सभी साथियों को मेरा नमस्कार कई दिनों के बाद आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ पल्लवी विनोद दी की ...रचना की पंक्तियाँ आज साँझा कर रहा हूँ उम्मीद है सभी पसंद आएगी ......!!
बेटियाँ ........
बेटियाँ जानती हैं उनके जन्म के बाद
नहीं बजेगी थाली
देवताओं को पूजा नहीं जाएगा
कोई शोर शराबा नहीं होगा
इसीलिए आमद करती हैं एक दमदार
आवाज़ के साथ
कमरे के बाहर खड़ी बुआ खिलखिला कर कहती है
इस घर में मेरा वंश चलाने वाली आ गयी।
बेटियों को पता है माँ जा चुकी है
अब नहीं आएँगी
वो पिता के कंधे पर सिर रख कर
मायके के हर रिश्ते को गले लगा कर
माँ की गंध महसूस करना चाहती है
आँख में आँसू उमड़ रहे हैं
तब तक भतीजी ने पूछ लिया
‘बुआ तुम ठीक तो हो?’
वो मुस्कुरा रही है,
मेरी उदास आँखों को पढ़ने वाली इस घर में मौजूद है !!