चित्र - गूगल से साभार
कोरा कागज़ और कलम
शीशी में है कुछ स्याही की बूंदे
जिन्हे लेकर आज बरसो बाद
बैठा हूँ फिर से
कुछ पुरानी यादें लिखने
जिसमें तुमको छोड़ कर
सब कुछ लिखूंगा
आज ये ठान कर बैठा हूँ
कलम कोरे पन्नें को भरना चाहती है
पर कोई ख्याल आता ही नही
शब्द जैसे खो गए है मानो
क्योंकि अगर मैं तुमको छोड़ता हूँ
तो शब्द मुझे छोड़ देते है
पता नहीं आज
उन एहसासो को
शब्दो में बांध नही पा रहा हूँ मैं
क्योंकि आज
ऐसा लग रहा है की मुझे
मेरे सवालो के जवाब नही मिल रहे है
शायद तुम जो साथ नहीं हो
और ये सब तुम्हारे प्यार का असर है
हाँ हाँ तुम्हारे प्यार का असर है
जो तुम बार बार आ जाती हो
मेरे ख्यालों में
तभी तो आज ठान का बैठा हूँ
कि तुमको छोड़ कर
सब कुछ लिखूंगा ................!!
( C ) संजय भास्कऱ
कोरा कागज़ और कलम
शीशी में है कुछ स्याही की बूंदे
जिन्हे लेकर आज बरसो बाद
बैठा हूँ फिर से
कुछ पुरानी यादें लिखने
जिसमें तुमको छोड़ कर
सब कुछ लिखूंगा
आज ये ठान कर बैठा हूँ
कलम कोरे पन्नें को भरना चाहती है
पर कोई ख्याल आता ही नही
शब्द जैसे खो गए है मानो
क्योंकि अगर मैं तुमको छोड़ता हूँ
तो शब्द मुझे छोड़ देते है
पता नहीं आज
उन एहसासो को
शब्दो में बांध नही पा रहा हूँ मैं
क्योंकि आज
ऐसा लग रहा है की मुझे
मेरे सवालो के जवाब नही मिल रहे है
शायद तुम जो साथ नहीं हो
और ये सब तुम्हारे प्यार का असर है
हाँ हाँ तुम्हारे प्यार का असर है
जो तुम बार बार आ जाती हो
मेरे ख्यालों में
तभी तो आज ठान का बैठा हूँ
कि तुमको छोड़ कर
सब कुछ लिखूंगा ................!!
( C ) संजय भास्कऱ
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आर्थिक संकट का सच... ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंकभी कभी मन तो शब्दों से भरा होता है । पर शब्द कलम तक पहुचते ही नहीं । बहुत ही भाव पूर्ण रचना ।
जवाब देंहटाएंवाह..जिसे छोड़कर लिखना था उसके सिवा तो कुछ भी लिखा नहीं गया..एक वही तो है सब जगह उसको कोई छोड़ ही कैसे सकता है..
जवाब देंहटाएंउनको छोड़ के लिखना कहाँ संभव है ... न चाहते हुए भी उनको ही लिख दिया इस पूरी रचना में ...
जवाब देंहटाएंशायद यही प्रेम है ...
वाह … जिन्हे नहीं लिखना था, हर शब्द में वही हैं .... लाज़वाब
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है ............आपने तो बहुत कुछ न कहना चाहते हुए भी सब कुछ कह ही दिया
जवाब देंहटाएंWaaaah bht khoob likkha
जवाब देंहटाएंबहुत खूब संजय जी। पर अगर ऐसा है तो किसी को भी मत छोड़िये। :)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब संजय जी। पर अगर ऐसा है तो किसी को भी मत छोड़िये। :)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब संजय जी। पर अगर ऐसा है तो किसी को भी मत छोड़िये। :)
जवाब देंहटाएंkya baat hai sanjay....apni si lagi ye kavita....kya khoob likha hai....umda
जवाब देंहटाएंसुंदर भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंतुम्हें छोड़ कर सब कुछ लिखूंगा पर कहाँ छोड़ा उसे सब कुछ ही तो लिख दिया बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव
जवाब देंहटाएंतुम्हें छोड़ कर सब कुछ लिखूंगा ? (लेकिन कैसे लिखोगे भाई)
वाह क्या बात है .
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अबोध मन जिससे पीछा छुड़ाना चाहता है उसी से से नही छुड़ा पाता, जिसके विषय में नही लिखना चाहते सबकुछ उसी के विषय में लिखा
जवाब देंहटाएंअत्यंत भावपूर्ण पंक्तियाँ
अबोध मन जिससे पीछा छुड़ाना चाहता है उसी से से नही छुड़ा पाता, जिसके विषय में नही लिखना चाहते सबकुछ उसी के विषय में लिखा
जवाब देंहटाएंअत्यंत भावपूर्ण पंक्तियाँ
संजय भाई बहुत सुन्दर। . प्यार का असर होता ही है ऐसे
जवाब देंहटाएंसुन्दर छवि आंकी आप ने
भ्रमर ५
कहीं न क उन्हें तो आना ही था ... खूब लिखा संजय जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंभैया भास्कर को जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं!
बहुत सुन्दर लिखा है |सच है बिना प्रेरणा कुछ भी लिखना संभव नहीं |
जवाब देंहटाएंक्या कुछ लिख पाये उनको छोडकर
जवाब देंहटाएंdil ke asmanjas ko kafi khubsurati se ubhara gya h.......behtarin....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर शब्दों और भावों से रचित रचना।
जवाब देंहटाएंउस एक को छोड़ कर खने को रह ही क्या जाता हैं लिखने को
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्द रचना
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प्रशंसनीय - जिसे छोड़ना चाहते हैं वही तो नहीं छूटता
जवाब देंहटाएंतुम्हें छोड़ कर सब कुछ लिखूंगा क्या कुछ लिख पाये उनको छोडकर
जवाब देंहटाएंक्योंकि अगर मैं तुमको छोड़ता हूँ
जवाब देंहटाएंतो शब्द मुझे छोड़ देते है
bahut khoob!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत रचना की प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....
गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसारे शब्द मुँह फेरे मुस्करा रहे हैं -अब क्या लिखें लिखने को लिखने को कुछ बचा कहाँ?
जवाब देंहटाएंक्योंकि अगर मैं तुमको छोड़ता हूँ
जवाब देंहटाएंतो शब्द मुझे छोड़ देते है
वाह, बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति ।
सब कुछ लिखूंगा पर कहाँ छोड़ा उसे
जवाब देंहटाएंतुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगा
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात कही।
सब कुछ तो लिख दिया
तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगा
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात कही।
सब कुछ तो लिख दिया
बहुत ही खूबसूरत रचना की प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंAwesome........,
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