18 फ़रवरी 2021

.... बदलाव :)

सभी साथियों को नमस्कार कुछ दिनों से व्यस्ताएं बहुत बढ़ गई है इन्ही कारणों से ब्लॉग को समय नहीं दे पा रहा हूँ पर....आज आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी नई रचना उम्मीद है आपको पसंद आये.........!!

घर से दफ्तर के लिए
निकलते समय रोज छूट
जाता है 
मेरा लांच बॉक्स और साथ ही
रह जाती है मेरी घड़ी
ये रोज होता हो मेरे साथ 
और
मुझे लौटना पड़ता है उस गली के
मोड़ से
कई वर्षो से ये आदत नहीं बदल पाया मैं
पर अब तक मैं यह नहीं
समझ पाया
जो कुछ वर्षो से नहीं हो पाया
वह कुछ महीनो में कैसे हो पायेगा
अखबार के माध्यम से की गई
तमाम घोषणाएं
समय बम की तरह लगती है
जो अगर नहीं पूरी हो पाई
तो एक बड़े धमाके के साथ
बिखर जायेगा सबकुछ......!!


- संजय भास्कर

31 टिप्‍पणियां:

  1. काफी दिनों बाद आपकी उपस्थिति पाकर बेहद ख़ुशी हुई,
    एक सुंदर रचना के साथ वापसी का स्वागत है संजय जी

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  2. जिन्हें कोई लत पड़ जाय वे फिर बदल नहीं पाते हैं अपने आपको क्योंकि आदतें बदली जा सकती हैं, लेकिन लत नहीं
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  3. बहुत समय के बाद आपकी रचना पढ़ने को मिली । चिंतन भरा
    संदेश देती सुन्दर रचना ।

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  4. सुन्दर, सारगर्भित संदेश पूर्ण रचना..

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय/ प्रिय,
    कृपया निम्नलिखित लिंक का अवलोकन करने का कष्ट करें। मेरे आलेख में आपका संदर्भ भी शामिल है-
    मेरी पुस्तक ‘‘औरत तीन तस्वीरें’’ में मेरे ब्लाॅगर साथी | डाॅ शरद सिंह
    सादर,
    - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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  6. उत्तर
    1. Please visit my blog and share your opinion🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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  7. बहुत बढ़िया संजय जी। आपको बधाई।

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  8. बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति।

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  9. बहुत बढ़िया रचना संजय जी ।

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  10. आपकी बात समझी मैंने संजय जी - वो जो आपने कही और वो भी जो आपने नहीं कही ।

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  11. आदरणीय संजय भास्करजी !
    लय ताल मे सिमटी जिंदगी के अबूझ डर को संजोती अनूठी रचना के लिए साधुवाद !

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  12. बेहतरीन रचना , जीवन की सच्चाई भी है ये ,आदत बदलना थोड़ा मुश्किल ही होता है, वापसी बहुत अच्छी हुई , बधाई हो संजय, शुभ प्रभात

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  13. बहुत ही अच्छी कविता।यथार्थ से रूबरू।हार्दिक आभार और शुभकामनाएं

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  14. जो वर्षों से नहीं हुआ वह यदि कोई चाहे तो पल में हो सकता है, महीनों की बात क्या है, असली बात है क्या हम बदलाव चाहते हैं !

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  15. बहुत खूब! सुंदर कविता!

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  16. बहुत सुन्दर भाव लिए और यथार्थ से परिचय कराती फिर एक अच्छी रचना संजय भाई

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  17. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना

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- संजय भास्कर