06 सितंबर 2017

......पीढ़ियाँ आती रहेंगी :))


पीढ़ियाँ आती रहेंगी
और जाती रहेंगी
हमेशा कि तरह
अपनी जिम्मेदारियाँ निभाती रहेंगी
अपनी पूरी ज़िंदगी
कुछ जिम्मेदारियाँ पूरी हो जाती है
इस पीढ़ी में
जो रह जाती जाएंगी
उसे छोड़ जाएंगी
आने वाली पीढ़ियों पर
और वह पीढ़ी
उन्हीं जिम्मेदारियों को
निभाते -निभाते बिता देगी सारी उम्र
ऐसे ही बीत जाएंगी
ये ज़िंदगी
क्योंकि पीढ़ियाँ आती रहेगी
पीढ़ियाँ जाती रहेंगी.......!!

- संजय भास्कर

सभी साथियों को मेरा नमस्कार कुछ दिनों से व्यस्ताएं बहुत बढ़ गई है इन्ही व्यस्ताओं के कारण ब्लॉग को समय नहीं दे पा रहा हूँ ज़िंदगी की भागमभाग से कुछ समय बचाकर आज आप सभी के समक्ष उपस्थित हूँ  !

17 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह्ह....क्या कहने गहरे भाव शब्दों का सटीक सुंदर संयोजन।
    वक्त के रेत आधियाँ,कदमों के निशां मिटाती रहेगी।
    मुट्ठी भर यादों का सिलसिला,बार बार रूलाती रहेगी।।

    सुंदर रचना संजय जी।

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  2. जीवन यूं ही चलता है जो कमी रह गई‎ उसकी भूल सुधार‎ की गुंजाइश नई पीढ़ी के हाथ ....,नश्वरता के साथ अमरता का खूबसूरत संदेश‎ .संजय जी बहुत खूबसूरत रचना‎ .

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  3. गंभीर चिंतन को अभिव्यक्त करती यथार्थपरक रचना।

    बधाई संजय जी।

    आपने समय लिया नयी रचना को प्रकाशित करने में लेकिन दिल खुश कर दिया।

    लिखते रहिये नहीं तो नयी पीढ़ी आपको माफ़ नहीं करेगी ,जो उसकी ज़रूरत है जिसे वह नहीं समझती उसे आपको इसी तरह समझाना होगा।


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  4. आपकी इस पस्तुति का लिंक 07-09-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2720 में दीिया जाएगा
    धन्यवाद

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  5. Hello Sir

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  6. यूँ ही जीवन चक्र पीढ़ी-दर-पीढी चलता रहता है
    बहुत सुन्दर

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  7. संजय जी एक अच्छी कविता के लिए इतना इनतजार तो बनता है।गहरी सोच

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  8. सुन्दर भाव , अच्छी कविता

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  9. साँसों किजिमेदारी होती ही जो भी होती अहिं ,... इंसान उसी को पूरा करता रहता है जिंदगी भर ...

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  10. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस २०१७ “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  11. बहुत खूब ...यही तो जिन्दगी है

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  12. बहुत खूब ...यही तो जिन्दगी है

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  13. जिंदगी की यहीं रीत हैं... बहुत सुंदर...

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  14. अविश्मरणीय रोचक प्रस्तुति शब्दों का खूबसूरत ताना बाना

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- संजय भास्कर