25 फ़रवरी 2014

खुशकिस्मत हूँ मैं एक मुलाकात मृदुला प्रधान जी से - चलो कुछ बात करें :))

आकाशवाणी पर कुछ साल पहले कवितायेँ सुनने का बहुत शौक हुआ करता था उन्ही दिनों मृदुला जी की रचनाओ का प्रसारण सुना फिर कुछ समय बाद मृदुला जी के ब्लॉग से परिचय और रोज़  मर्रा की छोटी-२ सरल कविताये पढ़ने को मिली और समय के साथ उनकी कविताओं को पढ़ने की भूख बढ़ती गई और उनके संग्रह मंगवा कर पढ़ा और उनका प्रशंसक बन गया .....और मन में सोचने लगा जिंदगी में कभी तो मृदुला जी से मिलना होगा ही पर अंतरजाल पर चार साल तक जुड़े रहने के बाद आखिर उनसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हो गया.....मृदुला जी से मिलना एक प्रसन्नता का क्षन बन गया जैसा की अक्सर होता है जब किसी बड़े रचनाकार से मिलने पर होता है उनसे मिलकर उनके बारे में ज्यादा जानने को मिला ......!!

मृदुला जी से मिलने पर कुछ पंक्तियों ने मन में ऐसे जन्म लिया  :-

उनकी ममता बहुत प्यारी थी 
उनका आँचल बहुत सुंदर था 

मैं एक छोटे शहर से आया था 
उनकी ऊँगली थामे मैं पहुच गया 

उनके घर तक था  !!

मृदुला प्रधान जी का कविता संग्रह " चलो कुछ बात करें " एक प्रकृति प्रेमी का संग्रह है जिसमे कवयित्री अपनी हर बात को प्रकृति को माध्यम बनाकर कहने की कोशिश की है .....बसंत मालती " हो या..... बरसात की रात .... या फिर.... पेड़ों के पीछे अलसाया.... होली का त्यौहार... ओस ..... गुलमोहर की... या...महानगर की धुप " जाने कितनी ही कवितायेँ और हैं जहाँ प्रकृति के रंगों की छटा के साथ दिल के रंग भी उकेरे हैं कवयित्री ने अपने आप में कुछ अलग सा  प्रकृति को देखने और समझने के नज़रिये को भी प्रस्तुत करता है कि कितना कवयित्री का जुड़ाव प्रकृति के हर अंग से है फिर मौसम हो या ज़िन्दगी सबका अपना एक परिवेश है , संरचना है जिनका सीधा सा सम्बन्ध मानव जीवन से है ! 
कुछ प्रकृति से परिचित करती रचनाओं की एक झलक देखिये :
....सूरज की पहली किरण में -- चलो स्वागत करें ऋतु बसंत का.......बादलों के साथ भी उड्ने लगा हूँ.......... मजूरों की रोटी .... मानवीय संवेदनाओं की जीती जागती मिसाल है जहाँ मेहनत की रोटी के स्वाद की बात ही कुछ और होती है को इस तरह दर्शाया है कि आज की हाइटैक होती ज़िन्दगी की सुविधायें भी बेमानी सी लगती हैं एक सजीव चित्रण 
.........थाक रोटी की बडी सोंधी नरम लिपटे मसालों में बना आलू गरम ..... गर्म रोटी... फ़ाँक वाले आलू 
 " विदेशी भारतियों के नाम " एक ऐसी कविता है जिसका चित्रण बेहद खूबसूरती से किया गया है :
" सर्द सन्नाटा" समय के बोये अकेलेपन के बीजों को बिखेरने की व्यथा है ताकि खुद से मुखातिब हुआ जा सके और रूह की गहराई तक उतरा सर्द सन्नाटा कुछ कम हो सके फिर चाहे उसके लिए कुछ लिखना ही क्यों न पड़े!


मृदुला जी का लेखन का का कमाल है मेरी और से श्रीमति मृदुला जी तीनो काव्य संकलनो के लिए हार्दिक बधाई व ढेरो शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ !! 

देवलोक प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह को प्राप्त कर सकते हैं :

पुस्तक का नाम –  चलो कुछ बात करें
रचनाकार --    मृदुला प्रधान
पुस्तक का मूल्य – 299/
आई एस बी एन – 81-89373-11-0
प्रकाशक - देवलोक प्रकाशन 1362  कश्मीरी गेट दिल्ली -110006

रचनाकार का पता :-
मृदुला प्रधान
डी ---191, ग्राउंड फ्लोर 
साकेत , नयी दिल्ली --११००१७

-- संजय भास्कर  
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36 टिप्‍पणियां:

  1. मृदुला जी कि कविताओं को अक्सर ब्लॉग पर पढते है,,बहुत ही अच्छा लिखती हैं वो..
    उनकी पुस्तक के लिए उन्हें बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनाये...
    सुन्दर परिचय के लिए आपको बधाई...
    :-)

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  2. मृदुलाजी की किताब के बारे में बढ़िया जानकारी.....आपको बधाई...

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  3. बढ़िया लेखनी , संजय भाई व मृदुला जी को बधाई , धन्यवाद
    ॥ जय श्री हरि: ॥
    information and solutions in Hindi

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  4. आपने मृदुला जी की सुन्दर रचनाओं से रूबरू कराया...काव्य संग्रह की जानकारी दी...बहुत बहुत आभार और मृदुला जी को इस अनुपम संकलन के लिए हार्दिक बधाई...

