30 अक्तूबर 2010

..........क्या चीज है यह जिंदगी ?

 जिस राह से भी गुजरे 
एक नाम सुना जिंदगी |
हमने भी चाहा कोई हमको बता दे 
क्या चीज है यह जिंदगी |
थके हुए राही ने कहा 
रुकना ही है जिंदगी 
अपाहिज ने कहा 
चलना ही है जिंदगी |
गरीबी में तड़पते हुए ने कहा 
पैसा ही है जिंदगी  |
खुशियों में डूबे किसी ने कहा 
प्यार ही प्यार है जिंदगी  |
मगर कोई हमसे भी तो पूछे 
क्या चीज है जिंदगी 
........पर मैं समझता हूँ 
ठोकर खाकर संभल जाने का नाम ही  है 
..................शायद जिंदगी | 
चित्र :- ( गूगल देवता से साभार  )

...............संजय कुमार भास्कर

99 टिप्‍पणियां:

  1. rote ko hansana yahi hai jindagi
    har dukh main saath nibhana hai jindagi,


    bahut sundar likha jindagi ke baare hain,

    sundar rachna

    जवाब देंहटाएं
  2. संजय भाई

    कविता की तारीफ के लिए शब्द नही मिल रहे .............
    बहुत बडे Experience का नतीजा है यह कविता
    बस इतना ही कहूगां वाह वाह वाह वाह

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह वाह ………………कितनी खूबसूरत बात कही है………………ज़िन्दगी को परिभाषित करने का सभी का अपना अन्दाज़ रहा है………………बेहद उम्दा प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेनामी10/30/2010

    वाह संजय भाई क्या खूब परिभाषा दी है ज़िन्दगी की..

    बहुत खूब..

    जवाब देंहटाएं
  5. बेनामी10/30/2010

    अच्छा नज़रिया है ज़िन्दगी के बारे में....
    यूँ ही लिखते रहें ...

    जवाब देंहटाएं
  6. sabke liye ek swal hi to hai jindagi?
    jisne jesa anubhav kiya usne use vese hi bayaan kar diya asal me isi ka naam hai jindagi.
    bahut sundar rachna bahut bahut badhai

    जवाब देंहटाएं
  7. Beautiful as always.
    It is pleasure reading your poems.....sanjay ji.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बढ़िया,
    बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....

    जवाब देंहटाएं
  9. aapne sahi kaha "thokar kha kar sambhal jana hai jindagi".........:)

    jindagi ki sach se rubaru karati ek achchhi rachna...........

    जवाब देंहटाएं
  10. 4/10

    सामान्य रचना
    नजरिये की बात है. जिन्दगी को जिस अंदाज से देखिये बस वैसी ही है जिंदगी :
    जिंदगी एक गीत है
    जिंदगी संगीत है
    जिंदगी मनमीत है
    जिंदगी बस प्रीत है

    जिंदगी आभास है
    जिंदगी एक आस है
    जिंदगी एक प्यास है
    जिंदगी वनवास है

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सही बात की है आपने. बढ़िया!

    जवाब देंहटाएं
  12. बेहद प्रभावशाली.....

    जवाब देंहटाएं
  13. मैंने इसे यों पढ़ा है

    ठोकर खाने का नाम भी है ज़िंदगी
    संभल जाने का नाम भी है ज़िंदगी
    न संभल पाने का नाम भी है ज़िंदगी

    आपके बहाने से ज़िंदगी के कई मायने मिले. आभार

    जवाब देंहटाएं
  14. सबसे पहले तो आपको बहुत-बहुत बधाई ...इस सुन्‍दर सी रचना के लिये...जिन्‍दगी इस जीवन से इस कदर जुड़ी है कि इसके बिना हर क्षण महत्‍वहीन है कहीं यह खेल हो जाती है तो कहीं मेल हो जाती है, सुन्‍दर एवं बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये शुभकामनायें ।

    जवाब देंहटाएं
  15. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  16. Bahut umda rachna .jindagi k falsafe ko bahut karib se jana hai aapne .......

