चित्र-- गूगल से साभार
तुम्हारे बारे में क्या लिखू
तुम मेरा सर्वत्र हो
मेरी दुनिया हो
तुम्हारे लिए हर पंक्ति छोटी है !
हर स्पर्श बहुत छोटा है
सारी दुनिया न्योछावर कर दू
तुम्हारे चरणों में
लेकिन वह भी जैसे काफी
नहीं है !
मैं तुम्हारे खून का वह कतरा हूँ !
जिसे तुम इस दुनिया में
लेकर आई
और बहुत प्यार से पालकर
बड़ा किया तुम्हारी गोद में
आकर मैंने आँखें खोली
तुम्हारे सहारे ही मैंने दुनिया दारी देखी माँ
आप सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा सादर नमस्कार काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी एक छोटी कविता के साथ उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगी.......!!
@ संजय भास्कर
52 टिप्पणियां:
मां ही इस जहां से पहला परिचय करवाती है, बहुत ही सुंदर पंक्तियां लिखी आपने, शुभकामनाएं.
रामराम.
sundar rachna....maa kay liye jitne likho kam hai.......
बहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना........शुभकामनायें ।
bahut hi sunder maa ke prem ko samarpit...!!
apko badhai
कविता बहुत अच्छी लगी, पुनः स्वागत है।
बहुत ही खूबसूरत
बेटे जी आपकी रचना
बहुत सुन्दर कविता है संजय.
माँ से बढ़कर कौन ।
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार ४ /६/१३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का वहां हार्दिक स्वागत है ।
बहुत ही सुन्दर...अद्भुत....माँ के लिए तो सर्वत्र न्योछावर...
pankti kya.. poora ka poora literature chhota hai :)
lovely read !!
बहुत ही अच्छी रचना........शुभकामनायें ।
प्रिय संजय, आपने अपने मन के साथ-साथ सबके मन की बात इस कविता में कह दी.अति-सुंदर...
.बहुत सुन्दर प्रस्तुति .मन को छू गयी .आभार . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
BHARTIY NARI .
बहुत ही सुन्दर..
बहुत ही सुन्दर..
Maa to akhir maa hai maa ki har baat nirali hai
Jai maa bharti
मन को छूती बहुत सुंदर रचना,,,बधाई संजय जी
recent post : ऐसी गजल गाता नही,
आपकी यह रचना कल मंगलवार (04 -06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
माँ तो बस माँ होती है
सुन्दर रचना
आभार!
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय माँ के लिए ... माँ पर लिखी हर रचना मुझे बहुत अछि लगती है क्यूंकि माँ के जैसा इस दुनिया में कोई दूसरा नहीं ...
्माँ के प्रति सुन्दर उदगार
बहुत ही सुंदर शुभकामनाएं.
बहुत ही अच्छी रचना!
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माँ को समर्पित सुन्दर प्यारी माँ सी रचना ..
ma ke bare me kitna bhi likhen km hai .....sundar rachna ..
इनसे बड़ा कोई नहीं संजय...
kya baat hai sanjay bhai behtarin hamesa ki tarah
kya baat hai sanjay bhai behtarin hamesa ki tarah
भोजन के स्वाद से लेकर मृत्यु द्वार तक माँ की याद रहती है. सच है कि माँ सर्वत्र है.
अति सुंदर.
माँ तो माँ है.. माँ सर्वत्र है.सुन्दर रचना....
माँ सी प्यारी सी कविता
माँ के लिए जितना लिखा जाये कम है . इश्वर भी अवतार माँ की ममता पाने के लिए ही तो लेता है .
ममत्वपूर्ण रचना !
बहुत दिनों ब्लोगिंग के लिए समय निकल पाया हूँ . परन्तु अब प्रयास करूँगा की नियमित रहू .
मैं समझता हूँ.. माँ.. ही प्रकृति की सर्वोत्तम रचना है
माँ पर बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
माँ तो माँ है. याद कैसे जायेगी उसकी.
सुंदर कविता.
सचमुच माँ दुनिया में होती ही है सबसे निराली... उसकी उपमा कहाँ ... बहुत सुन्दर रचना...
माँ की महिमा का गुणगान बहुत सुन्दर प्रस्तुति
माँ पे लिखा तो एक शब्द भी काव्य सामान है ... ग्रन्थ भी छोटे हैं उसके प्रेम के सामने ...
behtareen rachna ..aapkee rachna to bhavuk banatee hai
सर्वप्रथम आपका शुक्रिया इतनी सुन्दर टिप्पणियाँ देने के लिए मेरी कविताओं पर..
माँ एक पूरी दुनिया हम बच्चों के लिए
हर शब्द उनके लिए जैसे बहुत छोटा लगता है...
धन्यवाद ...
माँ के जैसा इस दुनिया में कोई दूसरा नहीं ... सुन्दर प्रस्तुति....
माँ की तरफ एक बेटे के भावों को दर्शाती सुंदर रचना
सुन्दर भावाभिव्यक्ति ....
वाह अतिसुंदर, माँ तो माँ ही होती है,
बहुत ही खूबसूरत रचना
माँ को समर्पित सुन्दर प्यारी माँ सी रचना
बहुत खूबसूरत
बहुत ही सुन्दर रचना..
माँ की तरह ही सुन्दर और कोमल...
अति उत्तम...
:-)
बहुत सुन्दर रचना.....
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