18 जून 2013

सुख दुःख इसी का नाम जिंदगी है :)


 ( चित्र - गूगल से साभार )

हर कोई अक्सर कहता है
मैं दुखी हूँ !
पर वो ये नहीं जानता
की दुनिया में बहुत लोग दुखी है !
हर कोई है परेशान
पर सबका अपना - अपना
नसीब है !
ये हर घर की कहानी है
हर किसी की कोई न कोई
परेशानी है !
कोई दुखी है पैसे न आने से
कोई दुखी है !
अपनी औलादों के कारनामो से
पर शायद सुख दुःख
इसी का नाम 

...............जिंदगी है !
इन्ही सब से बनती है !
जिंदगी की कहानी
....जो अलग अलग होती है !

सब की जुबानी.......!!!


@ संजय भास्कर  



62 टिप्‍पणियां:

  1. सत्य कहा ...
    सुन्दर रचना ...

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  2. सच में यही ज़िंदगी है...

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  3. नमस्कार
    आपकी यह रचना कल बुधवार (19-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधार कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य रखें |
    सादर
    सरिता भाटिया

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  4. सुख - दुःख का मेल ही जीवन ... सुन्दर प्रस्तुति ... शुभकामनायें

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  5. सही कहा संजय जी .. यही जिंदगी है ..

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  6. इसी का नाम जिन्दगी है,,,

    बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,

    RECENT POST : तड़प,

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  7. बस इसी का नाम ज़िन्दगी है

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  8. खुशी हो या ग़म ,
    बस मुस्कुराना चाहती हूँ ....
    इस छोटी सी ज़िन्दगी के
    गिले- शिकवे मिटाना चाहती हूँ ....
    सब को अपना कह सकूँ ,
    ऐसा ठिकाना चाहती हूँ ....
    टूटे तारों से सबके लिए मांग
    आज़माना चाहती हूँ ....
    खुशी हो या ग़म ,
    बस मुस्कुराना चाहती हूँ ....
    हार्दिक शुभकामनायें

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  9. सुख और दुःख दोनों ही जीवन के अभिन्न अंग हैं. एक के बिना दुसरे की अहमियत भी पता नहीं चलती. सुंदर भाव खूबसूरत कविता.

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  10. सही बात ..हम हैं तो गम हैं .....गम है तो खुशियाँ ,,,,

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  11. आपका कहना बिल्कुल सत्य है....सुख दुख का नाम ही जिन्दगी है...

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  12. बहुत उम्दा ..सुन्दर रचना

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  13. आज की ब्लॉग बुलेटिन आसमानी कहर... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ...

    सादर आभार !

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  14. इसे ही जीवन का खेला कहते हैँ । बधाई

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  15. दुखों के निशानों के बगैर जिंदगी का मज़ा ही क्या????

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  16. इन्ही सब से बनती है जिंदगी...

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  17. वाकई..ज़िंदगी से से बनती है

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  18. इसी का नाम जिंदगी है ......बेहतरीन रचना

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  19. जीवन का सच कहा है ... दुख तो हर किसी को है .. पर सुख की तलाश ही रहे दुख में भी तो कितना सफल हो जाए जीवन ...

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  20. सच कहा...सबके दुख अपने होते हैं और बड़े लगते हैं।

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  21. जिंदगी की ये ही कहानी है

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  22. सुख तो किसी को बताते भी नहीं .ज़रा सा दुख पड़े तो हल्ला मचाते हैं लोग !

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  23. संजय जी , सच का सामना , आपकी कविता सभी को अपनी सी लगती है, बधाई, आभार
    chitranshsoul

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  24. सुंदर प्रस्तुति।।।

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  25. वो एक गीत है न.....।
    दुनिया मे कितने गम हैं,मेरा गम कितना कम है।
    .......औरों का गम देखा तो ,मैं अपना गम भूल चली.

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  26. वाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  27. उम्दा.........सुख की अनुभूति दुःख की वजह से ही बनी हुई है........"जिंदगी..... कैसी है पहेली हाय,............ कभी ये हंसाये,......... कभी ये रुलाये"

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  28. सही कहा है आपने सर यही जिंदगी है...
    सबकी अपनी अपनी कहानी है...
    :-)

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  29. यथार्थ ..जीवन दर्शन !!
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  30. वाह एक एक शब्द बिलकुल सत्य है , बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाये

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  31. बेनामी6/27/2013

    बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना

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  32. . सुन्दर प्रस्तुति

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  33. बिलकुल सही कहा इसी का नाम जिंदगी है !
    बड़े दिनों बाद ब्लॉग पर आये भास्कर जी,आभार !

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  34. जीवन का सच कहा है ....इसी का नाम जिंदगी है ......बेहतरीन रचना

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  35. बहुत अच्छे भाई जी-
    आपको सादर बधाइयां -

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  36. ऐसा शायद ही कोई हो जिसकी कहानी में सुख और दुःख दोनों में से कोई नहीं है
    कहीं थोडा कहीं ज्यादा ....
    सार्थक रचना

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  37. bohot hi gehrai se aapne ye kavita likhi hi..
    aur sach hi kaha hai ''isis ka naam hai jindagi''

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  38. पर शायद सुख दुःख
    इसी का नाम
    ...............जिंदगी है !
    इन्ही सब से बनती है !
    जिंदगी की कहानी
    ....जो अलग अलग होती है !

    यथार्थ से रू-ब-रू कराती कविता ।

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  39. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  40. इसी का नाम
    ...............जिंदगी है !
    इन्ही सब से बनती है !
    जिंदगी की कहानी
    ....जो अलग अलग होती है !
    सब की जुबानी.......!!!
    आपने ज़िन्दगी को बड़ी खूबसूरती और सिद्दत से याद किया है लाजवाब

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  41. बेनामी6/30/2013

    बहुत उम्दा ,सुंदर रचना

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  42. दुनिया में कितना गम है मेरा गम कितना कम है ।

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  43. यही जिन्दगी है ...
    शुभकामनायें !

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  44. बहुत सुंदर.सटीक.बधाई!

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  45. बहुत खूब लिखा ज़िन्दगी के बारे में..

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  46. सुख दुःख लगा ही रहता है...!

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  47. बिल्‍कुल सही कहा .... बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति

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  48. कहानी अलग- अलग हैं सबका अंत एक ही हैं
    http://savanxxx.blogspot.in

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  49. सच कहा...सबके दुख अपने होते हैं और बड़े लगते हैं।

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- संजय भास्कर