( चित्र - गूगल से साभार )
हर कोई अक्सर कहता है
मैं दुखी हूँ !
पर वो ये नहीं जानता
की दुनिया में बहुत लोग दुखी है !
हर कोई है परेशान
पर सबका अपना - अपना
नसीब है !
ये हर घर की कहानी है
हर किसी की कोई न कोई
परेशानी है !
कोई दुखी है पैसे न आने से
कोई दुखी है !
अपनी औलादों के कारनामो से
पर शायद सुख दुःख
इसी का नाम
...............जिंदगी है !
इन्ही सब से बनती है !
जिंदगी की कहानी
....जो अलग अलग होती है !
सब की जुबानी.......!!!
@ संजय भास्कर
सत्य कहा ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ...
कभी धूप तो कहीं छाँह..
जवाब देंहटाएंसच में यही ज़िंदगी है...
जवाब देंहटाएंनमस्कार
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना कल बुधवार (19-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधार कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य रखें |
सादर
सरिता भाटिया
सुख - दुःख का मेल ही जीवन ... सुन्दर प्रस्तुति ... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसही कहा संजय जी .. यही जिंदगी है ..
जवाब देंहटाएंइसी का नाम जिन्दगी है,,,
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
RECENT POST : तड़प,
बस इसी का नाम ज़िन्दगी है
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंखुशी हो या ग़म ,
बस मुस्कुराना चाहती हूँ ....
इस छोटी सी ज़िन्दगी के
गिले- शिकवे मिटाना चाहती हूँ ....
सब को अपना कह सकूँ ,
ऐसा ठिकाना चाहती हूँ ....
टूटे तारों से सबके लिए मांग
आज़माना चाहती हूँ ....
खुशी हो या ग़म ,
बस मुस्कुराना चाहती हूँ ....
हार्दिक शुभकामनायें
सुख और दुःख दोनों ही जीवन के अभिन्न अंग हैं. एक के बिना दुसरे की अहमियत भी पता नहीं चलती. सुंदर भाव खूबसूरत कविता.
जवाब देंहटाएंनानक दुखिया सब संसार.
जवाब देंहटाएंनानक दुखिया सब संसार.
जवाब देंहटाएंसही बात ..हम हैं तो गम हैं .....गम है तो खुशियाँ ,,,,
जवाब देंहटाएंआपका कहना बिल्कुल सत्य है....सुख दुख का नाम ही जिन्दगी है...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा ..सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआज की ब्लॉग बुलेटिन आसमानी कहर... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ...
जवाब देंहटाएंसादर आभार !
इसे ही जीवन का खेला कहते हैँ । बधाई
जवाब देंहटाएंदुखों के निशानों के बगैर जिंदगी का मज़ा ही क्या????
जवाब देंहटाएंइन्ही सब से बनती है जिंदगी...
जवाब देंहटाएंयही जिंदगी है
जवाब देंहटाएंPardukh sheetalam!
जवाब देंहटाएंवाकई..ज़िंदगी से से बनती है
जवाब देंहटाएंइसी का नाम जिंदगी है ......बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंजीवन का सच कहा है ... दुख तो हर किसी को है .. पर सुख की तलाश ही रहे दुख में भी तो कितना सफल हो जाए जीवन ...
जवाब देंहटाएंbhaut hi khubsurat panktiyaan...
जवाब देंहटाएंसच कहा...सबके दुख अपने होते हैं और बड़े लगते हैं।
जवाब देंहटाएंजिंदगी की ये ही कहानी है
जवाब देंहटाएंसुख तो किसी को बताते भी नहीं .ज़रा सा दुख पड़े तो हल्ला मचाते हैं लोग !
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा है.
जवाब देंहटाएंसंजय जी , सच का सामना , आपकी कविता सभी को अपनी सी लगती है, बधाई, आभार
जवाब देंहटाएंchitranshsoul
सुंदर प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंवो एक गीत है न.....।
जवाब देंहटाएंदुनिया मे कितने गम हैं,मेरा गम कितना कम है।
.......औरों का गम देखा तो ,मैं अपना गम भूल चली.
Profound! Great poem.
जवाब देंहटाएंवाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंउम्दा.........सुख की अनुभूति दुःख की वजह से ही बनी हुई है........"जिंदगी..... कैसी है पहेली हाय,............ कभी ये हंसाये,......... कभी ये रुलाये"
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने सर यही जिंदगी है...
जवाब देंहटाएंसबकी अपनी अपनी कहानी है...
:-)
यथार्थ ..जीवन दर्शन !!
जवाब देंहटाएंज्योत्स्ना शर्मा
वाह एक एक शब्द बिलकुल सत्य है , बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं. सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा इसी का नाम जिंदगी है !
जवाब देंहटाएंबड़े दिनों बाद ब्लॉग पर आये भास्कर जी,आभार !
जीवन का सच कहा है ....इसी का नाम जिंदगी है ......बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे भाई जी-
जवाब देंहटाएंआपको सादर बधाइयां -
ऐसा शायद ही कोई हो जिसकी कहानी में सुख और दुःख दोनों में से कोई नहीं है
जवाब देंहटाएंकहीं थोडा कहीं ज्यादा ....
सार्थक रचना
bohot hi gehrai se aapne ye kavita likhi hi..
जवाब देंहटाएंaur sach hi kaha hai ''isis ka naam hai jindagi''
bittersweet symphony that's life :)
जवाब देंहटाएंपर शायद सुख दुःख
जवाब देंहटाएंइसी का नाम
...............जिंदगी है !
इन्ही सब से बनती है !
जिंदगी की कहानी
....जो अलग अलग होती है !
यथार्थ से रू-ब-रू कराती कविता ।
बहुत उम्दा...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइसी का नाम
जवाब देंहटाएं...............जिंदगी है !
इन्ही सब से बनती है !
जिंदगी की कहानी
....जो अलग अलग होती है !
सब की जुबानी.......!!!
आपने ज़िन्दगी को बड़ी खूबसूरती और सिद्दत से याद किया है लाजवाब
बहुत उम्दा ,सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंbadiya
जवाब देंहटाएंsatayam shivam sundaram :)
जवाब देंहटाएंदुनिया में कितना गम है मेरा गम कितना कम है ।
जवाब देंहटाएंयही जिन्दगी है ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
बहुत सुंदर.सटीक.बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा ज़िन्दगी के बारे में..
जवाब देंहटाएंसुख दुःख लगा ही रहता है...!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा .... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकहानी अलग- अलग हैं सबका अंत एक ही हैं
जवाब देंहटाएंhttp://savanxxx.blogspot.in
सच कहा...सबके दुख अपने होते हैं और बड़े लगते हैं।
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