आप सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा ..........सादर नमस्कार .........कई दिनों से कविताये लिखने के बाद सोचा आलेख लिखा जाये लगभग कई दिन के अवकाश के बाद पुन: उपस्थित हूँ । आज सभी शहीद की कुर्बानियों को भूलते जा रहे है लेकिन जब कभी भी किसी शहीद स्मारक को देखते है तो उसकी याद आती है इसी पर यह आलेख लिखा है आशा करता हूँ आप सभी को पसंद आएगा ...!
शहीद स्मारक ही दिलाते है शहीदों की याद
देशभक्तों ने अपना लहू बहाया वहा पर अभी तक स्मारक नहीं बने। जो बने भी हैं, वे लुप्त होने के कगार पर हैं। 1857 के गदर से लेकर अगस्त क्रांति तक लगातार आंदोलन हुए। सभी आंदोलनों में आगरा जनपद के कई देशभक्तों ने जोरदारी से भाग लिया। इन रणबाकुरों ने जिन स्थानों को क्रांति का केंद्र बनाया, युवा पीढ़ी उनसे अनजान है।
वह नहीं जानती कि उनके आसपास में भी ऐसे स्थल हैं, जहा से आजादी की लड़ाई लड़ी गयी। नूरी दरवाजा, हींग की मंडी और मोती कटरा में सन् 1926 से 29 तक सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, बटुकेश्वर दत्त, राजगुरु, सुखदेव आदि ने फैक्ट्री का संचसलन किया। जहा बम बनाए जाते थे। नूरी दरवाजे वाले कमरे जरूर सभी की निगाह में हैं। लेकिन अन्य कमरे कहां हैं, इसकी जानकारी लोगों को नहीं।
सन् 1942 तो स्वाधीनता आंदोलन की अंतिम क्रांति थी। चमरौला रेलवे स्टेशन पर एक आंदोलन किसानों ने किया। जिसमें अंग्रेजों की गोलियों से उल्फत सिंह, साहब सिंह, खजान सिंह, सोरन सिंह आदि शहीद हो गए। 125 नागरिक घायल हुए थे। यहा एक स्मारक बना हुआ है, जो धीरे-धीरे ध्वस्त होता जा रहा है।
इस घटना के बारे में स्थानीय लोग भी अनजान बने हुए हैं। लेकिन शहीद स्मारक अवश्य सभी शहीदों की याद दिलाता है। जिसे विकसित और सुरक्षित रखने की जरूरत है।
चित्र :- गूगल से साभार
-- संजय भास्कर
शहीद स्मारको को तो सुरक्षित रखना सरकार का दायित्व है…………बहुत बढिया आलेख्।
जवाब देंहटाएंशहीदो को शत शत नमन्।
शहीद स्मारक अवश्य सभी शहीदों की याद दिलाता है। जिसे विकसित और सुरक्षित रखने की जरूरत है।
जवाब देंहटाएं...bahut badhiya our saarthak post.
सही लिखा है संजय जी ... आज अपने आप में सब इतना व्यस्त हैं की वीरों की कुर्बानियों को भूलते जा रहे हैं ... ये हम सब का दायित्व है ...
जवाब देंहटाएंऔर हां इस मामले में सरकार कुछ नहीं करने वाली ... उन्हें तो वोट चाहियें .. जिन बातों से मिलेंगे वो वाही करेंगे ...
जवाब देंहटाएंसही लिखा है संजय जी
जवाब देंहटाएंनूरी दरवाजा, हींग की मंडी और मोती कटरा में सन् 1926 से 29 तक सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, बटुकेश्वर दत्त, राजगुरु, सुखदेव आदि ने फैक्ट्री का संचसलन किया। जहा बम बनाए जाते थे। नूरी दरवाजे वाले कमरे जरूर सभी की निगाह में हैं। लेकिन अन्य कमरे कहां हैं, इसकी जानकारी लोगों को नहीं।
जवाब देंहटाएंशहीद बेचारे आज परेशां हैं --देश की दुर्दशा देख कर --
एक बानगी देखिये --
पंजाब एवं बंग आगे, कट चुके हैं अंग आगे
जवाब देंहटाएंलड़े बहुतै जंग आगे, और होंगे तंग आगे
हर गली तो बंद आगे, बोलिए, है क्या उपाय ??
