जलाते हैं हम हर साल
बड़ी धूमधाम से
हजारों पुतले
रावण के
पर हमारा ध्यान कभी नहीं जाता
अपने अंदर बैठे
रावण और उसकी समस्त राक्षसी सेना की ओर |
जलाते रहेंगे हम जब तक पुतले
जीतते रहेंगे रावण
हारते रहेंगे राम !
यदि चाहते हैं हम
कि जीत हो राम की
तो हमें उठाने होंगे हथियार
और खत्म करने होंगे
अपने अंदर छिपे रावणों को !
पुतले जलाने से नहीं मरते रावण
बल्कि और बड़ा रूप धारण करके
आ खड़े होते हैं
हम सबके सामने.........!!
मित्र प्रेम लोधी जी की एक बेहतरीन रचना !!
आप सभी साथियों को दशहरा पर्व पर ढेर सारी शुभकामनायें और बधाइयाँ !!
@ संजय भास्कर