13 सितंबर 2012

आखिर बुरा क्या है -- संगीता स्वरुप 'गीत' ( उजला आसमाँ )

आखिर बुरा क्या है ?
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मन के दरख्त पर 
जमा ली 
ख्वाहिशो ने अपनी जड़े 
और फलती फूलती जा रही है 
अमर बेल की तरह उतरोतर.
रसविहीन दरख्त मौन है 
बना हुआ पंगु सा 
जब होगा एहसास हकीकत का 
तो हो जाएगी सारी बेलें 
धूल धूसरित.
मन ने सोचा कि
पलने दो अंत में दो 
मिटटी ही नसीब है 
कुछ पल खुश होने दो 
आखिर बुरा क्या ?
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संगीता जी अपने बारे में विचार -- कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ... मन के भावों को कैसे सब तक पहुँचाऊँ कुछ लिखूं या फिर कुछ गाऊँ । चिंतन हो जब किसी बात पर और मन में मंथन चलता हो उन भावों को लिख कर मैं शब्दों में तिरोहित कर जाऊं । सोच - विचारों की शक्ति जब कुछ उथल -पुथल सा करती हो उन भावों को गढ़ कर मैं अपनी बात सुना जाऊँ जो दिखता है आस - पास मन उससे उद्वेलित होता है उन भावों को साक्ष्य रूप दे मैं कविता सी कह जाऊं.....!


आदरणीय संगीता स्वरुप 'गीत' ब्लॉगजगत की जानी मानी शक्सियत है 
जिन्हें ब्लॉगजगत में गीत मेरी अनुभूतियाँ और बिखरे मोती ब्लॉग के माध्यम से जाना जाता  है
जिनमे अक्सर संगीता जी मोती जैसी कविताये चुन चुन कर लिखती है  ........अभी कुछ दिन पहले संगीता जी का काव्य - संग्रह " उजला आसमाँ " को पढ़ा उसी से जुड़े कुछ विचार आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ !
संगीता स्वरुप जी के काव्य संग्रह की  कवितायेँ उस नए युग की कवितायेँ है जहाँ पर कवितायों के प्रकाशन के लिए की संपादक की कृपा द्रष्टि पर निर्भर नहीं रहना पड़ता !
और हा एक अलग बात जो संगीता जी की कवितायेँ में प्रमुख रूप से दिखाई देती है वो है सरोकारों के प्रति सजगता , वो साहित्य सरोकारों को बिलकुल नहीं भूली है .............ये बात उनकी कवितओं से पता चलती है | 

...................जैसे भ्रूण हत्या पर संगीता जी की ये पंक्तिया मन को झकझोर देती है
इस बार भी परीक्षण में / कन्या भ्रूण ही आ गया है / इसलिए बाबा ने मेरी मौन पर / हस्ताक्षर कर दिया है |


....................एक और इसी प्रकार की कविता है जो गहरे प्रश्न छोडती हुई एक सन्नाटे को बदती समाप्त होती है पूरी कविता पीड़ा में रची गई है ..................परन्तु जब ये कविता समाप्त होती है आधी आबादी के लिए शोक गीत छोड़ जाती है
एक नवजात कन्या शिशु / जो कचरे के डिब्बे में / निर्वस्त्र सर्दी में ठिठुर / दम तोड़ चुकी थी |


( संगीता जी के कुछ शब्द )  

.....मैं स्वयं नहीं जानती की मैं क्यों लिखती हूँ .....शायद निम्न पंक्तियाँ मेरी भावनाओ को वर्णित कर सके ....!!!
जो दिखता है / आस- पास / मन उससे / उदेलित होता है / उन भावो को / साक्ष्य रूप दे /मैं कविता सी / कह जाऊ...........

( रमेश हठीला जी का कथन ......................संगीता जी की कविताओ में कुछ ऐसा है जो उनकी कविताओं को आम कविताओं से अलग करता है ...........ये कवितायेँ अपने समय का सही प्रतिबिम्ब प्रस्तुत करती है उनके काव्य संग्रह का शीर्षक उजला आसमाँ वास्तव में स्त्री के
 भविष्य की और इंगित करता है और ये कवितायेँ उस आकाश को पाने की कोशिश में समूची नारी जाती की और से के कदम की तरह है 
\ ये कदम सफल हो .............शुभकामनाएं !!!!!
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मैं आस्मां हूँ ,
एक ऐसा आसमान
जहाँ बहुत से
बादल आ कर इकठे हो गये है
छा गई है बदली
और आसमान का रंग
कला पड़ गया है |

मेरा विश्वास है यह पुस्तक पठनीय सुखद अनुभूति देने वाली है जो पाठको को बहुत पसंद आयेगी .... !!!!