    जवाब देंहटाएं
  17. ठोकर खाकर संभल जाने का नाम ही है
    ..................शायद जिंदगी |

    बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत सही...सब अपनी परिस्थियों के हिसाब से मायने निकाल लेते हैं..

    बढ़िया रचना.

    जवाब देंहटाएं
  19. धन्यवाद
    @ संजय कुमार चौरसिया जी..
    @ दीपक सैनी जी..
    @ वंदना जी..
    @ शेखर सुमन जी..
    ब्लॉग पर आने और हौसलाअफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक़्रिया..

    जवाब देंहटाएं
  20. @ मीनाक्षी पन्त जी..
    ठोकर खाकर संभल जाने का नाम ही है
    ..................शायद जिंदगी |

    जवाब देंहटाएं
  21. धन्यवाद
    @ प्रीती जी..
    @ मोहसिन जी..
    @ मुकेश सिन्हा जी..
    @ यशवंत जी..
    @ उस्ताद जी
    आपने बिलकुल सही कहा है
    जिंदगी आभास है
    जिंदगी एक आस है
    जिंदगी एक प्यास है
    जिंदगी वनवास है
    ब्लॉग पर आने और हौसलाअफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक़्रिया..

    जवाब देंहटाएं
  22. बिलकुल नया अंदाज हे आप का इस जिन्दगी की परिभाषा का , जबाब नही, बहुत खुब सुरत जी धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  23. चाहत है जिसकी जैसी उसकी वो बन्दगी है
    गिरते ही सम्भल जाना इतनी सी जिन्दगी है

    सादर
    श्यामल सुमन
    www.manoramsuman.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  24. संजय भाई ...मेरे लिए तो ज़िन्दगी एक संघर्ष है .
    बढ़िया रचना है ....आभार

    जवाब देंहटाएं
  25. सँजय जी! जिन्दगी मेँ गम के मेले हैँ; जिसमेँ सब अकेले हैँ; खुशियोँ मेँ सब साथ खेले; रंज मेँ सब अकेले हैँ........। बहुत ही खूबसूरत कविता है। शब्दोँ का चुनाव बहतरीन एवं सार्थक हैँ,बहुत बहुत आभार जी।........ और आज तो उस्ताद जी ने भी हाथ खोलेँ हैँ। -: VISIT MY BLOG :- पढ़िये मेरे ब्लोग "Mind and body researches" पर आज विशेष लेख ..........पुरूषोँ को शराब से आनंद की अनुभूति क्योँ होती है? "Link here , Click please"

    जवाब देंहटाएं
  26. एकदम सही कहा आपने...
    ठोकर खाकर संभल जाने का नाम है जि़्दगी।

    जवाब देंहटाएं
  27. पर मैं समझता हूँ
    ठोकर खाकर संभल जाने का नाम ही है
    ..................शायद जिंदगी |

    यकीनन यही है जिन्दगी

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत ही सही परिभाषा की है जिंदगी की. शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  29. अच्छा लगा.. मुझे तो जीवन दर्शन सा लगा ...

    जवाब देंहटाएं
  30. true.. Yahi hai zindagi... Google devta ka tohfa accha laga

    जवाब देंहटाएं
  31. बहुत अच्छा सन्देश ................... और अनुभव भी शायद ........ बधाई

    जवाब देंहटाएं
  32. bhaayi snjay bhut khub aek zindgi or nzriye alg alg is maamle men hr shkhs ke khyaalat jo aapne byaanat kiye hen voh jivnt he or hqiqt bhi bdhaayi ho. akhtar khan akela kota rajsthan

    जवाब देंहटाएं
  33. ठोकर खा कर संभलना ही है जिंदगी. बहुत बड़ी बात कह दी आपने.

