( चित्र गूगल से साभार )
उस आदमी से मैं रोज़
मिलता हूँ
उसकी सुनता हूँ अपनी बताता हूँ
परिवार में सब ठीक है
और आगे निकल जाता हूँ
पर यह कभी नहीं जाहिर होने देता वो
की वह कितना दुखी है
मकान की मरम्त बाकी है अभी
बाबा का इलाज जरूरी है
कमाई का ज़रिया भी कुछ खास नहीं है
परेशान है
पर इन सब से लड़ता वह
हमेशा चेहरे पर रखता है मुस्कराहट
नहीं दिखाता अपना दुःख दूसरों को
क्योंकि सुख के सब साथी है
दुःख में कोई नहीं
और इसीलिए वो हमेशा बना रहता है
ज़िंदादिल !!
- संजय भास्कर