22 सितंबर 2018

..... माँ की जलती हथेलियाँ :)

                                                                   ( चित्र गूगल से साभार  )


वर्षो से जलती रही हथेलियाँ
माँ की 
सेंकते- सेंकते रोटियां 
मेरे पहले स्कूल से लेकर आखरी कॉलेज तक  
सब याद है मुझे आज तक 
बड़ी सी नौकरी और मिल गया 
बड़ा सा घर 
जिसे पाने के लिए सारी -२ रात लिखे पन्ने 
अनजानी काली स्याही से 
पर सब कुछ होने पर 
नहीं भूलती
माँ की जलती हथेलियाँ....!!

- संजय भास्कर 




20 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 23 सितम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. माँँ का त्याग बेमिसाल है इसीलिये तो ईश्वरसम समझी जाती है माँ . हृदयस्पर्शी सृजन संजय जी .

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन दुर्गा खोटे और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  4. माँ तो माँ है..बेहद हृदयस्पर्शी रचना संजय जी।

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  5. गोपेश मोहन जैसवाल9/23/2018

    माँ जब रोटियां सेकती है तो उनमें घी चुपड़कर उनमें ऊपर से अपनी जान भी छिड़कती है. बहुत सुन्दर संजय भास्कर जी !

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  6. माँ की हथेलियों का जलना
    कोई कैसे भूल सकता है ?
    इन्हीं हथेलियों ने आशीष दिया
    जिसके बल पर हमने यश प्राप्त किया

    स्मरण दिलाने के लिए हार्दिक आभार,संजय भास्करजी.

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  7. मां की हथेलियाँ सिर्फ रोटियों से ही नही जलती बच्चों पर आने वाली सभी विपदाओं को अपनी हथेलियों में समेट लेती हैं ना मां कैसे भुले उसे....
    मर्मस्पर्शी रचना।

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  8. माँ की जलती हथेलियां.... बहुत सुन्दर रचना हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति..

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  9. नहीं भूलती
    माँ की जलती हथेलियाँ....
    बेहद हृदयस्पर्शी रचना आदरणीय

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  10. माँ से पूछ के देखो ... ये फूल हैं उसके लिए ...
    अपने बचों के लिए वो अंगारे भी उठा लेती है ... सब कुछ कर जाती है ... क्योंकि माँ है ...
    बहुत दिल को छूने वाली पंक्तियाँ ...

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  11. भावपूर्ण। माँ को कितनी ही तरह से याद किया जाता है। जैसे भी याद करो दिल को छू जाती है ।

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  12. वाह बहुत ही सुंदर।
    माँ जैसा कोई नही दुनिया में।

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  13. माँ को समर्पित सुंदर भावपूर्ण रचना..

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  14. मां वो नहीं है जो फूल बिछाए हमारी राहों में
    मां वो है जो बुहार के ले जाती है कांटे अपने ही दामन में और हमे सहज कर दे ।
    उम्दा
    चित्र भी गजब।

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  15. वाह! बहुत ही सुंदर...

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  16. बहुत ही खुबसुरत रचना

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  17. बेहद हृदयस्पर्शी

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- संजय भास्कर