11 मार्च 2021

Memories Of School Days एक पिता का वात्सल्य गुलाबी चूड़ियाँ - बाबा नागार्जुन

जब भी कभी नागार्जुन बाबा का नाम दिमाग में आया सबसे पहले दिमाग में गुलाबी चूड़ियाँ ही याद आई कभी कभी पुरानी यादें लौट आती है याद नहीं कौन सा वर्ष रहा होगा पर इतना जरूर याद है स्कूल में हिंदी की क्लास में एक ट्रक ड्राईवर के बारें में ऐसे पिता का वात्सल्य जो परदेस में रह रहा है घर से दूर सड़कों पर महीनों चलते हुए भी उसके दिल से ममत्व खत्म नहीं हुआ जो अपनी बच्ची से बहुत प्यार करता है ! यह कविता है नागार्जुन बाबा की “गुलाबी चूड़ियाँ”  जिसे उसने अपने ट्रक में टांग रखा है ये चूडियाँ उसे अपनी गुड़िया की याद दिलाती और वो खो जाता है हिलते डुलते गुलाबी चूड़ियाँ की खनक में ....!!


कविता के अंश…...गुलाबी चूड़ियाँ

प्राइवेट बस का ड्राइवर है तो क्या हुआ,
सात साल की बच्ची का पिता तो है!
सामने गियर से उपर
हुक से लटका रक्खी हैं
काँच की चार चूड़ियाँ गुलाबी
बस की रफ़्तार के मुताबिक
हिलती रहती हैं…

झुककर मैंने पूछ लिया
खा गया मानो झटका
अधेड़ उम्र का मुच्छड़ रोबीला चेहरा
आहिस्ते से बोला: हाँ सा’ब
लाख कहता हूँ नहीं मानती मुनिया
टाँगे हुए है कई दिनों से
अपनी अमानत
यहाँ अब्बा की नज़रों के सामने


मैं भी सोचता हूँ
क्या बिगाड़ती हैं चूड़ियाँ
किस ज़ुर्म पे हटा दूँ इनको यहाँ से?
और ड्राइवर ने एक नज़र मुझे देखा
और मैंने एक नज़र उसे देखा
छलक रहा था दूधिया वात्सल्य बड़ी-बड़ी आँखों में
तरलता हावी थी सीधे-साधे प्रश्न पर
और अब वे निगाहें फिर से हो गईं सड़क की ओर
और मैंने झुककर कहा -
हाँ भाई, मैं भी पिता हूँ
वो तो बस यूँ ही पूछ लिया आपसे
वरना किसे नहीं भाँएगी?
नन्हीं कलाइयों की गुलाबी चूड़ियाँ !

-- बाबा नागार्जुन


23 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर भाव 🙏 भोलेबाबा की कृपादृष्टि आप पर सदा बनी रहे।🙏 महाशिवरात्रि पर्व की आपको परिवार सहित शुभकामनाएं

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  2. वाह !संजय जी क्या सुधार भावों की अविरल अभिव्यक्ति..किसी के सोच में आ जाय तो कितनी महान कल्पना है..नमन है ऐसे भावुक मन और मानव को..

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  3. हाँ भाई, मैं भी पिता हूँ
    वो तो बस यूँ ही पूछ लिया आपसे
    वरना किसे नहीं भाँएगी?
    नन्हीं कलाइयों की गुलाबी चूड़ियाँ !
    मन को गहराई से स्पर्श करती भावाभिव्यक्ति ।
    महाशिवरात्रि पर्व की आपको परिवार सहित हार्दिक शुभकामनाएं ।

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  4. बाबा नागार्जुन की ये कविता मन में गहरे उतरती है। फिर से एक बार इसे पढ़वाने के लिए धन्यवाद आपका

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  5. हार्दिक आभार संजय,बाबा नागार्जुन जी की कविता सांझा करने के लिए शुक्रिया,बहुत ही अच्छी कविता , सादर नमन

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  6. यही कोमल संवेदनाएँ जीवन को माधुर्य से भरती है - अन्यथा इस यंत्र-युग में मनुष्य भी यंत्रवत् होता जा रहा है.

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  7. बाबा की सधुक्कड़ी और उनकी धारदार तेवर की कविताओं का कोई जवाब नहीं।अद्भुत

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  8. वाह बेहतरीन सृजन

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  9. छलक रहा था दूधिया वात्सल्य बड़ी-बड़ी आँखों में
    तरलता हावी थी सीधे-साधे प्रश्न पर
    नमन बाबा नागार्जुन जी को ...और बहुत बहुत धन्यवाद आपको इतनी सुन्दर भावपूर्ण रचना पढवाने के लिए।

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  10. पिता का वात्सल्य दर्शाती दिल को छूती बहुत ही सुंदर रचना।

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  11. बहुत सुंदर कविता का चयन ! गुलाबी चूड़ियों का चित्र भी सुंदर है

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  12. इतनी सुंदर कविता साझा करने के लिए आपका आभार संजय जी। गुलाबी चुड़ियों का चित्र भी बहुत प्यारा लग रहा है।

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  13. किसे नहीं भाँएगी?
    नन्हीं कलाइयों की गुलाबी चूड़ियाँ !
    सच यही है प्रिय संजय | बाबा को जिस तरह ये चुदियाँ प्यारी लगी तो साहित्य की अनमोल थाती बन गयी | बहुत बहुत आभार इस कालजयी रचना को शेयर करने के लिए | कितनी सादगी से गुलाबी चूड़ियों को साहित्य के शीर्ष पर बिठा गये बाबा |

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  14. बेहद दिलचस्प लेख...
    बाबा नागार्जुन के प्रति नमन, स्मरण....
    साधुवाद

    कृपया "ग़ज़लयात्रा" की इस लिंक पर भी पधार कर मेरा उत्साहवर्धन करने का कष्ट करें....

    औरत

    हार्दिक शुभकामनाएं.🙏

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  15. बाबा की हर रचना न जाने कविता के कितने ही आयाम ले आती हैं ...
    सोच को नया दृष्टिकोण देती हैं ...
    ये एक जबरदस्त रचना है ... गहरी रचना है संजय जी ...

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  16. संजय होली की हार्दिक शुभकामनाएं तुम्हे, शुभ प्रभात

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  17. बहुत बहुत सुन्दर रचना

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  18. बेहद सुंदर भावपूर्ण रचना👌👌

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  19. एक पिता के भाव को आपने बड़े मार्मिक अंदाज में पेश किया है

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  20. पिता के भावनाओं को व्यक्त करती भावपूर्ण प्रस्तुति👌👌

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- संजय भास्कर