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  5. बहुत सुन्दर लेखन … सचमुच मृदुला जी कि रचनायें अनुपम हैं उन्हे काव्य संग्रह के लिए हार्दिक बधाई...

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  6. बढ़िया जानकारी.....बधाई...

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  7. बहुत बहुत शुभकामनाए !!

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  8. बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनाये...

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  9. पुस्तक की जानकारी और अच्छी समीक्षा का धन्यवाद संजय जी ... मृदुला जी अनेक रचनाओं को वर्षों तक ब्लॉग के माध्यम से जाना है ... संवेदनशील रचनाएं लिखती हैं वो ... काव्य संकलन की बहुत बहुत बधाई उन्हें ...

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  10. बहुत पुराना परिचय है इनसे... इतनी रचनाएँ इनकी सम्वेदंशीलता की परिचायक है... कभी मिला नहीं हूँ (दिल्ली में रहते हुए भी नहीं) पर मिलने की इच्छा है... फ़ोन पर बातें हुई हैं एक बार.. इनकी रचनाओं को लेकर कई बार विमर्श भी हुआ है हमारे बीच.. मगर इनका बड़प्पन सचमुच ममता भरा है!! मेरा प्रणाम मृदुला दी को!!

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  11. सुन्दर रचनायें सदा ही मिलती रहें, ढेरों शुभकामनायें।

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  12. संजय भाई ..दिगंबर जी के बाद मृदुला जी से आप ने परिचय कराया , समीक्षा पढ़ी और उनके संग्रह के विषय में बताया बड़ा अच्छा लगा मृदुला जी को बधाई तथा आप को भी ...
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  13. मृदुला दी के बारे में बड़ी अच्छी जानकारी... उनके पुस्तक के लिए बधाई... बहुत अच्छी समीक्षा धन्यवाद...!!

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  14. मृदुला दी के बारे में बड़ी अच्छी जानकारी... उनके पुस्तक के लिए बधाई... बहुत अच्छी समीक्षा धन्यवाद...!!

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  15. मृदुला दी के बारे में बड़ी अच्छी जानकारी... उनके पुस्तक के लिए बधाई... बहुत अच्छी समीक्षा धन्यवाद...!!

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  16. आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन सर डॉन ब्रैडमैन और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  17. बहुत खूब,बहुत अच्छी समीक्षा,संजय जी,
    मृदुला जी को बहुत बहुत बधाई ढेरों शुभकामनायें। ...!

    RECENT POST - फागुन की शाम.

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  18. आपने मृदुला जी की सुन्दर रचनाओं से रूबरू कराया...पुस्तक की जानकारी और अच्छी समीक्षा का धन्यवाद संजय जी

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  19. बढ़िया आलेख संजया |मृदुला जी को बधाई उनकी पुस्त
    आशा क के लिए |

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  20. मृदुला जी कि कविताओं को अक्सर ब्लॉग पर पढते है ,आपके लेखन के माध्यम से उनको जानना और भी अच्छा लगा ...... शुभकामनायें !

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  21. मृदुला जी का लेखन प्रभावित करता है..बहुत बहुत बधाई !

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  22. पुस्तक की जानकारी और अच्छी समीक्षा.
    महा शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें

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  23. अपने बड़ो के प्रति आपका आदर-भाव देख,सुन और पढ़ कर अच्छा लगता है ...आभार !
    शुभकामनायें!

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  24. मृदुला जी की संवेदनशील रचनाएँ ब्लॉग पर पढ़ती आ रही हूँ बहुत बधाई प्रकाशित पुस्तकों के लिए, बढ़िया समीक्षा की है संजय जी, बधाई आपको भी !

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  25. aapne mridulaji ke vishay mein achhi jaankari di tha aapki panktiyan bhi pyari hain

    shubhkamnayen

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  26. main kya boloon.....itni snehil baaten,man bheeg sa gaya.....dil se aabhari hoon aur aapko meri shubhkamnayen.....

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  27. भास्कर जी बहुत सुन्दर समीक्षा और सटीक समीक्षा। बधाई आपको
    आदरणीय दीदी मृदुला जी के बारे में कहना चाहूंगा की ''दीदी इतनी अच्छी अभिव्यक्ति इसलिए कर पाती हैं, क्यूंकि इनका व्यक्तित्व बहुत ही ममत्त्व और सौम्य है। बहुत ही मृदुभाषी और सरल सवभाव की हैं। इनका सान्निध्य मिला है जिसके लिए अपने इष्ट को धन्यवाद करता हूँ।
    सादर

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  28. बड़े लोगों का सानिध्य ... एक आशीर्वाद कि तरह होता है

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  29. bahut achcha likha aapne ....kisi ko samman dena sach me bahut badi baat hai aaj ke maoul me

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  30. मृदुला जी को बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  31. मृदुला जी को पढ़ना सदैव ही सुखद रहा..हार्दिक शुभकामनायें!

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  32. समय के साथ संवाद करती आपकी यह प्रस्तुित काफी सराहनीय है। किताब के बारे में भी जानकारी मिली। मेरे नए पोस्ट DREAMS ALSO HAVE LIFE पर आपके सुढावों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी।

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  33. अच्छा लगा उनके बारे में जानकार ! शुक्रिया आपका ….

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- संजय भास्कर