व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !
सर्दियाँ ढलती हुई हैं, चोटियाँ गलती हुई हैं
गर्मियां बढती हुई हैं, वादियाँ जलती हुई हैं
गोलियां चलती हुई हैं, हर तरफ आतंक छाये --
व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !
सब दिशाएँ लड़ रही हैं, मूर्खताएं बढ़ रही हैं
नियत नीति को बिगाड़े, भ्रष्टता भी समय ताड़े
विषमतायें नित उभारे, खेत को ही मेड खाए
व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !
मंदिरों में बंद ताला, हर हृदय है कुटिल-काला
चाटते दीमक-घुटाला, झूठ का ही बोलबाला
जापते हैं पवित्र माला, बस पराया माल आये--
व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !
हम फिरंगी से लड़े थे , नजरबंदी से लड़े थे
बालिकाएं मिट रही हैं , गली-घर में लुट रही हैं
होलिका बचकर निकलती, जान से प्रह्लाद जाये --
व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !
बेबस, गरीबी रो रही है, भूख, प्यासी सो रही है
युवा पहले से पढ़ा पर , ज्ञान माथे पर चढ़ाकर
वर्ग खुद आगे बढ़ा पर , खो चुका संवेदनाएं
व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !
है दोस्तों से यूँ घिरा, न पा सका उलझा सिरा,
पी रहा वो मस्त मदिरा, यादकर के सिर-फिरा
गिर गया कहकर गिरा, भाड़ में ये देश जाए
व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !
त्याग जीवन के सुखों को, भूल माता के दुखों को
प्रेम-यौवन से बिमुख हो, मातृभू हो स्वतन्त्र-सुख हो
क्रान्ति की लौ थे जलाए, गीत आजादी के गाये
व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !
संजय: KAISA LAGA SIR
जवाब देंहटाएंdinesh: han gambhir samasya hai kuchh dinon bad keval india gate yad rah jayega longo ko
pata nahi chalega ki vastvik ghatnaayen kaha par ghatit hui
sarkar ke sath sath jagrukta bhi jaruri hai
kahi koi gandhi ka chashma to kahi koi neta ji ki ghadi utha le raha hai
parko me shahido ke smarak ke pas baith kar har tarh ka kukarm karne me kisi ko koi lajja nahin
जो देश अपने शहीदों को भूल जाता है या उन्हें किसी आधार पर मान्यता नहीं देता उसे इसका मूल्य चुकाना पड़ता है.
जवाब देंहटाएंसुंदर आलेख.
सही बात कही है आपने.
जवाब देंहटाएं---------------------
कल 22/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है-
आपके विचारों का स्वागत है .
धन्यवाद
नयी-पुरानी हलचल
शहीद स्मारक ही दिलाते है शहीदों की याद......सही कहा आपने।
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन के साथ विचारणीय प्रश्न भी ....
शहीदों की याद ताजा रहे इसके लिये उनके स्मारकों को सलामत रखना आवश्यक है.. उपयोगी पोस्ट!
जवाब देंहटाएंbahut hi sahi aur sateek.
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और सटीक आलेख...
जवाब देंहटाएंsahi samayik post.aaj aisee post ki bahut aavshyakta hai.aabhar sanjay ji.
जवाब देंहटाएंशहीद स्मारको को तो सुरक्षित रखना सरकार का दायित्व है…………बहुत बढिया आलेख्।
जवाब देंहटाएंशहीदो को शत शत नमन्।
बिल्कुल सही कहा है आपने इस आलेख में ... बहुत सटीक एवं सार्थक प्रस्तुति ... ।
जवाब देंहटाएंसंजय जी बहुत ही बढ़िया लेख बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर!
जवाब देंहटाएंशहीदो को शत शत नमन्!
शहीद स्मारक ही दिलाते है शहीदों की याद.....शहीदो को शत शत नमन्।
जवाब देंहटाएंशहीदों की याद ताजा रखने वाले इस विषय पर आपका लेखन सार्थक है.
