचना .सुन्दर समीक्षा .

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  45. सुन्दर भाव चित्र संजोये है रचना .सुन्दर समीक्षा .

    जवाब देंहटाएं
  46. आपकी ब्लॉग लिस्ट में मेरा ब्लॉग नहीं है :(

    जवाब देंहटाएं
  47. बेनामी6/13/2012

    बहोत अच्छा लगा आपके विचार पढकर

    हिन्दी दुनिया ब्लॉग (नया ब्लॉग)

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  48. बहुत सुंदर प्रस्तुति,,सदा जी को बशाई

    MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,

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  49. संजय जी,

    आपने 'अर्पिता' की बहुत ही अच्‍छी समीक्षा की है बहुत-बहुत आभार.. .एवं अनंत शुभकामनाएं

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  50. beyond doubt shez a great artist..
    n a lovely poem indeed at the end :)

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  51. अच्छा लगा आपका ब्लॉग देख कर , बधाई स्वीकारें

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  52. समीक्षा पसंद आई। साथ ही सदा जी को बधाई।

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  53. अर्पिता के लिये सदा जी को बधाई और शुभ कामनाएं । आपकी समीक्षा बडी अच्छी लगी ।

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  54. अर्पिता के लिये सीमा जी को हार्दिक बधाई और आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने अर्पिता के बारे में बताया

    जवाब देंहटाएं
  55. सदा जी को "अर्पिता" के लिए हार्दिक शुभकामनाएं!
    आपने 'अर्पिता' का बहुत ही अच्‍छा परिचय दिया है..

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  56. सदा जी को बहुत - बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनाये...
    आपने बहुत ही अच्‍छी समीक्षा की है बहुत-बहुत आभार...

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  57. bahut acchi prastuti....sada jee ko badhai.....

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  58. सदा जी की "अर्पिता" को....
    बहुत शुभाम्नाएं!

    संजय जी आपको भी शुभकामनाएँ!

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  59. बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  60. सुंदर समीक्षा |
    सदा जी की रचनायें विशिष्ट होती हैं.अर्पिता के लिये हार्दिक बधाइयाँ |

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  61. कितना भी रोये बेटी बिछड़ के बाबुल से,
    दब जाती सिसकियाँ गूंजे स्वर शहनाई का ||

    ओट में घूँघट की दहलीज पर धरा जब पाँव,
    चाक हुआ कलेजा आया जब मौका विदाई का ||

    प्रिय संजय भाई ..बहुत खूब ..सुन्दर समीक्षा ..आप के माध्यम से सदा जी को 'अर्पिता' के लिए भ्रमर की बधाई और आप को भी ...
    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

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  62. कल 03/07/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  63. अर्पिता के बारे में पढकर अच्छा लगा। सीमा सिंघल जी को बधाई और आपका आभार!

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  64. सदा जी के कविता संग्रह की बहुत सुन्दर समीक्षा की है आपने संजय जी!

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  65. कविता- संग्रह "अर्पिता" के लिए बधाई एवं शुभकामनाये,

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  66. संजय जी सीमा जी के काव्य संग्रह अर्पिता को आपने अपने शब्दों से और भी बढ़िया ढंग से कहा है ...बधाई ..और शुक्रिया ...

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  67. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
    बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !

    http://madan-saxena.blogspot.in/
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- संजय भास्कर