घर के बड़े बुजुर्ग
जो बाँटना चाहते है अपनी
उम्र का अनुभव
अपने बच्चो अपने पोते पोतियों के साथ
समझाना चाहते है उन्हें
दुनियादारी के तौर तरीके
पर आज की पीढ़ी नहीं लेना चाहती
उनके अनुभव व विचार
जो सिर्फ अपनी ही चलाना चाहते है
लेकिन हमारे पढ़े लिखे होने से दुनियादारी
नहीं चलती
अनुभव का होना बहुत
ज़रूरी है
जब तक बड़े बुजुर्ग रहते है हमारी दुनिया में
तब तक हम उनकी अहमियत
नहीं समझते
लेकिन जब वो चले जाते है इस दुनिया से
और तब कोई गलती हो जाती है
तब याद आता है
कि घर में कोई बड़ा बुजुर्ग होता तो
शायद ये न होता !!
- संजय भास्कर
29 टिप्पणियां:
जी,बिल्कुल बुजुर्ग हमारी जड़े है उनकी शाखों पर उगे हम सब है।
सुंदर संदेशा देती आपकी रचना संजय जी👌
बढ़िया कविता भाई। काफी दिनों बाद आपको देखा है। शुभकामना।
कहना वाजिब है ... बुज़ुर्गों के जीवन का अनुभव सदा व्यावहारिक बनता है ... कठिनाई सहने की ताक़त देता है ... आज की पीडी जल्दी ही इस बात को समझेगी ...
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27-04-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2624 में दिया जाएगा
धन्यवाद
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 97वीं पुण्यतिथि - श्रीनिवास अयंगर रामानुजन और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
सही कहा है, बुजुर्गों की सलाह सदा ही सुननी चाहिए..
काश! कि आज के पीढ़ी समझ पाती
समय रहते जिसकी क़द्र नहीं होती उसके चले जाने के बाद समय भी उसकी क़द्र नहीं करता
बहुत अच्छी प्रेरक रचना
फिर पछताये होत का ...
सुन्दर।
बिल्कुल सही कहा बडे बुजुर्ग अपने जीवन के अनुभव से हमें सिखाना चाहते हैं परन्तु ...
हां बाद में सभी को अहमियत समझ आती है...
सही कहा आपने
बुजुर्ग कोने में कगरियाये लोग हैं। उन्हे यह समझ लेना चाहिये कि बुढ़ापा उन्हे अपने बूते पर काटना है। उसी अनुसार उन्हे अपना बुढ़ापा प्लान करना चाहिये। कुटुम्ब के भरोसे नहीं।
जीने की राह तो बड़े-बुजुर्ग ही दिखाते हैं । प्रेरक पंक्तियां ।
Grandparents pass their wisdom and love. They complete a family. Beautiful poem.
बुजुर्गों को समर्पित बहुत ही शानदार रचना की प्रस्तुति अंदर तक झकझोर देती है आपकी रचना। घर के बुजुर्गों का आर्शीवाद सदैव बना रहे, हमे सदा ऐसी कोशिश करते रहना चाहिए।
sahi baat !!
बिल्कुल सत्य बड़े बुजर्ग हमसे अपने जीवन के अनुभव बांटना चाहते हैं ,जो आने वाली पीढ़ी के लिए सही मार्गदर्शके होते है ।
बहुत सुन्दर भाव हैं आपकी रचना में .
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 08 जुलाई 2017 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
बहुत सुन्दर ....
सार्थक...
यथार्थपरक विचारणीय रचना।
वृद्धों का घर में होना घनी शीतल छाँव का अहसास कराता है । उनके जाने के बाद ही उनका महत्त्व समझ आता है सबको !
बुजुर्गों की अहमियत हम तब समझ पाते हैं जन हमारे बुज़ुर्ग हमसे बिछड़ जाते हैं या फिर हम खुद बुज़ुर्ग हो जाते हैं.
बुज़ुर्गों ने ही कहा है क़ि किसी के न रहने पर ही उसका महत्त्व ज्ञात होता है। लोग भूल जाते हैं कि एक दिन उन्हें भी इसी पड़ाव से होकर गुज़रना होगा। अनुभव अपना महत्त्व कभी नहीं खोता है। समाज को आईना दिखाती यथार्थपरक रचना। बधाई।
बिना मूल के शाखाओं, फूलों, पत्तियों, फलों का कोई अस्तित्व नहीं है..... बहुत प्यारी रचना है संजय जी
अनुभव से बड़ी कोई शिक्षा नही होती और हमारे बुजुर्ग अनुभव का खजाना होते है। नयी पीढ़ी जितनी जल्द यह बात समझ जाए उतना अच्छा।
सबके विचार सराहनीय है ,अति उत्तम
बहुत अच्छी और सच बातों पर आपकी यह रचना बहुत अच्छी लगी, जीवन में बड़े बुजुर्गों का होना काफ़ी महत्वपूर्ण होता हैं. लेकिन आज कल की पीढ़ी में एकल परिवार की भावनाओं को बढ़ता देख जीवन के अनुभव बताने वाला कोई नहीं होता और वो यह नहीं समझ पाते की यही उनके जीवन में दुःख का कारन हैं, क्योकि हमारे बड़े हमसे उनके सिर्फ अनुभव ही नहीं बाटते बल्कि वो हमें जीवन जीने की सही रह भी सिखाते हैं।
आपका ब्लॉग मुझे बहुत अच्छा लगा,आपकी रचना बहुत अच्छी।
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