बहुत सार्थक और सटीक आलेख|
जवाब देंहटाएंशहीदो को शत शत नमन्|
bahut saarthak or satik rachna
जवाब देंहटाएंjai hind...jai bharat...
शहीद स्मारकों का संरंक्षण सरकार का दायित्व है पर अपनी स्वार्थी राजनीति के आगे किसी को पडी ही क्या है.
जवाब देंहटाएंइस देश का दुर्भाग्य ही है! बहुत ही सार्थक लेख आभार
जवाब देंहटाएंसही बात ऐसे स्थानों की संभाल पूरे सम्मान के साथ की जानी चाहिए...... नमन वीर शहीदों को ..
जवाब देंहटाएंएक दिन का फैशन है, फोटो खिंचवाने के लिये और छपने के लिये.
जवाब देंहटाएंशहीदों की चिताओं पर लगेंगे क्या यहाँ मेले!
जवाब देंहटाएंदलालों के दलाली में हुए है रात-दिन खेले!!
नेता मौज में, फ़ौजी फ़ौज में
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया पोस्ट....
जवाब देंहटाएंये उन शहीदों की ही कुर्बानी है जो हम आज आजाद हैं....
BILKUL SAHI LIKHA HAI SIR JI APNE. . . AGAR HUM SAHIDO KO YAAD NAHI PAKHENGE TO KON RAAKHEGA. . . . .
जवाब देंहटाएंJAI HIND JAI BHARAT
सार्थक बात कही...संरक्षण जरुरी है.
जवाब देंहटाएंनमन शहीदों को.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा है आपने !बहुत बढ़िया और शानदार आलेख! शहीदों को मेरा शत शत नमन!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
जिन्होने रक्त बहाया है, उन्हें स्मृतियों में स्थान मिले।
जवाब देंहटाएंhmmm sahi kaha aapane
जवाब देंहटाएंbahut sahi ,satic aur saarthak lekh sajayji.sahidon per smaarak jarur bananaa chahiye.unhone desh ke liye apni jaan tak de di .hum itanaa to kar hi sakate hain.sabko milkar awaj uthanaa chahiye,badhaai aapko itane achche lekh ke liye.
जवाब देंहटाएंइन शहीदों म्को शत शत नमन।
जवाब देंहटाएंसही बात कही है आपने संजय जी
जवाब देंहटाएंशहीद स्मारक ही दिलाते है शहीदों की याद.....शहीदो को शत शत नमन...
जवाब देंहटाएंशहीदों की याद को ताजा रखने वाले विषय पर आपके विचार प्रशंसनीय हैं, शहीद स्मारकों का संरंक्षण सरकार का दायित्व है, और ऐसे स्थानों की देखभाल निःस्वार्थ रूप से पूरे सम्मान के साथ की जानी चाहिए.....
बहुत सार्थक पोस्ट ... शहीद स्मारकों को देखते हुए हमेशा सिर श्रद्धा से झुक जाता है ...
जवाब देंहटाएंआपने सच कहा है स्मारक ही याद दिलाते है | हम लोग भी उन के ऊपर कुछ लिख कर इंटरनेट कि दुनिया में हमेशा के लिए सजो सकते है |
जवाब देंहटाएंsunder soch aur sarthak post ..
जवाब देंहटाएंjai hind.
लेकिन शहीद स्मारक अवश्य सभी शहीदों की याद दिलाता है। जिसे विकसित और सुरक्षित रखने की जरूरत है।
जवाब देंहटाएंbandhu sirf itnaa hi kaafi nahi hai....
shaheedon ki kurbaani bhi yaad rakhni hogi,
aag bujhne se pehle fir masaal jalaani hogi...!!
लेकिन शहीद स्मारक अवश्य सभी शहीदों की याद दिलाता है। जिसे विकसित और सुरक्षित रखने की जरूरत है।
जवाब देंहटाएंbandhu sirf itnaa hi kaafi nahi hai....
shaheedon ki kurbaani bhi yaad rakhni hogi,
aag bujhne se pehle fir masaal jalaani hogi...!!
