29 मार्च 2010

दोस्त तो सारे आजमाए हुए है


यु ही मुस्कुराने की आदत बना राखी है हमने 
लाखो गम जी सीने में छुपाये हुए है 
अब खुद पे ऐतबार करके देखेंगे ,हम 
दोस्त तो सारे आजमाए हुए है  | 

......संजय भास्कर.....

32 टिप्‍पणियां:

  1. सुबह के नाश्ते में चना लीजिए
    खुद ही को दोस्त बना लीजिए

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  2. खुद पे एतबार हो तो दोस्त भी साथ देते हैं ...
    अच्छा लिखा है संजय जी ....

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  3. शेर के भाव अच्छे है भास्कर जी , मगर मैं कहता तो कुछ इस तरह कहता ;
    गम सीने में लाखो भले ही छुपाये रखे है
    मगर आदत हमें हरवक्त मुस्कुराने की है !
    दोस्त तो अपने सब आजमाए हुए है,
    बेबफाई की फिक्र हमें बस जमाने की है !!

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  4. बहुत बेहतरीन रचना.

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  5. वाह ....गोदियाल जी ने इसे सही रूप दे दिया ....शायद कुछ टंकण की भी galtiyaan thin ......!!

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  6. अब खुद पे ऐतबार करके देखेंगे ,हम
    दोस्त तो सारे आजमाए हुए है |
    ...बहुत खूब!!!

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  7. बहुत बढ़िया ...
    इस तनाव भरे जग में
    क्यों खुशियों हेतु किसी का मुख देखें
    आप ही अपने मित्र बने हम
    खुद से प्रेम करना सीखें

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  8. बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! बहुत बढ़िया लगा! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!

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  9. बहुत खूबसूरत रचना ......संजय जी

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  10. बेहद सुंदर रचना.

    रामराम

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  11. खुद पर एतबार किजिये दोस्त मिल जायेगे।

    सुन्दर रचना।

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  12. मजा आ गया पढ़कर. बहुत सुन्दर रचना...

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  13. बेनामी3/30/2010

    bahut badhiya....
    mann prafullit ho gaya....

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  14. dost ek mil jaye to tum bhagyashali ho, doosra to bahut hai, teesra ho hi nahi sakta

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  15. sahi kaha bhaskar ji khud ko ajmana behad jaruri hai tabhi to kehte hai khudi ko mkar buland itna.....hamesha ki tarah kam shabd gehr asandesh

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  16. बेनामी3/30/2010

    संजय जी ! रश्मिप्रभा जी ठीक कहती हैं !
    बड़े भाग्य से दोस्त मिलते हैं और वे ज्यादा नहीं होते !

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  17. इस उम्दा रचना के लिए बधाई!

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  18. यु ही मुस्कुराने की आदत बना राखी है हमने
    लाखो गम जी सीने में छुपाये हुए है
    अब खुद पे ऐतबार करके देखेंगे ,हम
    दोस्त तो सारे आजमाए हुए है |
    achchhi lagi rachna

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  19. बेहतरीन रचना. यही जिंदगी का फलसफा है.

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  20. kya bat he kya likhate he aap

    acha laga pad kar

    http://kavyawani.blogspot.com/

    shekhar kumawat

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  21. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  22. बहुत खूब ! आज के ज़माने के दोस्तों को आपने सही पहचाना है संजय जी !

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  23. एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

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- संजय भास्कर