ब्लॉगजगत में कविता रावत जी एक जाना पहचाना नाम है ( कविता रावत -- भोपाल गैस त्रासदी की मार झेलने वाले हजारों में से एक हूँ. ऐसी विषम परिस्थितियों में मेरे अंदर उमड़ी संवेदना से लेखन की शुरुआत हुई कविता जी की ) कविता जी के लेखन की जितनी भी तारीफ की जाए कम है....हमेशा ही संवेदन शील विषय पर हर शब्द दिल को छूकर गुज़र जाता है हमेशा ही नया और छाप छोड़ता हुआ हर आलेख विषय चाहे कोई भी हो शब्द बनते चले जाते है हर शब्द हमेशा ही दिल को छूकर गुजरता है और हमेशा ही उनकी पोस्ट से एक नई प्रेरणा मिलती है...!!
आज सुबह जैसे ही ब्लॉग पढ़ने बैठा एक पुराने लिंक से कविता जी की एक पुरानी रचना पढ़ने को मिली ( घर को तेरा इन्तजार है
घर सारा बीमार है !! )
जो दोबारा पढ़ने पर बहुत ही मर्मस्पर्शी लगी कविता रावत जी के लिखने का अंदाज ही ऐसा है कि पाठक अपने आप ही उनके ब्लॉग पर खिंचा चला आता है उनके लेखन ने हमेशा ही ब्लॉगजगत को प्रभावित किया है और उनके अपार स्नेह के कारण ही कविता जी के बारे में लिख रहा हूँ ......!!
कविता जी की एक पुरानी रचना ( घर को तेरा इन्तजार है घर सारा बीमार है ) कुछ पंक्तिया साँझा कर रह हूँ.........!!
एक बार आकर देख जा बेटे
(C) संजय भास्कर
आज सुबह जैसे ही ब्लॉग पढ़ने बैठा एक पुराने लिंक से कविता जी की एक पुरानी रचना पढ़ने को मिली ( घर को तेरा इन्तजार है
घर सारा बीमार है !! )
जो दोबारा पढ़ने पर बहुत ही मर्मस्पर्शी लगी कविता रावत जी के लिखने का अंदाज ही ऐसा है कि पाठक अपने आप ही उनके ब्लॉग पर खिंचा चला आता है उनके लेखन ने हमेशा ही ब्लॉगजगत को प्रभावित किया है और उनके अपार स्नेह के कारण ही कविता जी के बारे में लिख रहा हूँ ......!!
कविता जी की एक पुरानी रचना ( घर को तेरा इन्तजार है घर सारा बीमार है ) कुछ पंक्तिया साँझा कर रह हूँ.........!!
एक बार आकर देख जा बेटे
घर को तेरा इन्तजार है
घर सारा बीमार है.
बाप के तेरे खांस-खांस कर
हुआ बुरा हाल है
छूटी लाठी, पकड़ी खटिया
बिन इलाज़ बेहाल है
तेरे नाम के रटन लगी
जान जर्जर सूखी डार है
घर सारा बीमार है.
घर सारा बीमार है.
बाप के तेरे खांस-खांस कर
हुआ बुरा हाल है
छूटी लाठी, पकड़ी खटिया
बिन इलाज़ बेहाल है
तेरे नाम के रटन लगी
जान जर्जर सूखी डार है
घर सारा बीमार है.
भाई तेरा रोज दुकान पर खटता
देर रात नशे में धुत लौटता
उस पर किसी का जोर न चलता
नशे में भूला घर परिवार है
घर सारा बीमार है
यह निशानी पुरखों के घर की
वह भी अपनी नियति पर रोती है!
झर-झर कर कंकाल बन बैठी
जाने कब तक साथ निभाती है?
जाने कब तक साथ निभाती है?
खंडहर हो रही हैं जिंदगियां
कहने भर को बचा यह संसार है
घर सारा बीमार है...!
कविता जी की लेखनी से प्रभावित होकर ही कविता जी के बारे में लिख रहा हूँ पर शायद किसी के बारे में लिखना मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है.........!!
(C) संजय भास्कर
वाह संजय जी। बहुत खूब। सत्य कह रहे हैं आप। कविता रावत जी की कलम बेहद उम्दा है।
जवाब देंहटाएंsahi kaha kavita ji ki lekhni kamal ki hai ...
जवाब देंहटाएंकविता जी एक संवेदनशील कवयित्री हैं।
जवाब देंहटाएं‘पुरखों के घर’ का दर्द मर्म को स्पर्श करता है।
रचना साझा करने के लिए आभार संजय जी।
सचमुच कविताजी का लेखन लाज़वाब है … रचना साझा करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंकविता जी को उनके ब्लॉग पर पढ़ते रहते हैं। … उनकी अभिव्यक्ति प्रभावित करती है ।
जवाब देंहटाएंप्रभावित करती अभिव्यक्ति ......
जवाब देंहटाएंकविता रावत जी को पढ़कर ऐसा ही लगा है..शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंकविता जी की लेखनी तो है ही बढ़िया लेकिन अपने भी उनके बारे में बहुत अच्छा लिखा है भास्कर जी
जवाब देंहटाएंकविता जी के ये संवेदनशील रचना मन को छूती है ... सच के एहसास से परिचय कराती है ... आपका आभार संजय जी इस रचना को पढवाने का ...
