17 अक्तूबर 2019

... जिन्दा जड़ें :)

                                            ( चित्र गूगल से साभार  )

पेड़ के मरने पर 
साथ नहीं छोड़ती 
उसकी जड़ें 
वो हमेशा कोशिश में रहती है 
दोबारा उगने की 
बार- बार 
फूटती है कोपलें ठूँठ में  
और ताकत देती है 
तेजी से उठने की पेड़ों को 
पर पेड़ के मरने पर भी 
जिन्दा जड़ों को धरती के गर्भ में 
रहता है  
हमेशा नया तना उगने का 
इंतज़ार  !!

- संजय भास्कर 

13 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १८ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. बेहद भावपूर्ण और आशा से ओत प्रोत कविता

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  3. सकारात्मकता का संदेश देती सुन्दर रचना ।

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  4. जड़े मन के समान है
    मन के हारे हार है और मन के जीते जीत।
    मन नहीं मरणा चाहिए।

    बेहतरीन रचना। उम्मीद को थामे रखने को प्रेरित।

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉👉  लोग बोले है बुरा लगता है

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  5. बहुत सुंदर रचना प्रेरणादायक

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  6. जिन्दा जड़ों को धरती के गर्भ में
    रहता है
    हमेशा नया तना उगने का
    इंतज़ार !!

    बहुत यथार्थवादी पंक्तियां

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  7. वाह बेहतरीन लेखन ....

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  8. बहुत सुंदर विचारणीय स्तरीय सटीक मंथन देती रचना।

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  9. भावपूर्ण लेखन। इसी जिजीविषा से हमे भी सीखना चाहिए। जितनी भी मुश्किलें हो हमे यह समझना चाहिए कि अगर ठान लें तो उनसे पार पाया जा सकता है। हार के घुटने टेकने से बेहतर लड़ते जाना है।

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  10. kitni saarthkta liye he ye rchnaa Sanjay ji.... Insaan ka man aur uski umeed bhi to kuch aisi hi hpti hain....kitni baar lgtaa he sab khtam magr umeeden jdh bn kr adii rehti hain...aur fir se nyi komplen ugaa leti hain

    bahuttt hi khooobsurat


    mujhe is saal me ye aapki sabse behtreen rchnaa lgi

    bdhaayi swikaar kren

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  11. आशा जीगन की कहीं न कहीं तो रहती है गर्भ में जड़ों के ... तभी अनेकों बार ताने मज़बूत हो जाते हैं ... जीवन का संचार हो जाता है ... बहुत ही गहरी सोच से उपजी रचना ...

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  12. भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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- संजय भास्कर