14 अक्तूबर 2013

......पुतले जलाने से नहीं मरते रावण :))


जलाते हैं हम  हर साल
बड़ी धूमधाम से
हजारों पुतले
 रावण के
पर हमारा ध्यान कभी नहीं जाता
अपने अंदर बैठे
रावण और उसकी समस्त राक्षसी सेना की ओर |

जलाते रहेंगे हम जब तक पुतले
जीतते रहेंगे रावण
हारते रहेंगे राम !

यदि  चाहते हैं  हम
कि जीत हो राम की
तो हमें उठाने होंगे हथियार
और खत्म करने होंगे
अपने अंदर छिपे रावणों को !

पुतले जलाने से नहीं मरते रावण
बल्कि और बड़ा रूप धारण करके
आ खड़े होते हैं
हम सबके सामने.........!!

 मित्र प्रेम लोधी जी की एक बेहतरीन रचना !!

आप सभी साथियों को दशहरा पर्व पर ढेर सारी  शुभकामनायें और बधाइयाँ !!
 
@ संजय भास्कर




27 टिप्‍पणियां:

  1. हर पल पैदा होते, कहाँ मरेंगे एक दिन में।

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  2. बिलकुल सच अंगिनित रावण हमारे आपके अंतर मे घर कर गए है ॥ निकालो उन्हें

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  3. बहुत सही...... सुन्दर .....

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  4. नमस्कार आपकी यह रचना कल मंगलवार (15-10-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  5. बेहतरीन सुंदर सटीक रचना !
    विजयादशमी की शुभकामनाए...!

    RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

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  6. बहुत सही...... सुन्दर .....

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  7. बहुत सही...... सुन्दर सटीक रचना !.....

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  8. जलाते रहेंगे हम जब तक पुतले
    जीतते रहेंगे राम !
    बहुत ठीक कहा
    अभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!

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  9. अपने भीतर ही काम , क्रोध , लोभ , मोह और अहंकार रुपी रावण पर विजयी होने के लिए , आइये आज के मंगलमय दिन पर हम संकल्प करें
    Let us redeem our pledge to win over eternal evils ( D Ravan ) with in us
    -Kaam, Krodh, Lobh, Moh, Ahankar..= lust , anger , greed , attachment & ego on this auspicious festival.
    HAPPY DUSSERA.

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  10. विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनायें
    संग्रहनीय सार्थक पोस्ट

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  11. सही कहा, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  12. बहुत सही कहा .... बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  13. सुन्दर सार्थक प्रस्तुति ....

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  14. बेनामी10/15/2013

    भाई संजय जी , मेरी कविता अपने ब्लॉग पर लगाने का धन्यवाद !....साथ ही जिन लोगो ने यह कविता पढ़ी और अपनी अमूल्य सम्मतियाँ दीं , उन सभी को धन्यवाद !

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  15. बाहर आग लगा कर सोचते हैं अंदर का रावण मर गया.....

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  16. सच कहा है प्रेम लोधी जी ने ... पुतले जलाने से कुछ नहीं होगा ... अपने अंदर के रावण को फूंकना होगा सबसे पहले ...
    आभार संजय जी ... विजयदशमी की ढेरों बधाई आपको ...

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  17. पुतले जलाने से नहीं मरते रावण
    बल्कि और बड़ा रूप धारण करके
    आ खड़े होते हैं
    हम सबके सामने.........!!
    बहुत सही...... सुन्दर सटीक रचना !

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  18. बहुत सुंदर भाव लिये बेहतरीन और प्रासंगिक कविता..

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  19. सिर्फ पुतले जलते हैं, रावणी स्वभाव नहीं जलता !

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  20. सत्या कहती ...सुंदर रचना ...!!

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  21. अपने अंदर का रावण ही मारना है हर एक को तभी जीतेंगे राम और मनेगा सार्थक दशहरा।

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  22. रावन ने अमृत पी.... लिया था मरेगा कैसे ... उम्दा

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- संजय भास्कर