13 जुलाई 2010

प्रिय ब्लॉगर मित्रो प्रणाम लीजिये मैं फिर हाज़िर हूँ ....!


प्रिय ब्लॉगर मित्रो प्रणाम ! कैसे है आप सब ? लीजिये मैं फिर हाज़िर हूँ एक लम्बे इंतज़ार के बाद आप सब के लिए एक  शेर आशा है आप सब को यह  पसंद आयेगा !

जो कोई समझ न पाए वो बात हूँ मैं 

जो ढल के नई सुबह लाये वो रात हूँ मैं 

चले जाते है लोग दुनिया से रिश्ता बना के 

जो न कभी छूट पाए वो साथ हूँ मैं
                       आपका संजय भास्कर 

61 टिप्‍पणियां:

  1. Bahut khoobsoorat!Aise hi bane rahiye!

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  2. पुन: स्‍वागतमस्ति भवत: अत्र चिट्ठाजगति ।


    सुस्‍वागतम् ।

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  3. लीजिये मैं फिर हाज़िर हूँ.

    kya baat hai..........

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  4. जो न कभी छूट पाए वो साथ हूँ मैं
    सुस्वागतम आपके वापसी का
    और सुन्दर शेर के क्या कहने
    आशा भरा

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  5. क्या कहना आपकी इस सादगी का, जिसके हम कायल होने पर भी और कायल होते जा रहे है। बहुत अच्छी रचना

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  6. संजय भास्कर जी

    अच्छी कविता के लिए बधाई !

    शस्वरं पर आपका स्वागत है ,आइएगा…

    शुभकामनाओं सहित …

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  7. अच्छी कविता के लिए बधाई !

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  8. स्वागत है स्वागत है स्वागत है

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  9. o ho ho ho ho...........kya baat hai...........tussi te chaa gaye...............mindlowing..........

    bhai isko aur badhao.........aur bhi bht kuch likh sakte ho........

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  10. बेहतरीन । स्वागत है ।

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  11. हमे पता है बेटा ये ब्लागिन्ग का चस्का जिसे एक बार लग गया वो जायेगा कहाँ। कहाँ रहे इतने दिन? बहुत बहुत आशीर्वाद।

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  12. स्वागत है आपका ... अच्छा लिखा है बहुत .... संजय जी ...

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  13. स्वागत स्वागत स्वागत और स्वागत

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  14. swagat hai. kahaan chale gaye the bhai..? soona-soona lag raha tha blog-jagat. ab jame rahana. bhhaskar-sa chamakate rahana.

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  15. स्वागत है जी वापसी पर आपका

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  16. स्वागत है।

    क्या बात!
    क्या बात!
    क्या बात!

    जय हो प्रभु... शुरु हो जाएं...

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  17. बहुत अच्छा लगा तुम्हारा बापिस आना |बहुत सुन्दर
    भाव है रचना में |हमने बहुत मिस किया था |
    कहाँ की सैर की बेटा |
    आशा

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  18. एक बार फ़िर स्वागत है,
    पातालकोट तो घुम आए होगे।

    यह पोस्ट ब्लाग4वार्ता पर भी है

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  19. स्वागत है ..मगर तुम गए कहाँ थे ..?

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  20. एक बेहतरीन अश`आर के साथ पुन: आगमन पर आपका हार्दिक स्वागत है.

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  21. kya baat hai ji.....

    aapka swaagat hai ji ek baar fir...

    kunwar ji,

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  22. आप गए ही कहां थे आप तो दिल में ते जनाब

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  23. जो कोई समझ न पाए वो बात हूँ मैं

    जो ढल के नई सुबह लाये वो रात हूँ मैं

    चले जाते है लोग दुनिया से रिश्ता बना के

    जो न कभी छूट पाए वो साथ हूँ मैं

    Ye to hai.suswagatam

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  24. स्वागत है ..मगर तुम गए कहाँ थे ..?

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  25. ये साथ बना रहे...आमीन...
    नीरज

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  26. @sanjay जी

    आप भी इस common blog का member एवं follower बनने के लिए सादर आमंत्रित है

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  27. sanjay ji pahlee bar aapke blog per aaya hun. Behtareen blog hai. har kavita,har photograph kuch sochane par majboor kar dete hain. aise hi likhate rahiye bahut-bahut shubhkamnayen.

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  28. wah -sanjay ji
    itane dino baad padarpan ke liye is liye maffi kyon ki itana sher arj kiya hai aapne.bahut hi khoob.khoob--------
    poonam

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  29. khubsurat sher....


    _____________________
    'पाखी की दुनिया' के एक साल पूरे

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  30. ढेरों तालियाँ

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  31. WELCOME BACK.

    HAARDIK SWAAGAT.

    SU-SWAAGATAM.

    THANKS.

    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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  32. बेहतरीन,
    बधाई हो...

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  33. बेनामी7/17/2010

    बहुत बढिया!

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  34. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द ।

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  35. aapka sath yun hin bana rahe, shubhkaamnaayen aur shukriya.

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  36. स्वागत है आपका

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  37. first time enter ur blog.....

    nice blog........

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  38. बेनामी7/21/2010

    बढ़िया शेर...

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- संजय भास्कर