@ वंदना जी
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा शहीद स्मारको को तो सुरक्षित रखना सरकार का दायित्व है
@ अरविन्द जी
विकसित और सुरक्षित रखने की जरूरत है
a great tribute to all...patriot...and for those who sacrificed their life for the sake of motherland
जवाब देंहटाएंसही लिखा है संजय जी
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने। मैं लखनऊवासी हूँ और लखनऊ में कई ऐसे स्थल हैं जिन्हें देखकर 1857 के संग्राम की याद आती है।
जवाब देंहटाएंशहीद स्मारक तो कई स्थानों पर है पर उनका रख रखाब ठीक से नहीं किया जाता |तब बहुत दुःख होता है |अच्छा लेख बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
आज अपने आप में सब इतना व्यस्त हैं की वीरों की कुर्बानियों को भूलते जा रहे हैं ..
जवाब देंहटाएंसही लिखा है संजय जी ...
अच्छा लेख बधाई !
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/06/blog-post_23.html
राम राम संजय भाई, बहुत सही लिखा है...
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन के साथ विचारणीय प्रश्न भी,
जवाब देंहटाएंअच्छा लेख बधाई !
इन महात्माओं के कारण ही आज हम है ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
वह गाना गाने को दिल हो रहा है
जवाब देंहटाएंजो शहीद हुए हैं उन की...............
शहीदों को याद रखना हमरा फर्ज है.
जवाब देंहटाएंशहीदों की याद में यह आपने बिल्कुल सही एवं सटीक लिखा है।
जवाब देंहटाएंsarthak lekh ..hardik abhar ...
जवाब देंहटाएंयह तो सही है लेकिन इसे सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी कह कर छोड़ देना भी उचित नहीं है. हमारी भी उन स्मारकों के पार्टी जिम्मेदारियां हैं.
जवाब देंहटाएंअच्छा विषय.
satya hai shaheed bas ek smarak ban kr reh gaye hai
जवाब देंहटाएंइंसान की आदत या कहूँ दुर्भाग्य है संजय जी, जो मिल गया वो उसके लिए खत्म हो गया..आज़ादी मिल गई तो उससे सम्बन्धित स्मारक, वस्तुएँ, व्यक्ति, यादें सभी सन्दर्भहीन हो गए, अब उनकी ज़रूरत नहीं....और यही वज़ह है कि इंसान को कभी सबकुछ नहीं मिल पाता हमेशा बहुत कुछ बचा होता है...
जवाब देंहटाएंऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित रखना ही चाहिये और जनता के सार्थक सहयोग के बगैर सिर्फ सरकार से ये अपेक्षा ?
जवाब देंहटाएंsundar rachana.............
जवाब देंहटाएंBhaiya ...
जवाब देंहटाएंaj ki sarkar apne black money ko surachhit kaerne me jyada dhyan de rahi hai..inhe sahido se kya lena?
apki umda prastuti pashand aai..!
abhar
@ दिगम्बर नासवा जी..
जवाब देंहटाएंइस मामले में सरकार कुछ नहीं करने वाली .कभ कहबी सरकार को भी याद दिलाना पढता है
@ संजय कुमार चौरसिया जी..
.......बहुत बहुत आभार
@ रविकर जी..
शहीद बेचारे आज परेशां हैं --देश की दुर्दशा देख कर --
एक बानगी देखिये सही कहा आपने
आपका बहुत बहुत आभार
@ भूषण जी..
जो देश अपने शहीदों को भूल जाता है या उन्हें किसी आधार पर मान्यता नहीं देता उसे इसका मूल्य चुकाना पड़ता है.सत्य कहा आपने
@ यशवन्त माथुर भाई
......आपका बहुत बहुत आभार
@ डॉ वर्षा सिंह जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ अनीता जी..
जवाब देंहटाएं...........आपका बहुत बहुत आभार
@ स्वाति जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ कैलाश शर्मा जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ शालिनी कौशिक जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ अरुण चन्द्र रॉय जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ सदा जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ सवाई राजपुरोहित जी..
जवाब देंहटाएं...........आपका बहुत बहुत आभार
@ डॉ शरद सिंह जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ Patali-The-Village
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ अनु जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ शिखा वार्ष्णेय जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ अरविन्द जांगिड जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ डॉ मोनिका शर्मा जी..