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा. अंतरजाल पर हिंदी समृधि के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सराहनीय है. कृपया अपने ब्लॉग को “ब्लॉगप्रहरी:एग्रीगेटर व हिंदी सोशल नेटवर्क” से जोड़ कर अधिक से अधिक पाठकों तक पहुचाएं. ब्लॉगप्रहरी भारत का सबसे आधुनिक और सम्पूर्ण ब्लॉग मंच है. ब्लॉगप्रहरी ब्लॉग डायरेक्टरी, माइक्रो ब्लॉग, सोशल नेटवर्क, ब्लॉग रैंकिंग, एग्रीगेटर और ब्लॉग से आमदनी की सुविधाओं के साथ एक सम्पूर्ण मंच प्रदान करता है.
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कविता जी सच में बहुत अच्छी कलमकार हैं । उनके बारे आपकी पोस्ट बहुत अच्छी लगी ।
जवाब देंहटाएंआपने बिलकुल सटीक लिखा है आपके बारे में..... कविता पढ़ कर ही कविता जी के बारे में बहुत कुछ गहराईयाँ लेखन में दिख जाती है..... साभार!
जवाब देंहटाएंशब्दों से विचारो की अभिवक्ति तो सभी करते है पर कुछ के शब्द बोलते है कुछ के गहरे से असर करते है कुछ के शब्द समाज बदलते है कविता जी उनमे से एक है
जवाब देंहटाएंकविता जी सच में बहुत अच्छी लेखिका हैं । उनके बारे आपकी पोस्ट पर पढ़ बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंItni umda kavita hum sab ke sath sajha karne ke kiye dhanyavaad...kavita ji ke baare mein jankar achcha laga
जवाब देंहटाएंउम्दा
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमर्म को छू गई ,बहुत सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंकविता जी के उत्कृष्ट लेखन से पहले से ही परिचित हूँ...बहुत कमाल का लिखती हैं...
जवाब देंहटाएंकविता जी का लेखन सदा प्रभावित करता है |
जवाब देंहटाएंकविता जी की सुंदर कलम को मंगलकामनाएं !
जवाब देंहटाएंsahi kaha aapne........kavitaji acchha likhti hain....
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंVery beautiful :-)
जवाब देंहटाएंवाकई में तारीफ के काबिल है कविता जी का लेखन. इस सुंदर प्रस्तुति के लिए आपको धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंकविता जी का लेखन प्रभावशाली है और इस कविता के प्रस्तुतीकरण की भूमिका भी तदनुरूप है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : आमि अपराजिता.....
आपने बिल्कुल सच कहा कविता जी के बारे में .... उनकी रचना को पढ़वाने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएं....
कविता जी को समर्पित उत्कृष्ट पोस्ट
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक संयोजन
बधाई
बहुत मर्मस्पर्शी कविता। कविता जी को इतने भावपूर्ण लेखन के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें....
बहुत ही अच्छा लिखा है संजय जी आपने एक संवेदनशील कवयित्री के विषय में !
जवाब देंहटाएंउनकी रचनाएँ प्रभावकारी होती ही हैं !
साभार !
कविता जी की रचनाओं का मैं भी प्रशंसक हूँ..वैसे भी ये भी मेरे शहर भोपाल की हैं तो लगाव कुछ ज्यादा ही है।।
जवाब देंहटाएंकविता जी रचनाएँ बहुत प्रभावशाली होती हैं । आभार भास्कर जी।
जवाब देंहटाएंअपने समय का सत्य रही होगी ये कविता अब परिवेश बदला है परिवर्तन की आश्वस्त करती बयार है। यौमे आज़ादी मुबारक।
जवाब देंहटाएंहतप्रभ हूँ संजय भैया जी ..मुझे अफ़सोस है मैं बहुत देर से आयी ..आपने मेरे बारे में लिखा बहुत ख़ुशी हुयी .. ब्लोग्गर्स साथियों द्वारा भी टीप की गयी है जिसे पढ़कर अच्छा लगा .. यह सब आप लोगों का ही स्नेह है की मैं कुछ लिख पाती हूँ वर्ना घर परिवार और दफ्तर की भागमभाग में लिंखने की ऊर्जा कहाँ मिलती ...
जवाब देंहटाएंपुनः आभार है आपका
स्नेह
कविता रावत जी को पढ़ा है, बहुत उम्दा लिखती हैं. कविता जी की बेहद मर्मस्पर्शी कविता को आपने यहाँ साझा किया है, धन्यवाद. कविता जी को बधाई.
जवाब देंहटाएंMarmsparshi
जवाब देंहटाएंआपने बिलकुल सटीक लिखा है आपके बारे में
जवाब देंहटाएंकविता जी से परिचित करवाने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद संजय जी...,
जवाब देंहटाएंमन को छू गयी उनकी ये कविता
बिल्कुल सच कहा कविता जी के बारे में
जवाब देंहटाएं