01 मई 2010
बढ़ता जा रहा है गंगा के आंचल पर मैल
पवित्र गंगा का मैल धोने की जिम्मेदारी गंगा एक्शन प्लान से अब नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथारिटी के हवाले हो चुकी है, लेकिन फिर भी अमृत जैसे गंगा के पानी की गुणवत्ता हरिद्वार जैसे तीर्थ में आचमन करने योग्य भी नहीं रह गई है।
उत्तराखंड में अब तक एक्शन प्लान के अंतर्गत गंगा की सफाई में 37 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं मगर गंगा के आंचल का मैल लगातार बढ़ता ही जा रहा है। गंगा की सफाई के लिए केंद्र पोषित गंगा एक्शन प्लान 1985 में शुरू हुआ था। पहले चरण में तीन शहरों हरिद्वार, ऋषिकेश और स्वर्गाश्रम-लक्ष्मणझूला को इसमें लिया गया था। पहले चरण में 14.62 करोड़ रुपये खर्च हुए। एक्शन प्लान के दूसरे चरण में नौ शहर लिए गए हैं, जिनकी 30 परियोजनाओं में 23.38 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इसके बाद भी यह तय नहीं है जिन शहरों-कस्बों में ट्रीटमेंट परियोजनाएं संचालित हो रही हैं, वहां का संपूर्ण सीवर और नाले इसके दायरे में आ गए हों। यदि गंगा के किनारे बसे किसी कस्बे के संपूर्ण सीवर तथा सभी गंदे नाले ट्रीटमेंट के दायरे में नहीं होंगे तो गंगा प्रदूषित होने से कैसे बच सकती है।
उत्तराखंड में गंगा एक्शन प्लान की नोडल एजेंसी जल संसाधन विकास निगम के नोडल अधिकारी प्रभात राज कहते हैं कि अब गंगा एक्शन प्लान, नेशनल गंगा रीवर बेसिन अथारिथी में हस्तांतरित हो गया है। इस योजना के तहत 2020 तक गंगा को पूरी तरह क्लीन करने की योजना है। अर्थात गंगा के किनारे बसे हर शहर-कस्बे का सीवर तथा नाला ट्रीटमेंट प्लांट की जद में होगा। तेजी से बढ़ते जा रहे शहरीकरण के कारण गंगा में गंदगी जाने से नहीं बचाया जा सकता है।
गंगा में शव दाह से भी अत्यधिक प्रदूषण होता है। हरिद्वार में विद्युत शव दाह गृह का निर्माण किया गया, जो शुरू से ही काम नहीं कर रहा है। कम लकड़ी में शव जलाने वाले दाह गृह चल रहे हैं। अब धूम्र रहित शवदाह गृह बनाने की योजना है लेकिन गंगा की धारा के साथ शवों का दाह करने की प्रवृत्ति नई तकनीकों को दरकिनार कर देती है। हरिद्वार में बिल्कुल यही हो रहा है।
गंगा एक्शन प्लान के तहत वर्तमान में अलकनंदा और भागीरथी को शामिल किया गया है। उत्तराखंड की नदियां आगे जाकर कहीं न कहीं गंगा में ही मिलती हैं। इसलिए नदियों के किनारे बसे उत्तराखंड के 17 शहरों को ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ने का प्रस्ताव नोडल एजेंसी जल निगम ने केंद्र को भेजा है।
मुश्किल यह है कि केंद्र परियोजना के बोझ को कम करने के लिए अपना हाथ खींचता जा रहा है। पहले गंगा एक्शन प्लान शत प्रतिशत केंद्र पोषित था। अब 70 प्रतिशत हिस्सा केंद्र और 30 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेगी। इतनी सारी योजनाओं के बावजूद हरिद्वार में गंगा का प्रदूषण स्तर इस कदर बढ़ गया है कि पवित्र गंगा का पानी आचमन करने योग्य नहीं रह गया है।
अधिकारी दावा करते हैं कि कुंभ के लिए बनाई गई नई परियोजनाओं की वजह से गंगा का प्रदूषण कम हुआ होगा। वास्तविकता यह है कि गंगा में सीवर बहने से गंगा की हालत और खराब हुई है। यदि गंगा एक्शन प्लान के तहत भागीरथी और अलकनंदा को ही लिया जाए तो इन नदियों के किनारे बसे कई शहर और कस्बे अभी सीवर ट्रीटमेंट के दायरे से बाहर हैं। इनमें गोचर, नंदप्रयाग, कीर्तिनगर और केदारनाथ शामिल हैं।
बहुत अच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंगंगा प्रदूषण को लेकर चिंता वाजिब है। सरकार के साथ-साथ लोगों को भी पहल करनी होगी।
सबसे पहले तो हम जागरूक हो जाएं। हमने कई बार लोगों को गंगा आदि नदियों मे कूणे फेंकते हुए देखा है। अब ऐसे तो गंगा कभी भी साफ नहीं हो सकती।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी दी है।
धन्यवाद एवं शुभकामनाएं
गंगा कभी भी सरकार के दम पर साफ़ नहीं हो सकती। इसके लिए नागरिकों को जागरुक होना पड़ेगा।
जवाब देंहटाएंगंगा की सफ़ाई के लिए दिया हुए बजट का शत प्रतिशत काम में लगे तभी कु्छ संभव है।
जवाब देंहटाएंअगर पूरा बजट ही काम में लग जाएगा तो उन भिखारियों का क्या होगा जिनका धंधा ही गंगा को प्रदुषण मुक्त करने के नाम से ही चल रहा है।
जवाब देंहटाएंनागरिकों को जागरुक होना आवश्यक है जिससे इस महती योजना को अमली जामा पहनाया जा सके।
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी दी आपने,
जवाब देंहटाएंआभार
राम राम
जब तक सीवर को रोकने का इन्तेजाम नहीं किया जायेगा , सारी योजनायें फेल होती रहेंगी । बढती आबादी के साथ यह प्रबंध तो होना ही चाहिए । वर्ना गंगा अब कुछ ही साल की बची है।
जवाब देंहटाएंबढ़िया ध्यान आकर्षित किया है ।
बहुत रचनात्मक विषय पर ध्यानाकर्षण किया है आपने। अपनी पौराणिक धरोहर और धार्मिक आस्था से जुडी पवित्र गंगा को बचाने में सरकार, एनजीओ, प्रशासन औ जनता सभी को मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे । वर्ना आने वाली पीढी सिर्फ किताबों में ही पढेगी कि कोई गंगा नाम की पवित्र नदी इस धरा पर भागीरथ लाए थे । बहुत अच्छा प्रयास ।। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंगंगा को साफ़ रखने का हर नागरिक का कर्त्तव्य है क्यूंकि हम सरकार से इस बात की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं कर सकते! बढ़िया जानकारी दिया है आपने!