जवाब देंहटाएं...........आपका बहुत बहुत आभार
@ भारतीय नागरिक जी..
आपने बिलकुल सही कहा हैफैशन ही रह गया है बस
@ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ जाट देवता (संदीप पवाँर) जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ वीणा जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ सजन जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ समीर लाल जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ कुंवर कुसुमेश जी..
जवाब देंहटाएं...........आपका बहुत बहुत आभार
@ बबली जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ परवीन पाण्डेय जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ चिराग जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ प्रेरणा अर्गल जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ निर्मला कपिला जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ सोनू भाई
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ संध्या शर्मा जी..
जवाब देंहटाएं...........आपका बहुत बहुत आभार
@ संगीता स्वरुप जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ नरेश सिह राठौड़ जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ अनुपमा त्रिपाठी.. जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ देवेंदर शर्मा जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ बबन पाण्डेय जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ दिलबाग विर्क जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
@ घनश्याम मौर्य जी..
जवाब देंहटाएंसही कहा है ना
देखने पर ही याद आती है वरना कौन याद करता है
@ आशा जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ दे अनवर जमाल जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ देव कुमार झा जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
@ विवेक मिश्र जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
@ सतीश सक्सेना जी..
जवाब देंहटाएं@ नवीन चतुर्वेदी जी..
@ अभी जी..
@ नूतन जी..
@ लक्ष्मी नारायण लहरे जी..
@ रचना दीक्षित जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
@ आलोक मोहन जी..
जवाब देंहटाएं@ प्रज्ञा जी..
@ सुशील बाकलीवाल जी..
@ मुकेश मीना जी..
@ सचिन मल्होत्रा जी..
...........आपका बहुत बहुत आभार
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
सरकार को याद दिलाने का काम हमीं में से वे लोग जो अखबारों में सक्रीय हैं कर सकते हैं । चंदा इकठ्ठा कर सकते हैं । यह करना जरूरी हौ इससे राष्ट्रीयता की भावना जगेगी ।
जवाब देंहटाएंswasth hokar aap fir se blog jagat me aaye hain ab apni aadat muskurane ki aarambh kijiye.hamari aur se swagatam manzoor kijiye.
जवाब देंहटाएंशहीद स्मारक अवश्य सभी शहीदों की याद दिलाता है। जिसे विकसित और सुरक्षित रखने की जरूरत है।
जवाब देंहटाएंसहमत हूं आपसे....
you come and join blog after 15 days very- very-thanks i am god to pray your happy life come my blog
जवाब देंहटाएंchhotawriters.blogspot.com
सुन्दर सार्थक चिंतन.
जवाब देंहटाएंशहीदों के बारें में जानने से ही उनके किये कार्यों को भी हम जान पायेंगें.
sahi kaha sanjayji...aaj yahi halat hain...
जवाब देंहटाएंसंजय जी बहुत ही बढ़िया लेख बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर*****
जवाब देंहटाएंशहीदों को हमेशा याद करना चाहिए इस से भ्रष्ट लोगों को शर्म आये हैं.
जवाब देंहटाएंसंजय जी आलेख सारगर्भित है और आपकी कलम के प्रवाह को दर्शाता है , शहीदों को सभी भूल गए जिन्हें याद है वो समाधी पर नाच रहे है .
जवाब देंहटाएंकविताबाज़ी पर गंभीर बात सिर्फ "कविताबाज़ी" शब्द से है, कविता साहित्य की एक गंभीर विधा है और बाज़ी एक उथला शब्द जैसे कबूतरबाज़ी , पतंगबाजी ,नक्सेबाज़ी .. मझे शब्द अटपटा लगा वैसे आप गंभीर व्यक्ति है कोई विचार तो होगा .. कविताबाजी शीर्षक रखने का. कृपया अन्यथा न ले, अभिवादन
सही लिखा
जवाब देंहटाएंसंजय जी , आप गुणी व्यक्ति है, संवेदनशील भी , चाहे तो कविता विधा को इस तिरस्कार से बचा सकते है नाम बदलने की सिफारिस कर-अभिवादन
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक लेख संजय जी ....
