13 फ़रवरी 2013

आने वाले दिनों में -- संजय भास्कर


आने वाले दिनों में जब 
हम सब        
कविता लिखते पढ़ते बूढ़े
हो जायेंगे !
उस समय लिखने के लिए
शायद जरूरत न पड़े
पर पढने के लिए 
एक मोटे चश्मे की
जरूरत पड़ेगी 
जिसे आज के समय में हम
अपने दादा जी की आँखों पर
देखते है !
तब पढने के लिए
ये मोटा चश्मा ही होगा
अपना सहारा
आने वाले दिनों में
देखता हूँ यह स्वप्न
मैं कभी - कभी  
क्‍या आपको भी
ऐसा ही
ख्‍याल आता है कभी ........:) 


@ संजय भास्कर  


03 फ़रवरी 2013

आकर्षण -- संजय भास्कर


कॉलेज को छोड़े करीब
सात साल बीत गये !
मगर आज उसे जब 7 साल बाद
देखा तो
देखता ही रह गया !
वो आकर्षण जिसे देख मैं
हमेशा उसकी और
 खिचा चला जाता था !
आज वो पहले से भी ज्यादा
खूबसूरत लग रही थी
पर मुझे विश्वास नहीं
हो रहा था !
की वो मुझे देखते ही
पहचान लेगी !
पर आज कई सालो बाद
उसे देखना
बेहद आत्मीय और आकर्षण लगा
मेरी आत्मा के सबसे करीब ..............!!


चित्र - गूगल से साभार

@ संजय भास्कर