    जवाब देंहटाएं
  34. गद्दारों के विनास के लिए जी जान से डट जाना है जिन्दगी

    जवाब देंहटाएं
  35. हर कोई ज़िंदगी की अपनी परिभाषा गढता है ...बहुत अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  36. @ आशु जी..
    @ प्रियंका राठौर जी..
    @ भूषण जी..
    @ जाकिर अली जी..
    @ सदा जी..
    बहुत बहुत धन्यवाद
    @ ॐ जी..
    @ राजेश उत्साही जी..
    @ अशोक जमनानी जी..
    @ अमरेन्द्र अक्स जी..
    @ ललित शर्मा जी..
    @ समीर लाल जी..
    आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार !
    ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
    इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  37. @ राज भाटिया जी..
    बहुत बहुत शुक़्रिया..
    @ श्यामल सुमनजी..
    @ विरेन्द्र सिंह चौहान जी..
    @ डॉ अशोक जी..
    आप का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार !
    @ महेंदर वर्मा जी..
    @ ऍम वर्मा जी..
    यकीनन यही है जिन्दगी
    बिकुल सही कहा ही आपने
    @ ताऊ रामपुरिया जी..
    बहुत बहुत आभार..
    @ आशीष/ ਆਸ਼ੀਸ਼ / ASHISH जी ..
    @ अरुण चन्द्र रॉय जी ..
    ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
    इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  38. राम जी
    @ दिपाली "आब" जी..
    @ अमृता तन्मय जी..
    बहुत अच्छा सन्देश .....और अनुभव भी
    दोनों ही है..सन्देश भी अनुभव भी..
    @ अख्तर खान अकेला जी..
    आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार
    हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  39. Badi khoobsurati se paribhashit kya hai zindagi ko.....Bas yahi zidagi hai....

    जवाब देंहटाएं
  40. Badi khoobsurati se paribhashit kya hai zindagi ko.....Bas yahi zidagi hai....

    जवाब देंहटाएं
  41. बहुत उम्दा, कई रंग दिखाई दिए...बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  42. बहुत संजीदगी से बड़ी गंभीर बात कह गए संजय जी ! बहुत अच्छी रचना है ! अपने अनुभव के आधार पर हर एक के लिये जीवन की परिभाषा बिलकुल अलग और व्यक्तिगत होती है ! सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  43. यकीनन यही है जिन्दगी

    जवाब देंहटाएं
  44. chalti kaa naam gaadi.
    jo kabhi naa ruke wohi hain zindagi.
    thanks.
    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

    जवाब देंहटाएं
  45. BAHUT HI KHOOBSURAT LIKHA HAI
    PADKAR MAN KO SUKUN MILTA HAI

    ..........LIKHTE RAHE ALL THE BEST

    REGARDS
    YOUR SISTER
    SUNITA BHASKAR
    INDORE

    जवाब देंहटाएं
  46. bahut badhiya bhai... tabhi to kahtee hu ki aapse seekhna hai...

    जवाब देंहटाएं
  47. बेहद सार्थक परिभाषित जिन्दगी।

    जवाब देंहटाएं
  48. ठोकर खाकर संभल जाने का नाम ही है
    ..................शायद जिंदगी |

    जवाब देंहटाएं
  49. सच कहा है संजय जी .... जो वस्तू जिसके पास नहीं होती ... उसे उस चीज़ क़ि असली कीमत का अंदाजा होता है .... बहुत ही achhee rachna है .

    जवाब देंहटाएं
  50. ब्लॉग पर देर से आई हूं क्षमा चाहती हूं |बहुत भावपूर्ण कविता |टॉपिक एक हो पर विचार अनेक को सकते हें मुझे यह रचना बहुत अच्छी लगी बहुत बहुत बधाई
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  51. सबके लिये जीवन का अपना अलग अर्थ है।

    जवाब देंहटाएं
  52. jaki rahi bhaavna jaisi
    prabhumurat dekhi tin taisi
    bhaav ke anuroop hi arth badal jate hain!
    har roop mein mohak hai jindagi!!!
    sundar rachna!

