02 अप्रैल 2014

.............कल्पना नहीं कर्म :))

कल शाम जब मैं अपने ऑफिस से घर के लिए निकला तो देखा एक कॉफी शॉप पर कुछ युवा मदहोश होकर धूम्रपान कर रहे है व नशे में डूबे हुए है तथा थोड़ी ही देर में एक दूसरे को गलियां  देने लगे व मार पीट पर उतर आये 
जो कुछ देर पहले तक एक दूसरे के साथ मदमस्त थे वही एक दुसरे को मारने पर उतारू है यह सब देख कर यह छोटी सी कविता लिखी है.........उम्मीद है आपको पसंद आएगी  !!!
चित्र :- ( गूगल से साभार  )
कॉफी हाउस में बैठा
आज का युवा वर्ग
मदहोश , मदमस्त, बेखबर
कर्म छोड़ कल्पना से
संभोग करता हुआ
निराशा को गर्भ में पालता हुआ
मायूसियो को जन्म दे रहा है
तो ऐसे कंधो पर
देश का बोझ
कैसे टिक पायेगा ? जो
या तो खोखले हो गये है
या जिनको उचका लिया गया है
ए - दोस्त -
बाहर निकलो इस संकीर्ण दायरे से
कल्पना को नहीं कर्म को भोगो
अपने कंधे मजबूत करो
इन्ही कंधो को तो
यह देश यह समाज निहारता है
अपनी आशामयी, धुंधली सी
बूढी आँखों से...........!!!

(c) संजय भास्कर


44 टिप्‍पणियां:

  1. यथार्थ को दर्शाती कविता प्रेरणा देती है पर मुझे लगता है देश की आँखें बूढ़ी नहीं हैं न धुंधली.. भारत चिर युवा है...है कि नहीं..

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  2. यथार्त को दर्शाती हुई सटीक अभिव्यक्ति… दिशाहीनता आज के आम युवा की जिन्दगी का सच है… युवाओं के सामने बहुत बड़ा प्रश्न यही है कि करें तो क्या करें…

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  3. बहुत सुन्दर एवं यथार्थ कीअभिव्यक्ति.
    नई पोस्ट : हंसती है चांदनी
    नई पोस्ट : सिनेमा,सांप और भ्रांतियां

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन जीमेल हुआ १० साल का - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 03-04-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा " मूर्खता का महीना " ( चर्चा - 1571 ) में दिया गया है
    आभार

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  6. बहुत बढ़िया कविता ....
    झकझोर देती है मन को...

    शुभकामनाएं
    अनु

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  7. हमारी पीढ़ी तो जी चुकी जैसे तैसे
    आगे कुछ बदल सके इसकी ज़िम्मेदारी इन्हीं युवा कर्नधारों पर ..... ये ऐसे होंगे तो क्या होगा
    ???????????

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  8. सुन्दर भाव अभिव्यक्त किये हैं नई पीढ़ी के लिये.

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  9. उम्दा यथार्थ चित्रण |
    आशा

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  10. यथार्त को दर्शाती हुई सटीक अभिव्यक्ति…शुभकामनाएं संजय

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  11. बहुत सुन्दर उत्प्रेरण :

    ए - दोस्त -
    बाहर निकलो इस संकीर्ण दायरे से
    कल्पना को नहीं कर्म को भोगो

    शुक्रिया संजय भाई आपकी प्रेरक टिप्पणियों का

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  12. युवाओं की मनोदशा बताती सुंदर रचना..

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  13. इन युवकों का इतना दोष नहीं है ,जिस समाज में वे रह रहे हैं ,जो देखते-सुनते हैं और जिन विसंगतियों को जी रहे हैं ,उनके बीच भटक जाना बहुत स्वाभाविक है. आज की शिक्षा प्रणाली में भी चरित्र निर्माण और सही दिशा देने की कोई बात नहीं और घरों का वातावरण भी कैसे टीवी सीरियल ,खबरों आदि से भरा . दोषी हम सब हैं.

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  14. आपकी कविता बहुत ही अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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  15. bahut khoob likha hai. sachchai ki baat.

    shubhkamnayen

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  16. आप हर दफ़ा कुछ ना कुछ सोचने पर मजबूर कर ही देते हैं.. खूबसूरत रचना..

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  17. युवाओं में नशे की प्रवृति देश की जड़ें खोखली कर रही है ...
    समस्या पर आपकी तीक्ष्ण दृष्टि है !

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  18. ओह......आधुनिकता कि आड़ में घिरे युवाओं के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है आपने इस कविता के माध्यम से। बधाई।

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  19. रूचिकर एवं मनभावन प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।

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  20. आह्वान है आज के युवा वर्ग को ... जागना तो होना उन्हें .. उठाना होगा ... अंधी रफ़्तार से बचना होगा ...
    अच्छी रचना है संजय जी ...

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  21. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!!

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  22. वाह... उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@भजन-जय जय जय हे दुर्गे देवी

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  23. bahut khub...

    i still think, today youth is very much aware....may be in a different way...

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  24. यथार्थ का सटीक चित्रण !

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  25. बढ़िया लिखा है सर !शुक्रिया आपकी प्रेरक टिप्पणियों का।

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  26. देश के युवा ही देश के कर्णधार होते हैं
    उनका मजबूत होना जरुरी है
    प्रेरक रचना !

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  27. वास्तविक चित्रण। लाज़वाब छायांकन किया शब्दों से आपने उस स्थिति को
    और आजकल हम सब अक्सर यही देखते हैं।

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  28. ☆★☆★☆



    आज का युवा वर्ग
    मदहोश , मदमस्त, बेखबर
    कर्म छोड़ कल्पना से
    संभोग करता हुआ
    निराशा को गर्भ में पालता हुआ
    मायूसियो को जन्म दे रहा है
    तो ऐसे कंधो पर
    देश का बोझ
    कैसे टिक पायेगा ?

    वाऽह…!

    क्या बात कही है
    प्रियवर संजय भास्कर जी

    दिग्भ्रमित युवा पीढ़ी को इंगित सुंदर एवं दायित्वपूर्ण रचना के लिए साधुवाद

    मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार


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  29. अर्थ पूर्ण प्रस्तुति

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  30. Youth should be more responsible ... beautifully said.

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  31. बेहद सटीक आपने कुछ ही लाईनों के द्वारा बहुत कुछ बता दिया। सादर आभार !

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  32. बहुत खूबसूरत रचना

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  33. यथार्त को दर्शाती हुई सटीक अभिव्यक्ति…शुभकामनाएं

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  34. बेहद उम्दा .......,सुन्दर उद्बोधन ....,

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- संजय भास्कर