27 मई 2019

आने वाले दिनों में :)


आने वाले दिनों में जब
हम सब       
कविता लिखते पढ़ते बूढ़े
हो जायेंगे !
उस समय लिखने के लिए
शायद जरूरत न पड़े
पर पढ़ने के लिए
एक मोटे चश्मे की
जरूरत पड़ेगी
जिसे आज के समय में हम
अपने दादा जी की आँखों पर
देखते है !
तब पढने के लिए
ये मोटा चश्मा ही होगा
अपना सहारा
आने वाले दिनों में
देखता हूँ यह स्वप्न
मैं कभी - कभी 
क्‍या आपको भी
ऐसा ही
ख्‍याल आता है कभी !!

-- संजय भास्कर 

21 टिप्‍पणियां:

  1. हाँ कुछ कहीं जरूर होगा। कौन सी इन्द्री साथ देती है कौन सी रूठती है समय के जाल में है :)

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  2. हां ,जरूर आता है उम्र के साथ ये तो होगा ही ,और आज के युग में तो कुछ जल्दी ही हो रहा हैं ,ख्याल अच्छा है आप का

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 30 मई 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन तीसरा शहादत दिवस - हवलदार हंगपन दादा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  5. बहुत सही...., चश्मा भी आएगा और भी ना जाने कितनी ही आदतें बदल जाएंगी । चिन्तनपरक सृजन :-)

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  6. हमारे तो कदम उधर ही बढ़ गए..जो भी होगा अच्छा होगा।
    सार्थक।

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  7. चश्मा नज़र की हो या न हो पर नज़रिये का जरूर होना चाहिये

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  8. चश्मा ही आगे दुनिया दिखाएगा कुछ नज़र आए या न आए आँखों पर मोटा चश्मा जरूर नजर आएगा बेहतरीन प्रस्तुति संजय जी

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  9. रोचक!! कभी कभी ऐसे ख्याल आते तो हैं मन में....

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  10. रोचक विचार संजय जी...उम्र के साथ मन की आँखें निर्मल, स्वच्छ और तन की आँखें कमजोर हो जाती हैं।

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  11. पढ़ाकू नामकरण हो जाता है.. इक उंगली ज्यादा व्यस्त हो जाती है , संतुलित करने में नाक तक खिसक आती है जब...

    सुंदर लेखन

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  12. प्रभावशाली रचना

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  13. बढिया प्रस्तुति।

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  14. हाँ प्रिय संजय -- मैं भी सोचती हूँ -- ये आजकल के जीवन की शाश्वत सच्चाई है | इसका सामना साहस से किया जाना चाहिए ना कि परेशान होकर | जब छोटे छोटे बच्चे चश्मे को सहर्ष [ अपनी मज़बूरी में ] अपना रहे हैं तो एक उम्र के बार हमें भी इस के लिए तैयार रहना चाहिए | हल्की फुल्की रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें |

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  15. बहुत सुन्दर कविता।

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  16. यथार्थपरक हृदयस्पर्शी रचना

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  17. सही कहा आप ने, बहुत ही सुन्दर
    प्रणाम
    सादर

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- संजय भास्कर