05 मार्च 2020

.... ज़िंदगी का तजुर्बा :)


घर के बड़े - बूढ़े 
जिन्हे नहीं चाहिए ज्यादा कुछ, 
चाहिए तो बस 
थोड़ी इज्जत और सम्मान, 
बदले में ये आपको दे 
सकते है , 
ज़िंदगी जीने का वो तजुर्बा 
जो शायद कही किसी 
किताब में 
लिखा ही नहीं 
ऐसा बिलकुल भी नहीं हैं 
ये कुछ नहीं जानते 
ये सब जानते है , 
नए जमाने की बातें  
पर ये 
उन पेड़ो की तरह
है  
जो हर मौसम और समय 
के हिसाब से 
ढलते रहे है   
तभी तो वे किसी भी परेशानी में , 
जल्दी कराहते नहीं
नई पीढ़ी की तरह 

- संजय भास्कर 

23 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन सृजन... समय की समझाईश का अथाह भंडार होता है इनके पास

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  2. तभी तो वे किसी भी परेशानी में , 

    जल्दी कराहते नहीं

    नई पीढ़ी की तरह 

    बिलकुल सही कहा है संजय जी अनुभवों का खजाना होते हैं बड़े बुजुर्ग.मान सम्मान के अलावा ये कुछ भी तो नहीं चाहते हमसे.
    बढ़िया 👌

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 06 - 03-2020) को "मिट्टी सी निरीह" (चर्चा अंक - 3632) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    अनीता लागुरी"अनु"

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  4. बिल्कुल सही कहा आपने, बहुत सुंदर और सार्थक रचना 👌

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  5. वाक़ई, बुज़ुर्गों के पास कुछ देर बैठ के देखो... ज्ञान ही ज्ञान मिलेगा...

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  6. ज्ञान कोष होते हैं बुजुर्ग
    बहुत सुन्दर रचना

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  7. सही सटीक सार्थक कथन ।
    सुंदर सृजन।

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  8. सकारात्मक भाव लिए उद्देश्यपूर्ण सृजन । सम्मान चाहते हैं वे हम से लेकिन बदले में सनेहाशीष और अनुभव झोली भर देते हैं । बहुत सुन्दर सृजन ।

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  9. सही कहा है आपने, जिस घर में बुजुर्गों का सम्मान होता है वहां कोई दर्द ज्यादा देर तक टिक नहीं सकता

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  10. तभी तो वे किसी भी परेशानी में ,
    जल्दी कराहते नहीं
    नई पीढ़ी की तरह
    सटीक सार्थक एवं लाजवाब कृति
    वाह!!!

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  11. उन पेड़ो की तरह
    है
    जो हर मौसम और समय
    के हिसाब से
    ढलते रहे है


    bahut gehari aah liye hai ye rchnaa...aajkal priwaaon ka haal dekh ke dukh hi hota he ..

    hmm
    bdhaayi rchna ke liye

    जवाब देंहटाएं
  12. सुप्रभात
    संजय बहुत ही शानदार रचना जय मन को छू गई |

    जवाब देंहटाएं
  13. Dr Raj Kumar Kochar3/07/2020

    मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही ज्ञानवर्धक और मददगार है।

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  14. संजय भाई, हमारे बुजुर्गों के पास अनुभव का भंडार हैं। आवश्यकता इस बात की हैं कि युवा पीढ़ी उसका सही उपयोग करे।

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  15. बहुत अच्छी रचना है। आपका लेखन शैली बहुत उन्दा है।

    जवाब देंहटाएं
  16. तभी तो वे किसी भी परेशानी में ,
    जल्दी कराहते नहीं
    नई पीढ़ी की तरह
    बिलकुल सत्य कहा आपने ,बुजुर्ग वो बरगद की छाँव हैं जिसके करीब बैठने से सिर्फ लाभ ही मिलेगा।
    बेहतरीन सृजन ,संजय जी ,सादर

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  17. एक बरगद होते हैं घर के बुजुर्ग ... जिनकी छाया में साँस लेते हैं हम ... उन्हें बस प्रेम और इज़्ज़त चाहिए ... सब कुछ दे देते हैं ये ...
    शूट भावपूर्ण संजय जी ...

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  18. आपकी पोस्ट दिल को छूने वाली है।

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  19. बुजुर्गों के पास अनुभव है
    सहन करने का भी
    और उभरने का भी।
    और ये यही अनुभव साझा भी कर सकते हैं बदले में सम्मान चाहिए होता है।
    बहुत खूबसूरत रचना।
    नई रचना- सर्वोपरि?

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  20. This Article truly helpful. Thanks to post such a useful content. Order Cakes to India Online

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- संजय भास्कर