जवाब देंहटाएंकाश बचा लिया जाये गंगा को
जवाब देंहटाएं...everywhere corruption ... peoples must do something ... otherwise ...!!!!
जवाब देंहटाएंआपके विचारो से सहमत हूँ ....
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंगंगा तो मैली ही होती जा रही है
nice
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी ......दिया आपने .......गंगा को साफ़ रखना इस देश के प्रत्येक व्यक्ति कर्तव्य बनता है .
जवाब देंहटाएंkai jaghon per to ganga ne disha badal di...mailapan hamaree hi murkhta hai n
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी दिया आपने गंगा को साफ़ रखना इस देश के प्रत्येक व्यक्ति कर्तव्य बनता है ।
जवाब देंहटाएंगंगा तो मैली हुई सो हुई अब तो पूरा देश ही मैला हो गया है संजय जी!सरकार के पास इलाज कहां?समूचे देश मेँ जनजागरण की दरकार है।जिस गंगा को हम मां कहते हैँ उसकी व्यथा कथा पढ़ कर बहुत तक़लीफ हुई।
जवाब देंहटाएंगंगा बची रहे ...सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं ...प्रत्येक इंसान की है ...भारतवासी की है ...सरकारी प्रयासों से ज्यादा नागरिकों की जागरूकता जरुरी है ...!!
जवाब देंहटाएंसही कहा संजय जी ,
जवाब देंहटाएंगंगा जी कुछ दिन पहले ही जाकर आई हूं । देखकर दुख् होता है कि भारत की शान है गंगा और भारतवासी ही इसे मैला कर रहे है ।
सरकार कुछ भी नही कर सकती अगर हम नागरिक इसमें न जुड़ें तो । अफसोस तो तब होता है जब पढे लिखे नागरिक बिलकुल जानवरों की तरह गंदगी करते दिखाइ देते है। उन्हें इसका भान तक न होता है ।
राम तेरी गंगा मैली हो गयी .....
जवाब देंहटाएंपापियों के पाप धोते धोते .....
maaf kijiye sanjay bhai...aajkal thoda bzy hoon...
जवाब देंहटाएंlekin jab bhi mauka milta hai, jaroor chala aata hoon.....
bahut hi realistic lekh likha hai aapne...shaayd aaj bhi ganga utni hi pawitra ho lekin hum logon ne yeh sochna chhor diya hai....
dhyan dene ki jaroorat hai..
regards
http://i555.blogspot.com/
aur haan sanjay bhai ...
जवाब देंहटाएंaap mere blog par aate rahein....
dhanyawaad..............
BECHAARI GANGA.
जवाब देंहटाएंram teri ganga maili ho gayi.........
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
sanjay ji,
जवाब देंहटाएंkafi vistrit aur tathyapurn jankari dee hai aapne, achhe lekhan keliye badhai.
गंगा प्रदूषण को लेकर चिंता वाजिब है। बहुत अच्छी जानकारी दिया आपने
जवाब देंहटाएंसही कहा
जवाब देंहटाएंप्राण दायनी गंगा को हमने मृत प्राय कर दिया है... सभ्यता की जननी को सभ्यता ही नाश कर रही है... ना केवल सरकार की जिम्मे दारी है वल्कि हम भक्तज्न्नो की व्यक्तिगत अनुशाशन की भी आवश्यकता है... हर की पौड़ी पर लगातार अनुरोध किया जाता है की प्लास्टिक या साबुन आदि का उपयोग ना करें लेकिन कहाँ लोग मानते हैं... सुंदर रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंनागरिकों को जागरुक होना आवश्यक है
जवाब देंहटाएंगंगा तो मैली हुई सो हुई अब तो पूरा देश ही मैला हो गया है संजय जी
जवाब देंहटाएंसही कहा संजय जी ,
जवाब देंहटाएंगंगा जी कुछ दिन पहले ही जाकर आई हूं
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंअगर सब हिन्दुस्तानी जाग जाएँ तो गंगा पुनः वो गौरव प्राप्त कर सकती है ... बहुत अच्छा लिखा है संजय जी ...
जवाब देंहटाएंगंगा ..............अब भागीरथी को खोजती होगी .........कही देखे हो तो बताओ ...........कोई ख़ूबसूरत दिलकश ग़ज़ल ज़हन में हैं ............."तुम भी पियो ,हम भी पिए रब की महरबानी ,प्यार के कटोरे में गंगा का पानी ...............
जवाब देंहटाएंराम तेरी गंगा मैली हो गयी .....
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