    जवाब देंहटाएं
  53. ठोकर खाकर संभल जाने का नाम ही है
    ..................शायद जिंदगी |

    jindagi ka sahi arth yahi hai!...

    जवाब देंहटाएं
  54. satye kaha jindgi ko
    isi ka nam he jindgi

    जवाब देंहटाएं
  55. धन्यवाद
    @ वंदना जी..
    @ सुनील दत्त जी..
    @ संगीता स्वरुप जी..
    @ डॉ॰ मोनिका शर्मा जी..
    @ शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' जी....
    आप सभी का दिल से आभार आपने मेरी रचना सराही और मेरा होसला अफजाई की

    जवाब देंहटाएं
  56. @ साधना वैद जी..
    आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  57. धन्यवाद
    @ मनोज कुमार जी..
    @ चन्द्र कुमार सोनी जी..
    @ सुनीता जी..
    @ पूजा जी..
    @ सुज्ञ जी..
    @ पूर्वीय जी..
    @ दिगम्बर नासवा जी..
    @ आशा माँ जी..
    आप को जब भी समय मिले तब पढ़े आप क्षमा नहीं मान सकती मुझसे
    @ प्रवीण पाण्डेय जी..
    @ फ़िरदौस ख़ानजी..
    आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! मेरी रचना सराही और मेरा होसला अफजाई की
    इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  58. बहुत बढ़िया रचना ..ऐसे ही लिखते रहो !

    जवाब देंहटाएं
  59. Good attempt........... but i thing Struggle is life

    जवाब देंहटाएं
  60. sanjayjee utkrusht rachana.....
    jindgee ke kai roop hai kai padaav aate hai jo hume aajmate hai............saar jindgee ka sambhalna hee hai..........Aabhar

    जवाब देंहटाएं
  61. jindagi kee vocabulary bata dee aapne

    goood poem

    जवाब देंहटाएं
  62. very correct!!!Life is defined by the lack of it!!!

    जवाब देंहटाएं
  63. JEET KAHOON YA HAAR JINDGI
    HAI KITNI DUSHVAR JINDGI
    OOPER SE TO KHILI-KHILI PAR
    BHEETAR SE PATJHAAR JINDGI
    JINDGI KI PARIBHASHA DENA KATHIN HAI
    AAPKA NAJARIYA PRASHANSNIY HAI

    जवाब देंहटाएं
  64. अति सुन्दर भास्कर जी:

    थके हुए राही ने कहा
    रुकना ही है जिंदगी
    अपाहिज ने कहा
    चलना ही है जिंदगी |
    -- मोह ले गए

    जवाब देंहटाएं
  65. बहुत सुन्दर सच बात है

    जवाब देंहटाएं
  66. कहते है ...अँधा क्या चाहे !! बस दोन आँख . यही है ज़िन्दगी जिसकी जो ललक उसके लिए वाही ज़िन्दगी और वाही उसका धेय. आपका विचार बहुत सुन्दर है . ज़िन्दगी के लिए यह नजरिया रखना हमेगा आगे कि ओर लेजाता है .....शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  67. बढ़िया रचना है ....आभार

    जवाब देंहटाएं
  68. सीधी सादी भाषा में जीवन की हकीकत कह जाते हैं आप संजय जी.. यही आपकी प्रसिध्ही का राज है.. शुभकामना सहित

    जवाब देंहटाएं
  69. @ अनुपमा पाठक जी..
    @ डा. अरुणा कपूर. जी..
    @ अलोक खरे जी..
    @ राम त्यागी जी..
    @ सुमन अनुरागी जी..
    @ अपनत्व जी..
    @ पर्शंत पुंडीर जी..
    @ रेवा जी..
    @ राहुल जी..
    आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! मेरी रचना सराही और मेरा होसला अफजाई की
    इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  70. @ सुरेंदर बहादुर जी..
    @ प्रकाश ⎝⎝पंकज⎠⎠ जी..
    आप का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! मेरी रचना सराही और मेरा होसला अफजाई की
    ! धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  71. @ कोरल जी..
    @ रानिविशल जी..
    यही है ज़िन्दगी जिसकी जो ललक उसके लिए वाही ज़िन्दगी और वाही उसका धेय.
    देर से ही आई पर आई तो सही
    @ सुनील कुमार जी..
    @ कुमार पलाश जी..
    मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  72. सब के सब सही कहते हैं कि यही है जिंदगी
    जो भी कह लो लेकिन, बहुत खूबसूरत है ये जिंदगी।

