( चित्र - गूगल से साभार )
फ्लाईओवर पर तेजी से दौड़ता
हुआ शहर
यह वह शहर नहीं रहा अब
जिस शहर में
'' मैं कई वर्षो पहले आया था ''
अब तो यह शहर हर समय भागता
नजर आता है !
कच्ची सड़के ,कच्चे मकानों
और साधन के नाम पर
पर साईकल पर चलने
वाले लोग
रहते है अब आलिशान घरों में
और दौड़ते है तेजी से कारों में
नए आसमान की तलाश में
फ्लाईओवर के आर- पार
मोटरसाइकल कारों पर
तेजी से दौड़ता
हुआ शहर
पहुच गया है नई सदी में
मोबाइल और इन्टरनेट के जमाने में
बहुत तेजी से बदल रहा है
..........छोटा सा शहर !!!
@ संजय भास्कर
इतने बदलाव के बाद ये शहर छोटा कहाँ रहा ?
जवाब देंहटाएंपर ये बदलाव का दौर सुखद रहा :)
कल मैं भी यही सोच रही थी
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति
हार्दिक शुभकामनायें
पहुच गया है नई सदी में
जवाब देंहटाएंमोबाइल और इन्टरनेट के जमाने में
बहुत तेजी से बदल रहा है
..........छोटा सा शहर !!!-----
वर्तमान का शहर
आज का सच व्यक्त करती रचना
वाह गजब
बधाई
waaaah wah
जवाब देंहटाएंपहुच गया है नई सदी में
जवाब देंहटाएंमोबाइल और इन्टरनेट के जमाने में
बहुत तेजी से बदल रहा है
..........छोटा सा शहर !!!
बिल्कुल सच कहा आपने ... बदल ही तो रहा है छोटा सा शहर
रफ़्तार बहुत तेज है अबतो मोनो रेल आने वाला है
जवाब देंहटाएंडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
lateast post मैं कौन हूँ ?
latest post परम्परा
बहुत तेजी से बदल रहा है छोटा सा शहर!!!आगे बढ़ने के लिए ये बदलाव जरूरी है,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: दीदार होता है,
परिवर्तन तो हर जगह हो रहे हैं |जहां कुछ वर्ष पहले रहे थी आज सब नया सा दीखता हाँ |अच्छी रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
जवाब देंहटाएंभले तेज़ी से दौड़ रहा है फ्लाई ओवर .लेकिन वह रिख्शे वाला (निहाल भाई ,निहाल सिंह )आज भी वही रिक्शा खींचता है जिनसे मेरे बच्चों को स्कूल ले जाता था .
बढ़िया प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंभले तेज़ी से दौड़ रहा है फ्लाई ओवर .लेकिन वह रिख्शे वाला (निहाल भाई ,निहाल सिंह )आज भी वही रिक्शा खींचता है जिनसे मेरे बच्चों को स्कूल ले जाता था .उन बच्चों में से एक बच्चा आज कमांडर है इंडियन नेवी में ,बेटी ग्रुप लीडर है क़ुइकिन लांस में विदेश में ,निहाल वहीँ है .एक छोटा सा मकान छोटी सी छत ज़रूर है उसके सर पे .
परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है..सुन्दर रचना..शुभकामनाएं संजय
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (05-05-2013) के चर्चा मंच 1235 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंबहुत बदल गया है, संवेदना शून्य होकर न जाने किस ओर भाग रहा है... बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना . वर्तमान भागती दौडती शहरी जिंदगी को सुंदरता से प्रकट किया है.
जवाब देंहटाएंचौराहा दो रास्तों का निपटारा न कर पाया, फ्लाईओवर बना गया।
जवाब देंहटाएंआज की ब्लॉग बुलेटिन एक की ख़ुशी से दूसरा परेशान - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंsab kuchh bhag raha hai siraf insaan ki insaniyat kahin kho si gai hai .....bahut acchhi abhwayakti ...sanjay jee ....
जवाब देंहटाएंपरिवर्तन ही तो जिन्दगी है बहुत सुंदर रचना !!