 मेरी और से संगीता स्वरुप जी को काव्य - संग्रह "उजला आसमाँ" के लिए हार्दिक बधाई और ढेरो शुभकामनायें ।


पुस्तक का नाम – उजला आसमाँ

रचना कार --    संगीता स्वरुप 'गीत'

पुस्तक का मूल्य – 125/ मात्र

आई एस बी एन – 978-81-909734-6-5

प्रकाशक -  शिवना प्रकाशन / पी.सी. लैब / सम्राट काम्प्लेक्स बेसमेंट बस स्टैंड सीहोर - 466001
( मध्य प्रदेश )


@ संजय भास्कर 


55 टिप्‍पणियां:

  1. acchi lagi sangeeta jee ki pustak samiksha padhkar ,......thanks .....

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  2. बहुत सुन्दर समीक्षा.... शुभकामनायें

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  3. संजय ,

    पुसटक की चर्चा के लिए हृदय से आभार ...आपके शब्द मेरे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं ॰

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  4. संजय भाई बेहद सुन्दर ढंग से आपने संगीता जी के बारे में बिस्तृत जानकारी दी, शुक्रिया

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  5. acchhi lagi aapki sameeksha. sach me sangeeta ji ki yah pustak aisi prashansa ki hak daar hai.

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  6. संजय बहुत ही सश्क्त और प्रभाव शाली समीक्षा है.. ..संगीता जी और तुम्हें दोनो को बधाई..

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  7. अच्छी चर्चा पुस्तक की ...
    संगीता जी एक जाना पहचाना मान है ब्लॉग जगत का और इनकी संवेदनशील रचनाओं के सभी दीवाने हैं ..
    बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें हैं मेरी ...

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  8. बहुत सुन्दर समीक्षा की है संजय

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  9. बहुत ही अच्‍छी समीक्षा की है आपने ... यूँ ही आपकी लेखनी आगे बढ़ती रहे ..
    संगीता जी को भी बहुत-बहुत बधाई ''उजला आसमाँ'' के लिए

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  10. प्रभाव शाली सुंदर समीक्षा के लिये संगीता जी,और आपको बहुत२ बधाई शुभकामनाये,,,,

    RECENT POST -मेरे सपनो का भारत

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  11. आपके ब्लॉग पर टिप्पणी हटाई नहीं जा सकती ...पुस्तक शब्द सुधार कर पढ़ें मेरी टिप्पणी में ।

    सभी पाठकों का आभार

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  12. संजय जी, आपने बहुत अच्छी समीक्षा प्रस्तुत की है, संगीता जी की कवितायें उनके ब्लॉग पर पढ़ी हैं, इस पुस्तक को भी अवश्य पढ़ना चाहूंगी, संगीताजी को बधाई !

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  13. हम सभी संगीता जी की कविताओं के कायल हैं. उनकी पुस्तक के बारे में यह जानकारी देने के लिए आपको धन्यवाद.

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  14. बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
    बधाई

    इंडिया दर्पण
    पर भी पधारेँ।

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  15. prabhavshali sundar sameeksha..bahut bahut shubhkamnaye..

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  16. एक अच्छी पुस्तक की अच्छी समीक्षा पढ़कर बहुत अच्छा लगा .... साभार

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  17. सुन्दर कविताओं से सजी यह पुस्तक पढ़नी पढ़ेगी।

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  18. bahut hi achchhi samiksha aapne ki hai. sangita ji ko pustak ke liye shubhkamnayen.

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  19. बहुत अच्छी समीक्षा ....संजय जी......
    संगीता आंटी को शुभकामनाये....
    :-)

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  20. बेहतरीन समीक्षा ...संगीताजी और आपको शुभकामनायें

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  21. सुन्दर शख्सियत ...
    सुन्दर पुस्तक..........
    सुन्दर समीक्षा...................

    आभार संजय जी संगीता दी से यूँ मिलवाने के लिए.