    जवाब देंहटाएं
  73. संजय जी

    सुंदर चित्र के साथ एक सुंदर सी बात कही आप ने. सच एही है जिंदगी...

    जवाब देंहटाएं
  74. bhaskar ji...shukriya ess rachna aur mere blogs pe aake meri rachnao pe apne shabd kahne ka.

    zindagi kya hai?

    kuch nahi bas, maut abhav hi zindagi hai...sanso ka safar hi zindagi hai...

    जवाब देंहटाएं
  75. ठोकर खाकर संभल जाना ही ज़िन्दगी। बेहतरीन।

    जवाब देंहटाएं
  76. Zindagi ko dekhne ka nazariya
    or use shabdon me dhalne ki
    safal koshish ke liye badhai.

    जवाब देंहटाएं
  77. जिंदगी को परिभाषित करने की कयावद जीवन भर चलती रहती है पर फ़िर भी हम इसे पूरी तरह समझ पाने में नाकाम रहते है. इस सब सवालों से जूझते बेहद गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

    जवाब देंहटाएं
  78. @ आशा जोगलेकर जी..
    @ उपेन्द्र जी..
    @ अशोक लालवानी जी..
    @ मंजुला जी..
    @ संजय दानी जी..
    @ प्रीती जी..
    @ डोरोथी जी..
    जिंदगी को परिभाषित करने की कयावद जीवन भर चलती रहती है पर फ़िर भी हम इसे पूरी तरह समझ पाने में नाकाम रहते है
    @ नीलम जी..
    मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  79. सही कहा, ज़िन्दगी के बहुत से रूप हैं, ........... अच्छी कविता

    जवाब देंहटाएं
  80. अनकहे..अनगिनत सवालों को ढूँढती..यह ही है ज़िन्दगी...!! खूब कहा..!!

    जवाब देंहटाएं
  81. "बचपन की गलीयों से शुरू हुई थी जिंदगी
    बचपन के बाद कहीं गुम सी हो गई जिंदगी
    गर कोई लौटा दे मुझे मेरा बचपन नाशाद
    तो शायद मुझे फिर से मिल जायेगी जिंदगी."
    ===बस यही कहानी है हमारी और जिंदगी से दूरी की. बहुत सुन्दर कविता.

    जवाब देंहटाएं
  82. ढेर सारे अंधे मोड़ों से बाहरी घाटी है ज़िंदगी...
    बहुत खूब भैया...

    जवाब देंहटाएं
  83. @ नीलम जी..
    @ साहिल जी..
    @ प्रियांकाभिलाशी जी..
    @ नरेश चन्द्र बोहरा जी..
    @ पूजा जी..
    मेरे ब्लॉग पर आकर प्रोत्साहित करने के लिए आभार |

    संजय भास्कर

    जवाब देंहटाएं
  84. sanjay bhai sachmuch aapki rachna bahut acchi lagi...
    har kone ko dikhati zindagi ki..

    जवाब देंहटाएं
  85. आपकी पोस्ट यहाँ भी है……नयी-पुरानी हलचल

    http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  86. चलती का नाम है ज़िंदगी ... बहुत सुंदर !

    जवाब देंहटाएं
  87. ह्र्दय से निकली सार्थक रचना…….

    जवाब देंहटाएं

एक निवेदन !
आपके द्वारा दी गई प्रतिक्रिया मेरे लिए मूल्यवान है
- संजय भास्कर