जवाब देंहटाएंपरिवर्तन ही तो जिन्दगी है बहुत सुंदर रचना !!
जवाब देंहटाएंअब तो छोटे शहरों में मेट्रो का बच्चा पल रहा है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
संजय जी , आपकी कवित पढ़ कर अरुण कमल जी की कविता 'नए इलाके में' याद आ गई ... बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबहुत तेजी से बदल रहा है
जवाब देंहटाएं..........छोटा सा शहर
hmmmmm...sab ki zindgii ka hisaa he aapki ye kavitaaa...hr koi..aisii bhaawnaaa se guzraa hi hogaa...aur aapne bahut achi trha se bhaawnaa ko shbdon ka roop diyaa..........
bahut bahut dhnaywaad..mere blog tak aane aur likhe ko sraahne ke liye............
सुन्दर प्रस्तुति बड़े दिनों की अधीर प्रतीक्षा के बाद आज आपका आगमन हुआ है!....aapki ye lines pr ke man ko sukhd ehsaas huya.....dhanywaad......
yun blog tak aate rahen..aur honslaa bdhaate rahen
shahar ki raftaar ham sabke shabdo se bhi tej ho gayee hai ...
जवाब देंहटाएंगांवों के शहरीकरण की तस्वीर.
जवाब देंहटाएंपरिवर्तन को स्वीकार करना होगा...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संजयजी ..
समय का काम है बदल देना. सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंगांव...कस्बे...छोटे शहर....सब बदल रहे हैं अब....
जवाब देंहटाएंwaah ..bahut badhiya
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंबधाई !!
अपने समय को अभिव्यक्त करती अच्छी कविता |
जवाब देंहटाएंपरिवर्तन अखरता तो है लेकिन संसार का नियम भी है. सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंशहर तो बदल गया है ... लोग भी बदल गए हैं ..
जवाब देंहटाएंApki kavitayein aur rachnaayein padhi maine... bahut hi aakarshak lagi.... kripya mere blog "aditishukla.blogspot.in" par jakar apne vicharon se mera maargdarshan karein...
जवाब देंहटाएंक्या चित्र बनाया है शब्दों से ..आपकी यह रचना तो मन को भा गयी ..ढेरों सारी बधाई के साथ
जवाब देंहटाएंयथार्थ के पास है यह कविता.. दिल को छू गयी..
जवाब देंहटाएंआभार....
सच, समय के साथ सब कुछ बहुत तेजी से बदल रहा है
जवाब देंहटाएंSarthak Prastuti...
जवाब देंहटाएंशहरीकरण की एक बेहतरीन प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंPahle wale insaan bhi kaha rahe ab Sanjay bhai..sachhai ko bayan karti sundar rachna.....
जवाब देंहटाएंsach much badal gaya hai sab kux...
जवाब देंहटाएंYE BADA SHAHR SANJAY JI, AUR HUM GAOU KE LOG... AZINB LAGTA HAIN HAMESHA SE HI...
जवाब देंहटाएंACCHI RACHNA..
gurudev parnam . ab to sab hi kuch badal raha hai guru ji . hadso ke sahar mai
जवाब देंहटाएंChange is law of nature !
जवाब देंहटाएंguru ji pls call me
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लाजवाब रचना |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत भावना से लिखा है आपने। बदलती दुनिया कई बार सोचने पर विवश कर देती है।
जवाब देंहटाएंफ्लाईओवर को लेकर बहुत ही सुन्दर चिंतन भरी प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंसच में बदल गया है ये छोटासा शहर ।
जवाब देंहटाएंshabd-chitra anayas hi ubhar diye aapne...!
जवाब देंहटाएंBahut hee acchi abhivayakti...
जवाब देंहटाएंThanks for your visit on my blog.
I am yet a novice at Hindi poetry.
बहुत सुंदर, सच कहा अब तो हर जगह ये ही नज़र आते है,
जवाब देंहटाएंयह वह शहर नहीं रहा अब
जवाब देंहटाएंजिस शहर में
'' मैं कई वर्षो पहले आया था ''