मुझे यह बताते हुए बहुत ही ख़ुशी हो रही है. आज बलाग जगत में मेरे समर्थको ( फोल्लोवेर्स ) की संख्या 300 हो गई है.....!
मैं आभार प्रकट करना चाहता हूँ , स्पर्श ब्लॉग वाली लेखिका दीप्ति शर्मा जी का , जिन्होंने आदत...... मुस्कुराने की ब्लॉग का तीनसौवांफोलोवर बनकर इस नाचीज़ को भी ब्लॉग जगत के विशिष्ठ ब्लोगर्स की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया ।
इसी पर चंद लाइन पेश करता हूँ उम्मीद है आपको पसंद आएगी
एक एक करके हुये आज 304
कैसे कैसे जुड गये मुझसे मेरे यार
कैसे करूँ शुक्रिया कैसे करूँ आभार
आपके साथ ने दिया है मुझे प्यार
कैसे कैसे जुड गये मुझसे मेरे यार
कैसे करूँ शुक्रिया कैसे करूँ आभार
आपके साथ ने दिया है मुझे प्यार
अपार
स्नेह ये बनाये रखना चाहे कितनी करूँ ढिठाई
क्योंकि मै हूं तुम सबका छोटा प्यारा भाई
मै ना आ पाऊँ कभी तो मन मे भेद ना रखना
मेरे ब्लोग को फिर भी अपने स्नेह से सिंचित करना
मेरे ब्लोग को फिर भी अपने स्नेह से सिंचित करना
मजबूरियों को मेरी नज़र अन्दाज़ करना
बस अपने प्रेम की धारा बहाये रखना.......!
बस अपने प्रेम की धारा बहाये रखना.......!
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..........शुक्रिया.......बहुत ......शुक्रिया........
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******* जख्मो पे मरहम लगाते रहे *********
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अपने जख्मो पे मरहम लगाते रहे,
ढूंढ़ते रहे किसी को की कोई अपना हो,
और लोग हमें हर वक़्त आजमाते रहे,
अपनी खुशियों की परवाह नही की
लुटा दी हर ख़ुशी सब की ख़ुशी के लिए
हर रूठे को हम तो मनाते रहे ,
अपने जख्मो पे मरहम लगाते रहे|
कहा था सबने मुझे कुछ मिलेगा नही.
जानते थे फिर भी ना जाने क्यों?
हम किस्मत को खुद से छुपाते रहे ,
अपने अश्को को आँखों से बहाते रहे,
दिल मे किसी के सपने सजाते रहे,
अपने जख्मो पे मरहम लगाते रहे|
भटकते रहे जिन्दगी तलाशने को,
सोचा लम्हों का सहारा मिलेगा मुझे,
तमन्नाओ को अपना सहारा समझ ,
हम एहसासों से दामन छुडाते रहे ,
उलझी जिन्दगी को सुलझाते रहे,
अपने जख्मो पे मरहम लगाते रहे....!
ढूंढ़ते रहे किसी को की कोई अपना हो,
और लोग हमें हर वक़्त आजमाते रहे,
अपनी खुशियों की परवाह नही की
लुटा दी हर ख़ुशी सब की ख़ुशी के लिए
हर रूठे को हम तो मनाते रहे ,
अपने जख्मो पे मरहम लगाते रहे|
कहा था सबने मुझे कुछ मिलेगा नही.
जानते थे फिर भी ना जाने क्यों?
हम किस्मत को खुद से छुपाते रहे ,
अपने अश्को को आँखों से बहाते रहे,
दिल मे किसी के सपने सजाते रहे,
अपने जख्मो पे मरहम लगाते रहे|
भटकते रहे जिन्दगी तलाशने को,
सोचा लम्हों का सहारा मिलेगा मुझे,
तमन्नाओ को अपना सहारा समझ ,
हम एहसासों से दामन छुडाते रहे ,
उलझी जिन्दगी को सुलझाते रहे,
अपने जख्मो पे मरहम लगाते रहे....!
....एक बार फिर से सभी ब्लोगेर साथियों का तहे दिल से शुक्रिया........
-- संजय भास्कर --