जवाब देंहटाएंजिन अमर शहीदों ने देश के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया ,हम सब आज उनके आदर्शों को मात्र वाणी तक ही सीमित रखे हुए हैं अपने कर्मों में नहीं उतारते | सरकारें तो संवेदनहीन हो चुकी हैं ,उन्हें न तो शहीदों के सपनो का भारत बनाने में कोई दिलचस्पी है और न उनके स्मारकों को सुरक्षित-संरक्षित रखने में | अब हम लोगों की जिम्मेदारी है की शहीदों से जुड़े हर स्थान को यथासंभव सहेज कर रखें जिससे आनेवाली पीढ़ी देशभक्ति का पाठ पढ़ सके |
आज अपने आप में सब इतना व्यस्त हैं की वीरों की कुर्बानियों को भूलते जा रहे हैं ..
जवाब देंहटाएंसही लिखा है संजय जी ...
अच्छा लेख बधाई !
बहुत अच्छा लेख
जवाब देंहटाएंआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
हम जानतें ही नहीं है नोस्टाल्जिया क्या होता है .न हमें इतिहास से प्रेम है न विरासत से .
जवाब देंहटाएंLekh to pahle padh chuka hun..
जवाब देंहटाएंAdardiya Bade bhaiya,
Nootan ji ke blogg se pata chala ki ap aswasth hain..!
Ham bahut door hai ...sirf duwa hi kar sakte hain... ap bahut jald swasth ho jawe aur ham sab ke bich hanste muskurate apni kalam ke sath upasthit howe.
Pahle swasth par dhyan de... comments to bad me bhi kiya ja sakta hain.
अब स्वस्थ कैसा है ....?
जवाब देंहटाएंकहीं जान कर बीमार तो नहीं हो रहे .....
कोमल स्पशों के लोभ में .....
:))
शहीदो को शत शत नमन!
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक एवं सार्थक प्रस्तुति ... ।
@ रवि राजभर जी..
जवाब देंहटाएं@ आशा जोगलेकर जी..
@ शिखा कौशिक जी..
@ डॉ वर्षा सिंह जी..
@ दीपक कुमार जी..
..........आपका बहुत बहुत आभार
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
@ राकेश कुमार जी..
जवाब देंहटाएं@ बबली जी..
@ अंकुर जैन जी..
@ अमरेंदर जी..
@ एस.एम.मासूम जी..
..........आपका बहुत बहुत आभार
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
@ कुश्वंश जी..
जवाब देंहटाएं.....आपका बहुत बहुत आभार
@ सुधीर जी..
.....आपका बहुत बहुत आभार
@ सुरेंदर सिंह जी..
.....आपका बहुत बहुत आभार
@ अनिल अवतार जी..
.....आपका बहुत बहुत आभार
@ विवेक जैन
.....आपका बहुत बहुत आभार
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
True they are the real heros...
जवाब देंहटाएंI hope u doing fine now !!
सही कहा आपने, स्वार्थी मनुष्य को शहीदों की याद दिलाने के लिए यही एकमात्र सहारा है।
जवाब देंहटाएं------
TOP HINDI BLOGS !
@ वीरूभाई जी..
जवाब देंहटाएं@ रवि राजभर जी
@ हरकीरत 'हीर' जी.
@ कविता रावत जी.
@ यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur जी.
.....आपका बहुत बहुत आभार
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.....
शहीद स्मारक ही दिलाते है शहीदों की याद......सही कहा आपने।
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन .........
देश भक्ति का प्रतीक है आपकी पोस्ट.
जवाब देंहटाएंशहीदों को नमन.
१०० कमेन्ट की बहुत बहुत बधाई.
Now 101 comments.
संजय जी सार्थक लेख सुन्दर और ज्ञान से परिपूर्ण जानकारियां प्यारी छवियों के साथ शहीदों को नमन -बधाई
जवाब देंहटाएंशुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
शहीद स्मारक ही दिलाते है शहीदों की याद
बचपन में सुना था
जवाब देंहटाएं"शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पे मिटने वालों का अब यहीं निशां होगा ||"
ऐसे मेले तो लगते नहीं अब , शहीद स्मारक ही बस
निशानी है उनकी ..
बड़ा सार्थक लिखा है आपने :)