12 मार्च 2010

तेरे लायक नहीं,जानता हूँ

 तेरे लायक नहीं, जानता हूँ

जो कभी नही हुआ
वो आज हो गया
जो मेरे पास था
वो दिल खो गया
तुम जानते हो या न नही, पता नहीं
पर जो खोया है मैंने
वो है तेरे पास कहीं
मिल जाये तो लौटा देना
तेरे लायक नहीं वो
 
जानता  हूँ
ले लूँगा, समझाकर रख लूँगा पास अपने ही 
जानता 


26 टिप्‍पणियां:

  1. दिलचस्प अंदाज. अच्छा लिखा।

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  2. आपकी रचना से मुझे इज़ाज़त का गीत " मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है..." याद आ गया... बहुत अच्छी रचना...

    नीरज

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  3. वाह बहुत ही सुन्दर अंदाज़ के साथ लिखी गयी इस ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई!

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  4. शानदार...पर इस जनता की जगह जानता का यूज़ क्यों नहीं किया....
    amitraghat.blogspot.com

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  5. बेनामी3/12/2010

    शुभकामनाएं

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  6. ारे क्यों खुद को अन्डर एस्टीमेट कर रहे हो? उसके लायक क्यों नही ? जिसे पहचान नही तुम्हारे दिल की उसे दिया ही क्यो? हा हा हा अच्छी लगी कविता। बधाई और आशीर्वाद्

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  7. मत लौटाना
    मेरे दोस्त का दिल
    खो गया है तो क्या
    दिल तभी दिल है जब खो जाये
    वह वज़ूद ही क्या
    जो किसी और का न हो जाये

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  8. अच्छा लिखा है.
    जारी रहें.

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  9. its very emotional poem...
    keep it up.

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  10. Aap chahe na batao Sanjay Ji ham to hamjh hi gae ...ki mamala kya hai pichale kuch dino se kya ho raha hai :)
    Bahut acchi rachana..bhadiya andaaz!

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  11. भाई इब दे दिया तो वापस लेके क्या करना? दी हूई चीज वापस नही लिया करते. उसी के पास रहण दे...वो लऊताये तो भी मत लेना. कह देना कि एक बार दी हुई चीज वापस नही लेते. आगे तेरी मर्जी.:)

    रामराम.

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  12. comment chat me dunga
    gud..keep it up

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  13. Rachna to umda hai Sanjay lekin kya baat hai Hindustani ladkiyon ke baad Chinese par dil aa gaya??? tasveer se to yahi lagta hai.. Ha Ha Ha.. :)

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  14. भई आप लोग इतनी अच्छी अच्छी कविताएं कैसे लिख लेते हैं मुझे तो ईर्ष्या होने लगी है. :-) बहुत सुंदर. अभार.

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  15. अंदाजे-बयां अच्छा है..!
    आभार ।

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  16. अंडरएस्टीमेट ना करो भैय्या!
    अजी मैंने कहा, हारिये ना हिम्मत बिसारिये ना राम!
    www.myexperimentswithloveandlife.blogspot.com

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  17. दिल तभी दिल है जब खो जाये
    वह वज़ूद ही क्या
    जो किसी और का न हो जाये

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- संजय भास्कर