    सादर
    अनु

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  22. बेहतरीन समीक्षा ...संगीताजी और आपको शुभकामनायें

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  23. बेहतरीन समीक्षा ..बधाई ..

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  24. खूबसूरत समीक्षा

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  25. दिल से की गई समीक्षा है। कई प्रश्न जो कुलबुलाते हैं मन में..आसपास जो घटता है उन प्रश्नों के उत्तर और उन उत्तरों की किताब की समीक्षा ..बेहतरीन

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  26. Mai Sangeeta ji ka blog padhta rahta hoon .pr aapne etne badhiya tareeke se samiksha ki hai ki bahut hi acchi lagi sangeeta jee ki pustak samiksha padhkar .......eske liye aapka sukriya or Sangeeta ji ko bahut-bahut shubhkamnayen.....

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  27. भाई भाष्कर जी आपका आभार और संगीता जी को बधाई नए संग्रह के लिए |

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  28. संगीता जी के बारे में विस्तृत जानकारी मिली धन्यवाद।

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  29. बेहतरीन समीक्षा...

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  30. बहुत अच्छी समीक्षा की है आपने. संगीता जी को पढ़ना बहुत सुखद लगता है सदैव. संगीता जी को बहुत बधाई.

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  31. संगीता जी से ब्लॉग पर तो हम परिचित थे ही उनकी पुस्तक अब तक नहीं पढ़ी थी...उसका परिचय करने के लिए शुक्रिया:)

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  32. संगीता जी से ब्लॉग पर तो हम परिचित थे ही उनकी पुस्तक अब तक नहीं पढ़ी थी...उसका परिचय करने के लिए शुक्रिया:)

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  33. बहुत बहुत बधाई संगीता जी को .........परिचय करवाने का शुक्रिया संजय जी !

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  34. बहुत बहुत बधाई संगीता जी को .........परिचय करवाने का शुक्रिया संजय जी !

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  35. कोमल और हृद्त्स्पर्सी post

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  36. प्रभावी रचना ... लाजवाब

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  37. प्रभाव शाली सुंदर समीक्षा के लिये संगीता जी,और आपको बहुत२ बधाई शुभकामनाये,,,,

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  38. सराहनीय प्रस्तुति....!!

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  39. bahut hi sundar pryas ....sadar badhai bhaskar ji

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  40. बहुत -बहुत धन्यबाद संजय जी ! मैं भी खुद काफी व्यस्त
    रहता हूँ जिसके कारण ब्लॉग जगत में लुका छिपी ही चल रही है...!
    सुन्दर समीक्षा !
    आभार !

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  41. संजय भाई आप के माध्यम से उजला आसमान और संगीता जी को बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं ..अच्छी समीक्षा रही ....गागर में सागर भरती हैं उनकी रचनाएँ
    भ्रमर ५

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  42. आपके द्वारा की गयी समीक्षा बहुत सारगर्भित है |
    संगीता जी को मेरी और से आपके माध्यम से बधाई |
    आशा

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  43. हार्दिक शुभकामनाएँ संगीता आंटी..!!

    सादर आभार संजय भास्कर जी..!!

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  44. हार्दिक बधाई संगीता जी को ।

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  45. संजय जी, आपने बहुत अच्छी समीक्षा प्रस्तुत की है हार्दिक बधाई

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  46. संगीता जी
    सादर नमन
    आपसे एकबार ब्लॉग पर बुद्ध और यशोधरा को लेकर चर्चा हुई थी। यह चर्च ruk ruk kar kai baar hui। Aapne kaha tha _ क्या यशोधरा को न्याय मिला? उसे न्याय कौन दिलाएगा? यह बात मेरे मन मस्तिष्क में बैठ गई और राजकीय कार्यों को निभाते हुए मैने इस बिंदु पर विचार किया।

    अब वह विचार एक महाकाव्य के रूप में "अजेय यशोधरा" शीर्षक से प्रकाशित हो चुका है।

    इस grath की प्रेरक आप हैं इसलिए इसकी प्रति आपको अवलोकनार्थ प्रेषित करना चाहता हूं। कृपया अपना पूरा पता उपलब्ध कराने की कृपा करें।

    सादर
    जयप्रकाश तिवारी

    व्हाट्सएप no. ९४५३३९१०२०

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- संजय भास्कर