बॉलीवुड ऐसी दुनिया है जहाँ जब इंसान का सिक्का चलता है तो तमाम बुलंदियां उसके आगे छोटी दिखाई देती है आज हम आपको ऐसी ही एक अभिनेत्री के बारे में जो कभी अपनी मधुर मुस्कान और नटखट अदाओं के लिए इतनी मशहूर थी की फिल्म में उनका होना यानि फिल्म के हिट होने की गारंटी सत्तर के दशक में अभिनेत्री मुमताज अपनी ख़ूबसूरती से लेकर अभिनय तक के लिए चर्चित रही थीं। उनकी एक झलक पाने को दर्शक बेताब रहा करते थे 70 के दशक की सबसे कामयाब जोड़ी मुमताज और राजेश लोग के इस कद्र दीवाने थे जब राजेश खन्ना ने मुमताज को
देखकर गुनगुनाया, 'करवटें बदलते रहे सारी रात हम', तो लगा कि हिंदी के सुपरस्टार वाकई में मुमताज की यादों में रात भर करवटें बदलते रहे हों। कुछ हद तक सच भी था क्योंकि 60-70 के दशक में राजेश खन्ना और मुमताज की जोड़ी ने कई हिट फिल्मों में काम किया। इस जोड़ी की साथ में जितनी भी फिल्में रहीं उन सभी ने सफलता के कदम छुए.....ये जोड़ी पर्दे पर जितने करीब नजर आती थी दरअसल वास्तविक जिंदगी में भी ये जोड़ी उतने ही करीब मानी जाती थी। 70 के दशक में फैंस मुमताज और राजेश के ढेरों दीवाने थे,70 के दशक में इन दोनों के इश्क की खबरों ने जमकर सुर्खियां भी
बटोरीं दोस्तीं एक दौर था जब सब के दिल में राज करने वाली मुमताज जब परदे पर आतीं थी तो दर्शकों के दिल की धड़कनें रुक सी जाती थी.हर कोई उनकी अदाओं और अदाकारी का दीवाना था.लेकिन, साठ और सत्तर के दशक की इस हसीन नायिका को आज भुला दिया गया है. 69 वर्षीय मुमताज बचपन से ही अभिनेत्री बनना चाहती थी मुमताज़ का जन्म 31 जुलाई, 1947 को मुंबई में हुआ था और बचपन से ही उनका सपना एक अभिनेत्री बनने का ही था.उस समय मुमताज की मां नाज और आंटी नीलोफर दोनों ही एक्टिंग की दुनिया में सक्रिय थीं, लेकिन वह महज जूनियर आर्टिस्ट के ही रूप में काम किया करतीं थी. साठ के दशक में मुमताज ने भी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करने शुरू कर दिए थे.
मुमताज़ के साथ राजेश खन्ना पर फिल्माए गाने लोगों को आज भी याद हैं। सावन के महीने में सुने जाने वाले, ‘जय जय शिवशंकर’ की हो, या फिर ‘गोरे रंग पर इतना…’ सबके सब सदाबहार गाने हैं !!
- संजय भास्कर
बहुत सुन्दर लेख । फिल्मी दुनिया के साठ व सत्तर के दशक की अभिनेत्री मुमताज के सफर की रोचक जानकारी ।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२१ -११ -२०१९ ) को "यह विनाश की लीला"(चर्चा अंक-३५५६) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
ऐसे अनेक सितारे अपने अपने समय में इतिहास रच चुके हैं ...
जवाब देंहटाएंआज शायद उनके बारे में बात न हो पर उनका काम स्वर्ण अक्षरों में लिखने वाला है ...
अच्छा आलेख है ...
मशहूर अभिनेत्री मुमताज के बारे में बहुत सुंदर लेख लिखा आपने। 👌👌
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 21 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत आलेख संजय जी सिने प्रेमियों के लिए मनोरंजन का वह दौर बेहद खास ही रहा होगा।
जवाब देंहटाएंमुमताज के बारे में बहुत ही रोचक जानकारी शेयर की हैं आपने। धन्यवाद, संजय जी।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब प्रिय संजय। 70 के दशक का वो दौर हमने ना सही हमारे माता पिता ने खूब देखा था। उस दौर के किस्से हमारे पिताजी खूब सुनाया करते थे। हमने तो सिर्फ टी वी पर मुमताज को देखा है। उनकी कई यादगार फिल्में टी वी पर ही देखी हैं। वो बहुत प्यारी हैं,मुझे भी बहुत अच्छी लगती हैं उनकी फिल्में और उन पर फिल्माए गाने। रोचक जानकारी के लिए हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएं7oके दशक की बहुत ही सुन्दर जानकारी दी है आपने....वाकई मुमताज बेहतरीन अदाकारा थी...राजेश और मुमताज जैसे सितारों की यादें ताजा कर उनकी बेहतरीन कलाकारी को सम्मान दिया है आपने।
जवाब देंहटाएंअनन्त शुभकामनाएं।
सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लेख । साथ में कुछ गीतों को शामिल कर लेते तो और भी सुन्दर लगता । ऐसे लेख लिखते रहें ।
जवाब देंहटाएं- बीजेन्द्र जैमिनी
bijendergemini.blogspot.com
बढ़िया आलेख। मुमताज़ के नाम का मतलब तसव्वर मव एक नटखट, चुलबुली लड़की का सामने आना ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब। वो भी क्या दौर था !
जवाब देंहटाएं