अक्सर हो जाती है
इकट्ठी
ढेर सारी व्यस्तताएँ
और आदमी
फस जाता है इन व्यस्तताओं
के जाल में
पर आदमी सोचता जरूर
है की छोड़ आएँ
व्यस्तताएँ कोसो दूर अपने से
पर जब हम निकलते
व्यस्तताओं को
दूर करने के लिए
तब लाख कोशिशों
के बाद पीछा नहीं छोड़ती
ये व्यस्तताएँ हमारा
और हमे
मजबूरन जीना पड़ता है
ये व्यस्तताओं भरा जीवन
और लड़ना पड़ता है अपने आपसे
और व्यस्तताओं से
तब इन व्यस्तताओं से बचने के बहाने
तलाशता आदमी
हमेशा व्यस्त नजर आता है !!
- संजय भास्कर