06 अप्रैल 2010

हकदार नहीं इस सम्मान का

हकदार नहीं इस सम्मान का

दे दिया जितना तूने

पत्थर को जिंदा बतलाकर

बड़ा अहसान किया तूने

दोस्तों से सिर्फ पहचान मेरी

नहीं मुझे कोई आसमां छूने


---मलखान सिंह आमीन




(संजय जी द्वारा अपने ब्लॉग पर मेरा परिचय करवाने पर कुछ पंक्तियाँ मेरी तरफ से)

17 टिप्‍पणियां:

  1. नहीं मुझे कोई आसमां छूने

    kya bat he

    babut khub

    BEHAD SUNDAR

    BAHUT ACHA LAGA PAD KAR AAP

    SHEKHAR KUMAWAT

    http://kavyawani.blogspot.com/

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  2. :) sayed mere samajh se pare hai...

    apne dost aage badhe aur khub tarakki kare to bahut acha lagta hai...isme sahyog de pana hi dosti hai...

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  3. pahli baat dosti jaieeesepavitr rishte me ahsan nahi hota ho sakta hai ki koi baat aap par gujari jo aisa aapne likha dusari baat kvita ka prastutikaran bahut hi achha laga.

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  4. bahut achchhe.. Malkhan ji ko shubhkamnayen

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  5. आप हक़दार हैं तभी इतना सम्मान मिला है, बिना हक के इस ज़हां में कुछ नहीं मिलता

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  6. वाह!!.....बहुत सुन्दर रचना ......बहुत बहुत बंधाई ...मलखान जी .

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  7. सुन्दर परिचय और खूबसूरत रचना..बधाई.

    _________________________
    'पाखी की दुनिया' में जरुर देखें-'पाखी की हैवलॉक द्वीप यात्रा' और हाँ आपके कमेंट के बिना तो मेरी यात्रा अधूरी ही कही जाएगी !!

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  8. आप सम्मान के योय थे, इसी लिए आपको सम्मान मिला. वैसे मित्रता में एहसान और उसे चुकाने जैसा मामला कुछ समझ में घुसा नहीं.
    फिलहाल, आप मेरे ब्लाग पर आए, पढ़ा, कई बार पढ़ा, कमेन्ट दिया, शुक्रिया.
    कफस=पिंजरा (पिंजड़ा) तामीर=निर्माण.

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  9. बेनामी4/08/2010

    bahut khub.....
    http://i555.blogspot.com/ mein is baar तुम मुझे मिलीं....
    jaroor padhein....

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  10. बहुत बहुत बंधाई ...मलखान जी .

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  11. dosti me ahasan nahee hota mere dost

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  12. टिप्पणी तो आमीन के ब्लॉग पर भी छोड़ आया था। अगर हो सके तो इसको भी देख लेना यार।

    हकदार तो नहीं था, जो तूने दे दिया
    दोस्ती में खुदा का सम्मान
    पत्थर को कहकर जिन्दा ए दोस्त,
    कर दिया तुमने इक अहसान
    दोस्तों से बढ़ा आमीन रुतबा मेरा
    छूने नहीं, मुझे कोई आसमान

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  13. aap hakdaar ho yaar, aisaa kyon sochte ho????
    thanks.
    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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- संजय भास्कर