जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर शब्दों से मुस्कुराहट बाँटने की कोशिश :)
08 सितंबर 2014
..... बारिश की वह बूँद :)
बारिश की वह बूँद
जो मेरे कमरे की खिड़की के
शीशे पर
फिसल रही थी
जिसे मैं घंटो से निहार रहा था
उसे देख बस मन में
एक ही ख्याल आ रहा था
जो बूँद इस
शीशे को भीगा
रही है
वैसे ही काश
भीग जाए मेरा मन ....!!!
बहुत खूब संजय जी ... बूँद का एहसास ही भीगा हुआ होता है और ऐसे में मन के भीग जाने का एहसास पुरसुकून देता है ... गहरे जज्बात समेटे पंक्तियाँ ... लाजवाब ...
बारिश की वह बूंद----भीग जाय मेरा मन. भीगी सी अभिव्यक्ति. जेनेरेशन गेप--आज का ज्वलंत प्रश्न-- ढलती उम्र का एक पछतावा या आई-ओपनर. प्राईवेसी--क्या है इसकी सीमा और कब-कब? शुभकामनाएं,संजय जी. क्षमा करें देरी हो गई.
बहोत ही सुन्दर ब्लॉग और लिखावट हे आपकी संजय भाई ,मुझे बहोत कुछ सिखने को मिलेगा आपके ब्लॉग से ,में सुभकामना के साथ धन्यवाद करती हु की अपने अपने ब्लॉग में मुझे आमंत्रित किया
कोमल भावसिक्त सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएं:-)
So nice
हटाएंक्या बात वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब संजय जी ... बूँद का एहसास ही भीगा हुआ होता है और ऐसे में मन के भीग जाने का एहसास पुरसुकून देता है ... गहरे जज्बात समेटे पंक्तियाँ ... लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंमन भीग जाता है जिस क्षण...कितना कुछ घट जाता है...कोई दीप जल जाता है मन्दिर में बिन जलाए या कोई फूल झर जाता है अस्तित्त्व के चरणों में...सुंदर भाव !
जवाब देंहटाएंbheegee hui kavita
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : दीर्घजीवन और पालतू जानवर
बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमन को भावसिक्त कर गई बूँद , इन पंक्तियों में बिंब प्रत्यक्ष है !
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंबेशक, अच्छी कविता ।
बहुत खूब
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंउम्दा भाव लिए रचना
samvednaaon ki utkrist abhiwayakti .....
जवाब देंहटाएंवैसे ही भीग जाय मेरा मन |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति !
जन्नत में जल प्रलय !
नन्हीं सी बूँद ने करिश्मा तो कर ही दिया...मन भीगा तो ही इस नन्हीं सी कविता का जन्म हुआ
जवाब देंहटाएंभावो की अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंभावो की अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्द .....
जवाब देंहटाएंBahut Sunder
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंwaah kya baat kahi :-)
जवाब देंहटाएंबूंदों को रूह तक उतरने का मौका दीजिये फिर देखियेगा कभी सूख नहीं पायेंगे...सुंदर प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंअच्छी भावपूर्ण रचना !
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !
अच्छी भावपूर्ण रचना !
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !
वाह...सुन्दर पोस्ट...
जवाब देंहटाएंसमस्त ब्लॉगर मित्रों को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@हिन्दी
बहुत सुन्दर संजय जी
जवाब देंहटाएंमन को भीगा देने वाली बारिश काम ही होती है
सुंदर भावपूर्ण।
जवाब देंहटाएंGood one
जवाब देंहटाएंबारिश की वह बूंद----भीग जाय मेरा मन.
जवाब देंहटाएंभीगी सी अभिव्यक्ति.
जेनेरेशन गेप--आज का ज्वलंत प्रश्न--
ढलती उम्र का एक पछतावा या आई-ओपनर.
प्राईवेसी--क्या है इसकी सीमा और कब-कब?
शुभकामनाएं,संजय जी.
क्षमा करें देरी हो गई.
बहोत ही सुन्दर ब्लॉग और लिखावट हे आपकी संजय भाई ,मुझे बहोत कुछ सिखने को मिलेगा आपके ब्लॉग से ,में सुभकामना के साथ धन्यवाद करती हु की अपने अपने ब्लॉग में मुझे आमंत्रित किया
जवाब देंहटाएंBhaawpurn...bheeg jaye mera mann waah...sunder bhivyakti!!
जवाब देंहटाएंआप की रचनाएँ मेरे लिये प्रेरणा हैं! बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत खूब संजय जी ... बूँद का एहसास ही भीगा हुआ होता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावना संजय जी
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति! साभार! संजय जी!
जवाब देंहटाएंधरती की गोद
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण की ओर से आभार।
sundar prastuti
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंwaah... sunadar abhivyakti
जवाब देंहटाएंbahut sunder
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
बहुत बढ़िया :)
जवाब देंहटाएंthat was nice!
जवाब देंहटाएंनन्हीं सी बूँद ने करिश्मा तो कर ही दिया...मन भीगा तो ही इस नन्हीं सी कविता का जन्म हुआ
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द संयोजन श्री संजय जी
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबूँद का एहसास ही भीगा हुआ होता है
जवाब देंहटाएंबारिश की वह बूंद----भीग जाय मेरा मन.
जवाब देंहटाएंभीगी सी अभिव्यक्ति.