दर्द जब कागज़ पर उतर आएगा
चेहरा तेरा लफ्जों में नज़र आएगा
अपने हाथों की लकीरों में न छुपाना मुझे
हाथ छूते हि तेरा चेहरा निखर आएगा
बदल गया है मौसम् महक सी आने लगी
मुझे लगता है जैसे तेरा शहर आएगा
तेरे पहलू में बैठूं तुझसे कोई बात करुँ
एक लम्हा ही सही पर ज़रूर आएगा
एक मुद्दत से आँखे बंद किए बैठा हूँ
कभी तो ख्वाब में मेरा हज़ूर आएगा
चेहरा तेरा लफ्जों में नज़र आएगा
अपने हाथों की लकीरों में न छुपाना मुझे
हाथ छूते हि तेरा चेहरा निखर आएगा
बदल गया है मौसम् महक सी आने लगी
मुझे लगता है जैसे तेरा शहर आएगा
तेरे पहलू में बैठूं तुझसे कोई बात करुँ
एक लम्हा ही सही पर ज़रूर आएगा
एक मुद्दत से आँखे बंद किए बैठा हूँ
कभी तो ख्वाब में मेरा हज़ूर आएगा
दिगम्बर नासवा जी कलम से निकली एक दर्द भरी रचना
He is a superb writer
जवाब देंहटाएंI know
khoob...
जवाब देंहटाएंBEHAD KHUB GAZAL PES KI AAP NE
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अब निखार आता जा रहा है
जवाब देंहटाएंएक मुद्दत से आँखे बंद किए बैठा हूँ
जवाब देंहटाएंकभी तो ख्वाब में मेरा हज़ूर आएगा
-वाह!! दिगम्बर नासवा जी की गज़लों के क्या कहने. बड़े शायरों की कलम अलग से दिख जाती है. बहुत खूब!!
qalam sunahri hoti ja rahi hai Digambar ji aapki
जवाब देंहटाएंएक मुद्दत से आँखे बंद किए बैठा हूँ
जवाब देंहटाएंकभी तो ख्वाब में मेरा हज़ूर आएगा
दिगम्बर जी की गजलें क्या कहने
बहुत खूब
बदल गया है मौसम् महक सी आने लगी
जवाब देंहटाएंमुझे लगता है जैसे तेरा शहर आएगा
प्रेम अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर लगी।
unke baare mein kya kahoon..
जवाब देंहटाएंwoh to hain hi behtareen lekhak...
bahut achhi gazal....
बहुत सुन्दर गजल है!!
जवाब देंहटाएंबदल गया है मौसम् महक सी आने लगी
जवाब देंहटाएंमुझे लगता है जैसे तेरा शहर आएगा
bahut khub kahaa hai maza aa gaya..
ye rachna ham sabhitak pahoonchane ke liye bahoot bahut dhanyawad
मैं नहीं लिखता...."उनका" अहसास लिखता है....
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार प्रिय संजय भास्कर जी....
nice
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत शायरी।
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत गज़ल है ! हर शेर दिल को गहराई तक छूता है ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंदर्द जब कागज़ पर उतर आएगा
जवाब देंहटाएंचेहरा तेरा लफ्जों में नज़र आएगा
वाह दिगंबर साहब
मजा आ गया
Khoobsoorat gazal se ru-b-ru karaya aapne..
जवाब देंहटाएंनासवा जी की हर रचना की काय़ल हूं मैं,धन्यवाद संजय जी खूबसूरत ग़जल के लिए।
जवाब देंहटाएंप्यासा था, एक मुद्दत के बाद पानी मिल ही गया}
जवाब देंहटाएंदेखकर संजय के ब्लॉग़ पर, नासवा जी की रचना मन खिल ही गया।
चलते चलते कमबख्त नवरोज (कुलवंत हैप्पी) कुछ लिख ही गया।
सिर्फ एक शब्द ..वाह वाह....और क्या कहें
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..........
जवाब देंहटाएंकाफी अच्छी रचना, बधाई .......
बहुत खूब ..........
जवाब देंहटाएंकाफी अच्छी रचना, बधाई .......
दर्द जब कागज़ पर उतर जाएगा ...
जवाब देंहटाएंचेहरा तेरा लफ़्ज़ों में नजर आएगा ...
बहुत बढ़िया ...!!
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया और संजय जी का भी जो उन्होने मेरी ग़ज़ल को अपने ब्लॉग पर लगाने लाएक समझा ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ! बधाई!
जवाब देंहटाएंwah wah ji wah wah.
जवाब देंहटाएं(ab isse jyada kya kahu?????)
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
wah wah ji wah wah.
जवाब देंहटाएं(ab isse jyada kya kahu?????)
thanks.
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एक मुद्दत से आँखे बंद किए बैठा हूँ
जवाब देंहटाएंकभी तो ख्वाब में मेरा हज़ूर आएगा
वाह ! कमाल का लिखा है
इसे पढ़ के मिला सुख उसे मैं कह नहीं सकता।
जवाब देंहटाएंबिना बाधे सही तारीफ के पुल रह नहीं सकता।
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
वाह !!!!!!!!! क्या बात है..... अच्छी है ग़ज़ल .शानदार जानदार और क्या कहूँ..........
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत गज़ल है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!!! बढ़िया गज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत शायरी।
जवाब देंहटाएं